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किशनगंज : स्वास्थ्य संस्थानों में जांच के साथ ही दवाओं का वितरण प्राथमिक तौर पर सुनिश्चित किया जाए:-डीएम

सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सुनिश्चित करायें निर्धारित रोस्टर का अनुपालन।

  • मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में जिला तीसरे स्थान पर

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशाशन की ओर से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों को आम जनमानस तक पहुंचाने को लेकर आवश्यक पहल लगातार की जा रही है। जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर विशेष मुहिम को ज्यादा कारगर व असरदार माना जा रहा है। मातृ-शिशु सेवाओं की बेहतरी को लेकर जिले में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा को सुलभ रूप से मुहैया करने के लिए जिला प्रशासन काफी गंभीर है। डीएम श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में प्रत्येक माह में दो बार स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक का आयोजन किया जा रहा है तथा नियमित रूप से सभी स्वास्थ्य संस्थानों का निरीक्षण भी डीएम स्वयं कर रहे है। जिला सभागार में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में स्वास्थ्य योजनाओं की सफलता की रणनीति ड्यू लिस्ट पर चर्चा, परिवार नियोजन पखवाड़ा से जुड़ी उपलब्धियों की समीक्षा, अनमोल एप के सफल क्रियान्वयन के साथ चिकित्सा इकाइयों में साफ-सफाई के बेहतर प्रबंधन की गहन समीक्षा शनिवार को की गयी। इसमें संस्थागत प्रसव, प्रथम तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान व गर्भवती महिलाओं की चौथी एएनसी जांच के साथ-साथ संस्थागत प्रसव सुनिश्चित कराने को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिये गये। जिला अस्पताल एवं एफआरयू में शल्य चिकित्सा, उचित परामर्श, उपचार एवं विभिन्न प्रकार की जांच के साथ ही दवाओं का वितरण प्राथमिक तौर पर सुनिश्चित किया जाए। क्योंकि विभागीय स्तर पर सभी तरह की सुविधाओं की उपलब्धता स्वास्थ्य संस्थानों में पहले से ही है। जिसका समय-समय पर मूल्यांकन करना अतिआवश्यक होता है। ताकि विभागीय स्तर पर होने वाली बैठकों में उसका प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जा सके। स्वास्थ्य संबंधी मामलों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए डीएम ने कहा कि मैटरनल हेल्थ, चाइल्ड हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर, इम्युनाइजेशन, टीबी ट्रीटमेन्ट व एफआरयू से जुड़ी सेवाओं में निर्धारित मानकों में महामारी के दौर में जिले का प्रदर्शन बेहतर रहा है। उन्होंने कहा सभी मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए अस्पताल में साफ- सफाई, लाइट एवं शुद्ध भोजन की व्यवस्था करना सर्वोपरि है। इस कार्य में कोताही बर्दास्त नहीं की जाएगी। कार्य में असंतोष पाए जाने पर आउटसोर्सिंग एजेंसी पर कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। बैठक में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार, डीपीएम् डॉ मुनाजिम, डीपीसी विश्वजीत कुमार, एसएमसी एजाज एहमद, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंन्धक सहित अन्य मौजूद थे। डीएम ने लगातार क्षेत्र भ्रमण के दौरान विभिन्न अस्पतालों के संचालन से जुड़ी खामियों को इंगित करते हुए सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इसमें सुधार को लेकर कड़े निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में निर्धारित रोस्टर का अनुपालन सख्तीपूर्वक सुनिश्चित करायी जाये। वेलनेस सेंटर पर ओपीडी सेवाओं को ज्यादा कारगर व प्रभावी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निवर्हन नहीं करने वाले चिकित्सक व कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। समीक्षा के क्रम में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि पूरे सूबे में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में अपना जिला तीसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का उद्देश्य कन्या के जन्म को प्रोत्साहित करना एवं कन्या भ्रूण हत्या को रोकना है। योजना की सहायता से लिंग अनुपात में वृद्धि लाना एवं बालिका शिशु मृत्यु दर कम करने की भी है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह पर अंकुश लगाने एवं बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने में भी योजना महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। योजना का बृहद उद्देश्य बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्यधारा में लाना है, ताकि महिला सशक्तिकरण की राह को आसान बनाया जा सके। जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने समीक्षा बैठक में सभी स्वास्थ्य अधिकारियो को निर्देश दिया कि प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के बच्चों के शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थाओं के चिकित्सा पदाधिकारियों, एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी सेविकाओं को टीकाकरण के बाद उसका फॉलोअप निरंतर रूप से करना सुनिश्चित करें। जिसके लिए आरोग्य दिवस के दिन गर्भवती महिलाएं एवं धातृ माताओं के अलावा अभिभावकों को परिवार नियोजन से संबंधित जानकारी देने की आवश्यकता है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में ओपीडी एवं आईपीडी की सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं। विद्यालयों में विशेष रूप से आयोजन कर आईएफए की गोली खिला कर एनीमिया मुक्त भारत अभियान को गति देने के लिए सबसे अहम भूमिका निभाई जा सकती है। वही देश में बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए कोविड जांच को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। बैठक के दौरान सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि एनसीडी के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच अनिवार्य रूप से करानी होगी। ताकि ग़ैर संचारी रोगों की समय से पहले जानकारी मिल सके। उसका इलाज समय रहते किया जा सके। संचारी रोग से संबंधित टीबी जैसी बीमारियों से बचाव को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। ज़िले में जब ख़त्म किया जा सकता है।

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