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किशनगंज : ब्लॉक परिसर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष के अध्यक्षता में महागठबंधन द्वारा एक दिवसीय धरना का किया गया आयोजन

केंद्र सरकार द्वारा योजनाओं में कटौती, उच्च संस्थाओं में कब्जा के खिलाफ, संविधान को समाप्त करने की साजिश, के खिलाफ प्रदर्शन किया गया: साहिल

किशनगंज, 15 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, ब्लॉक परिसर किशनगंज में कांग्रेस जिलाध्यक्ष इमाम अली चिंटू के अध्यक्षता में गुरुवार को महागठबंधन द्वारा एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। धरना में जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष बुलंद अख्तर हाशमी, राजद के वरिष्ट नेता उस्मान गनी, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो० आजाद साहिल, मंच संचालन कर रहे है अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष शमशीर अहमद दारा, राजद के वरिष्ट नेता नन्हा मुस्ताक, जदयू नेता रियाज अहमद, कांग्रेस के वरिष्ट नेता जुल्फेकार अंसारी जदयू नेता नूर मोहम्मद, युवा राजद प्रदेश महासचिव दानिश इकबाल, युवा कांग्रेस नगर अध्यक्ष अमजद आलम, जदयू नेता संजय कुमार, कमाल अंजुम, युवा कांग्रेस जिला संयोजक वसीम अख्तर, राजद अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष फरहान अख्तर, राजद नेता जावेद प्रधान आदि शामिल थे। जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष बुलंद अख्तर हाशमी, ने कहा कि धरना प्रदर्शन का मुख्य कारण महंगाई, बेरोजगारी, लोकतंत्र की हत्या, केंद्र सरकार द्वारा योजनाओं में कटौती, उच्च संस्थाओं में कब्जा के खिलाफ, संविधान को समाप्त करने की साजिश, के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा कि मोदी शासन के 9 साल जनता की चरम तबाही बर्बादी, लूट-दमन और नफरत का भयावह दौर साबित हुआ है। महंगाई की मार से जनता त्रस्त है। यह पहली ऐसी सरकार है जो खाद्य पदार्थों से लेकर पाठ्य पुस्तकों व सामग्रियां पर भी टैक्स (जीएसटी) लगा रही है। रसोई गैस की कीमत 1300 रु प्रति सिलेण्डर पार कर गई है और लोग एक बार फिर से गोइठा व लकड़ी के युग में लौटने को विवश हैं। उज्जवला योजना के नाम पर गरीबों को केवल मूर्ख बनाया गया। प्रत्येक साल दो करोड़ रोजगार का वादा भी पूरी तरह झूठ साबित हुआ। केंद्र सरकार के कार्यालयों में लाखों पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उनपर कोई बहाली नहीं कर रही है। राजद के वरिष्ट नेता उस्मान गनी ने कहा कि विगत 75 वर्षों में बेरोजगारी की ऐसी भयावह स्थिति कभी सामने नहीं आई थी। लुढ़कते रुपए के बीच विदेशी कर्ज साल-दर-साल बढ़कर 620.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। 2014 के पहले देश की तमाम सरकारों ने कुल मिलाकर 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया था। मोदी सरकार ने अपने 9 साल के शासन में अकेले 85 लाख करोड़ का कर्ज लिया है। देनदारियों को निपटाने में इस कर्ज का इस्तेमाल हो रहा है। इसका कोई फायदा आम लोगों को नहीं पहुंच रहा है। उलटे, 2021 में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अनुसार देश के हर व्यक्ति के माथे पर करीब 32 हजार रुपये का कर्ज हो चला है। केंद्र सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण विकास और कल्याणकारी योजनाओं के मद में लगातार कटौती कर रही है। उसने मनरेगा में 429 रु. मजदूरी देने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि देश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रवासी मजदूरों के प्रति केंद्रीय सरकार की चरम उपेक्षा को कोविड और लॉकडाउन ने बेनकाब किया था। फिर भी, आज तक प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया। युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो० आजाद साहिल ने कहा कि मोदी सरकार ने 2022 तक सभी गरीबों के लिए आवास उपलब्ध कराने का भी वादा किया था, लेकिन उसने वादा तो पूरा नहीं ही किया उलटे उसके पूरा हो जाने का झूठा दावा कर रही है। जनवितरण प्रणाली और खाद्यान्न योजना को भी खत्म करने की साजिशें कर रही है। वैश्विक भूख सूचकांक की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 121 देशों की सूची में भारत 107वें स्थान पर पहुंच गया है। देश में चौतरफा भूखमरी का विस्तार हो रहा है। युवा राजद प्रदेश महासचिव दानिश इकबाल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी की मार से छोटे-मझोले व्यवसायी अभी तक उबर भी नहीं पाए थे कि इधर दो हजार रु. का नोट बंद कर कालाधन पर हमले का एक बार फिर भ्रम पैदा किया जा रहा है। भाजपा शासन में कॉरपोरेट लूट व उनको हासिल सरकारी संरक्षण अपने चरम पर है। कॉरपोरेटों ने देश की 60 प्रतिशत संपत्ति पर कब्जा जमा रखा है लेकिन जीएसटी में उनका योगदान महज 3 प्रतिशत है। वहीं, दूसरी ओर देश की 50 प्रतिशत जनता जिनके पास महज 3 फीसदी संपत्ति है, जीएसटी में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है। असामनता की यह खाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी की धोखाधड़ी की पोल खोल दी लेकिन मोदी सरकार अडानी के पक्ष में लगातार खड़ी है और विपक्ष द्वारा जेपीसी जांच की मांग को ठुकरा रही है। वह इस मसले पर बहस तक नहीं चाहती है। कांग्रेस के किशनगंज जिलाध्यक्ष इमाम अली चिंटू ने कहा कि भाजपा द्वारा दलितों-पिछड़ों के आरक्षण में कटौती की भी साजिशें अनवरत जारी हैं। सरकारी योजनाओं में सभी समुदाय के लिए न्यायसंगत व समावेशी विकास के लिए महागठबंधन ने केंद्र सरकार से जाति आधारित सर्वे की मांग की थी जिसे उसने नकार दिया। केंद्र सरकार के इंकार के बाद बिहार सरकार ने अपनी पहलकदमी पर जाति सर्वे का काम शुरू किया था। भाजपा को यह भी नागवार गुजरा और वह इसके खिलाफ हाथ धोकर पीछे पड़ गई। आखिर भाजपा जाति सर्वे से क्यों भाग रही है ? राजद के वरिष्ट नेता एमके रिजवी उर्फ नन्हा मुस्ताक ने कहा कि किसानों की आय दुगुनी करने का वादा था, लेकिन मोदी सरकार किसानों को उनकी जमीन से बेदखल कर कॉरपोरेटों के हाथों में जमीन सौंप देने का कानून लेकर आई। उन कानूनों को वापस कराने के लिए किसानों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी और उसे एमएसपी पर कानून बनाने का वादा करना पड़ा। लेकिन अपने चरित्र के मुताबिक वह एक बार फिर अपने वादे से मुकर गई।

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