ब्रेकिंग न्यूज़राज्य

हीट वेव एक्शन प्लान के तहत सिविल सर्जन को ज़रूरी कार्रवाई करने का डीएम ने दिया निदेश…..

अस्पतालों में ताप-घात (हीट स्ट्रोक) में प्रयोग की दवाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेः डीएम

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –ज़िलाधिकारी, पटना डॉ चंद्रशेखर सिंह द्वारा हीट वेव एक्शन प्लान के तहत गरम हवाओं/लू के दौरान लोगों के स्वास्थ्य (विशेष तौर पर बच्चों, गर्भवती व धात्री माताओं) की सुरक्षा हेतु की जाने वाली कार्रवाईयों से संबंधित निदेश पूर्व में निर्गत किया गया है। उन्होंने इसके क्रियान्वयन के लिए १५ विभागों को सजग एवं सक्रिय रहने को कहा है।

इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाने वाले कारवाईयों के संबंध में सिविल सर्जन को निदेश दिया गया है। डीएम डॉ सिंह ने कहा कि गर्मी के मौसम की शुरूआत हो गयी है। कम वर्षा के कारण वातावरण में सामान्य नमी के कमी फलस्वरूप मौसम शुष्क रहने के कारण गरम हवाओं/लू चलने की पूरी संभावना होगी। ऐसे में बच्चे, गर्भवती व धात्री माताएँ, वृद्धजन तथा पूर्व से गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग जोखिम में पड़ सकते है। डीएम डॉ सिंह ने कहा कि इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

गरम हवाओं/लू लगने के सामान्य लक्षण
===================

गरम हवाओं/लू लगने के सामान्य लक्षण के रूप में अधिक पसीना आना, तेज गति से सांस का चलना, मांसपेशियों में दर्द, मितली/उल्टी या दस्त या दोनों का होना पाया जाता है, अत्यधिक प्यास लगने लगती है, तेज बुखार आ सकता है या कभी-कभी मूर्छा भी आ सकती है। इसके लिए पूर्व तैयारी, लोगों में जागरूकता एवं बचाव के उपायों को जानकर ही जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। डीएम डॉ सिंह ने कहा कि इस हेतु निम्नांकित तीन स्तरों पर आवश्यक कार्रवाई की गयी है-

1. प्रशासनिक स्तर पर

2. चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल / जिला अस्पताल स्तर पर तथा

3. समुदाय स्तर पर

१. प्रशासनिक स्तर परः
—————————

* हीट वेव एक्शन प्लान के तहत जिला स्तर पर जिलाधिकारी, पटना की अध्यक्षता में १८-सदस्यीय ज़िला स्तरीय लू आपदा राहत टास्क फ़ोर्स के साथ साथ एक महामारी समिति गठित है जिसमें उप विकास आयुक्त/पुलिस अधीक्षक/सिविल सर्जन/आपूर्ति विभाग/आपदा प्रबंधन विभाग/लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी सदस्य हैं।

* यह समिति जिले में लू/गरम हवाओं के चलने से उत्पन्न होने वाली स्थिति में पूर्व के अनुभवों के आधार पर सभी संबंधित के साथ समन्वय स्थापित कर निरोधात्मक एवं उपचारात्मक कार्य करेगी। डीएम डॉ सिंह ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही तैयारियों की जानकारी सभी स्टेकहोल्डर्स को हो।

* डीएम डॉ सिंह ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि गरम हवाओं/लू लगने के लक्षण, उसके कुप्रभाव एवं प्राथमिक उपचार के संदर्भ में सभी स्वास्थ्य कर्मियों का संवेदीकरण किया जाए एवं यह भी बताया जाए कि किन लक्षणों के होने पर प्रभावित को तत्काल विशेष चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होगी, जिससे बिना देर किए प्रभावित को गहन विशेष चिकित्सा के लिए नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र या अन्य स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया जा सके।

* सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अनुमंडलीय अस्पतालों/जिला अस्पतालों/चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में सुनिश्चित किया जाए कि आई.वी. फ्लूड, ओ.आर.एस इत्यादि अन्य आवश्यक दवाओं जो ताप-घात (हिट स्ट्रोक) में प्रयोग की जाती है, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे।

* गरम हवाओं/लू के चलने के दौरान या तापमान के सामान्य से अधिक रहने पर स्थितियों की समीक्षा कर आवश्यकतानुसार मोबाईल टीम को सक्रिय रखें जो दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच सके।

* गरम हवाआंे/लू के चलने के दौरान या तापमान के सामान्य से अधिक रहने (लंबे समय तक) की स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर चिकित्सक/ए.एन.एम./स्वास्थ्य कर्मियों को प्रतिनियुक्त कर ड्यूटी रोस्टर तैयार रखें तथा सभी संबंधित को पूर्व में सूचित कर उनका उन्मुखीकरण करें।

* गरम हवाआंे/लू से प्रभावित होने पर या लग जाने पर तत्काल क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए (डूज़ एण्ड डाँट्ज़) का प्रचार प्रसार स्वास्थ्य उपकेन्द्रों एवं आशा के माध्यम से ग्रामीण स्तर तक कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

* विद्युत विभाग से समन्वय स्थापित कर सुनिश्चित कराएं की अस्पतालों में अबाध विद्युत आपूर्ति होती रहे।

* समय-समय पर स्वास्थ्य से संबंधित सलाह आमजन के लिए विभिन्न संचार माध्यमों से प्रसारित करें, जिसमें लू के प्रभावों से बचने के लिए क्या करें व क्या न करें तथा लू लग जाने पर क्या करें (स्थानीय उपाय सहित) प्रसारित कराएं।

* सभी सरकारी अस्पतालों/स्वास्थ्य केन्द्रों/चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में लू/गरम हवाओं से प्रभावित व्यक्तियों/मरीजों को जो उपचार के लिए आते हैं (पूरे लू चलने की समय सीमा के अंदर) उनका आंकड़े अलग से एकत्रित कराया जाना सुनिश्चित करेंगे।

२. चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों/जिला अस्पताल/स्वास्थ्य केन्द्रों के स्तर पर-

* सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों/जिला अस्पताल/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों /सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों/ अनुमंडलीय अस्पतालों में सुनिश्चित किया जाय कि लू लगने की स्थिति में प्रभावितों को पर्याप्त एवं उचित मात्रा में जीवन रक्षक औषधियां जो ताप-घात (हीट स्ट्रोक) में प्रयोग की जाती है, पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहें।

* सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों / जिला अस्पताल/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अनुमंडलीय अस्पतालों पर्याप्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करायी जाए जो आमजन तथा बच्चों वृद्धों दिव्यांगो जनों के पहुँच के सुलभ हो।

* सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों/ जिला अस्पताल /प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों/अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों /अनुमडलीय अस्पतालों में ताप-घात (हीट स्ट्रोक) से पीडित व्यक्तियों के इलाज के लिए पृथक वार्ड/ बेड चिन्हित एवं क्रियाशील रहना चाहिए।

किसी भी तरह की सूचना या मार्ग दर्शन हेतु ज़िला आपदा प्रबंधन कोषांग, सिविल सर्जन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन कार्यरत राज्य स्वास्थ्य समिति, शेखपुरा, पटना में स्थापित राज्य नियंत्रण कक्ष के दूरभाष संख्या ‘104’ से सम्पर्क स्थापित कर तथा ई मेल आई.डी ssobihar@gmail.com पर सूचना भेजी जा सकती है।

* जिला आईडीएसपी (Integrated Diseases Surveillance Programme) पदाधिकारी जिले में महामारी के समय में आक्रांतों /मृतकों की संख्या/दावा एवं सामग्री की अद्यतन स्थिति प्राप्त करेंगें, आपदा प्रबंधन कोषांग से सतत सम्पर्क एवं समन्वय बनाए रखेंगे।साथ ही ज़िला स्तर पर अनुश्रवण कोषांग को अद्यतन स्थिति से अवगत करायेंगे।

* डीएम डॉ सिंह ने कहा कि प्रशासन द्वारा वे सभी निर्णय लिया जाएगा जो लू/गरम हवाओं से उत्पन्न बीमारी /महामारी के रोकथाम के लिए आवश्यक प्रतीत हो।

३. समुदाय स्तर पर-
=============

सिविल सर्जन , पटना ए०एन०एम० व आशा के माध्यम से निम्नांकित जानकारियां हर परिवार स्तर पर पहुँचायेंगेः-

* यदि अति आवश्यक न हो तो दोपहर में घर बाहर न निकलें।

* यथासंभव सूती/हल्का और हल्के रंग का कपड़ा पहनें।

* थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें, यथासंभव पानी में ग्लूकोज पीयें।

* हल्का व थोड़ा भोजन खाएँ, भोजन को कई बार में खाएँ।

* ताजा पका हुआ ही भोजन खाएँ एवं बासी भोजन कदापि न खाएँ।

* तेज धूप में बच्चों को खेलने लिए बाहर न जाने दें।

* सभी को जानकारी दी जाए कि वह बाहर जाते समय सिर पर टोपी, गमछा या छाता (जो सुलभ हो) लेकर जायें।

* लू लग जाने पर तौलियां/गमछा ठंडे पानी में भिंगों कर सिर पर रखें और पूरे शरीर को भींगें कपड़े से बार-बार पोंछतें रहें, जिससे शरीर का तापमान बढने नहीं पाए।

* लू लगने पर आम का पन्ना, सतू का घोल एवं नारियल का पानी पीएं।

* ओ.आर.एस. का घोल एवं ग्लूकोज भी नियमित रूप से पीएं।

* ताजा बनी दाल का पानी, चावल के माड़ में थोडा सा नमक मिलाकर पिलाना बच्चों के लिए लाभदायक होगा।

* गंभीर स्थिति होने पर तुरंत नजदीक के अस्पताल/स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराएं एवं चिकित्सक की सलाह लें।

डीएम डॉ सिंह ने निदेश दिया कि उपर्युक्त जानकारियाँ गृह भ्रमण के दौरान तथा ग्राम स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता दिवस के आयोजन पर प्रत्येक परिवार के लोगों तक बताई जाए।

1. हीटवेव (लू) क्या है?

हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि को कहते हैं। जब तापमान किसी क्षेत्र के औसत उच्च तापमान से अधिक हो जाता है तो उसे हीटवेव या लू कहते हैं।

भारत मौसम विभाग (आईएमडी)के मुताबिक, यदि एक स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो हीटवेव विचारित होता है।

1. सामान्य तापमान से विचलन पर आधारितः-

* जब सामान्य तापमान से विचलन 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है तो इसे हीटवेव कहते हैं।

* जब सामान्य तापमान से विचलन 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है तो इसे गंभीर हीटवेव कहते हैं।

2. वास्तविक अधिकतम तापमान पर आधारितः-

* जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो इसे हीटवेव कहते हैं।

* जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो इसे गंभीर हीटवेव कहते हैं।

इस प्रकार यदि वृद्धि 6.4 डिग्री से अधिक है और वास्तविक तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाए, तो इसे एक गम्भीर हीटवेव कहा जाता है।

तटीय क्षेत्रों में, जब अधिकतम तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाए या तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाए तो हीटवेव चलता है।

वस्तुतः लम्बे समय तक अत्यधिक गर्म मौसम बरकरार रहने से हीटवेव बनता है। हीटवेव असल में एक स्थान के वास्तविक तापमान और उसके सामान्य तापमान के बीच के अन्तर से बनता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हीटवेव की लहरें आमतौर पर मार्च से जून तक होती हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई तक भी बढ़ जाती हैं। देश के उत्तरी भागों में हर साल हीटवेव की घटनाएं होती हैं। वहीं कभी कभार ये घटनाएं हफ्तों तक चलती हैं। इससे भारत की बड़ी आबादी प्रभावित होती है।

2. हीट वेव से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?

हीट वेव या लू की घटनाएं मानव और पशु जीवन को नुकसान पहुंचाती हैं। हीट वेव आमतौर पर शरीर में पानी की कमी, थकावट होना, कमजोरी आना, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना होना और लू लगना या हीट स्ट्रोक आदि शामिल हैं। हीट वेव की वजह से मानसिक तनाव भी हो सकता है। लू लगने के लक्षणों में गर्मी से शरीर में अकड़न, सूजन बेहोशी और बुखार भी आ सकता है। यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो दौरे पड़ सकते हैं या इंसान कोमा में भी जा सकता है।

3. लू लगने अथवा गर्मी से संबंधित बीमारी के सबसे अधिक खतरे में कौन है?

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, गर्मी से संबंधित बीमारी के लिए सबसे अधिक खतरे में शिशुओं से लेकर चार साल तक के बच्चे, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, अधिक वजन वाले लोग और ऐसे लोग जो बीमार हैं या दवाओं का सेवन कर रहे हैं।

4. आपको क्या करना चाहिए, अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्ति लू लगने से पीड़ित है?

व्यक्ति को छाया के नीचे किसी ठंडी जगह पर ले जाएं

यदि व्यक्ति अभी भी सचेत है तो पानी या एक निर्जल पेय दें
व्यक्ति पर हवा करें

यदि व्यक्ति बेहोश है या लंबे समय तक लक्षण खराब रहते हैं तो चिकित्सक से परामर्श करें

मद्य, कैफीन या गैस युक्त पेय न दें

व्यक्ति के चेहरे / शरीर पर एक गीला कपड़ा डालकर ठंडा करें

बेहतर हवादार और ढीले कपड़े पहनें

5. हीट वेव की जानकारी कैसे जुटाएं, ऐसा और क्या करे कि आप पर इसका असर न पड़े?

रेडियो सुनें, टीवी देखें, स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि पता चल सके कि लू चल रही है या चलने वाली है

पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।

कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं।

श्रमिकों को सीधे धूप से बचने के लिए सावधानी बरतें।

बाहरी गतिविधियों को विराम दें।

गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा हालत वाले श्रमिकों का अतिरिक्त ध्यान दिया जाये।

डीएम डॉ सिंह ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि उपर्युक्त कार्रवाईयों को प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित कराएं।

Related Articles

Back to top button