किशनगंज : टीबी की बीमारी को जड़ से मिटाने को गांव-गांव में हो रही मरीजों की खोज
आंगनबाड़ी केन्द्र से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच शिविर लगा हो रही जांच

किशनगंज, 26 दिसंबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी की बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी मुहिम के तहत जिले में सघन अभियान चलाया जा रहा है। गांव-गांव जाकर टीबी के मरीज खोजे जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर संभावित रोगियों की जांच की जा रही है। इस संबंध में सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। टीबी उन्मूलन की दिशा में समुदाय स्तर पर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। ईंट-भट्ठों, झुग्गी-झोपड़ियों, महादलित टोलों, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों आदि जगह पर जांच शिविर लगाकर टीबी मरीजों की खोज हो रही है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा. मुनाजिम ने बताया कि टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमी और वजन कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो टीबी की जांच जरूर कराएं। संचारी रोग पदाधिकारी डा. एनामुल हक ने बताया कि जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। दवा भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप, टूनेट व सीबीनेट मशीन द्वारा निःशुल्क जांच की जाती है। मरीजों की जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से निःशुल्क किया जाता है। नये रोगी चिह्नित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दी जाती है। ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी नहीं फैले। उन्होंने कहा कि टीबी संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह सीडीओ डा. देवेन्द्र कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों से संबंधित जानकारी को गोपनीय बनाये रखना जरूरी है। उनकी तस्वीर व नाम किसी भी रूप में सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों को टीबी का व टीबी मरीजों को एचआईवी का खतरा अधिक होता है। दोनों ही रोग से बचाव के लिये जन जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होने पर पहले दो महीने तक टीबी की दवा खिलाया जाना जरूरी है। इसके बाद उन्हें एंटी् रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर रेफर किये जाने का प्रावधान है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा. एनामुल हक ने बताया कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का अहम योगदान है। अमीर हो या गरीब, हर तरह के रोगियों के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क दवा तो मिलती ही साथ ही साथ पौष्टिक आहार खाने के लिए पैसा भी मिलता है। यह योजना टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसीलिए लोगों को टीबी जैसे संक्रमण से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सरकार की ओर से मरीज़ों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठाकर टीबी जैसी बीमारी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है।