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किशनगंज : चैन की सांस लेगा बचपन, जब आप तुरंत पहचानें निमोनिया के लक्षण।

निमोनिया नहीं तो बचपन सही।

निमोनिया प्रबंधन को लेकर सांस कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम।इन लक्षणों के नज़र आने पर बच्चों को अस्पताल लेकर जाना चाहिए :

  • तेज़ सांसों का चलना।
  • छाती में दर्द की शिकायत।
  • थकान महसूस होना।
  • भूख में कमी होने की शिकायत।
  • अतिरिक्त कमजोरी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, निमोनिया से ज़्यादातर छोटे-छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं। हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। फेफड़ों में इंफेक्शन होने कारण ही निमोनिया जैसी बीमारी होती है। जिसका मुख्य कारण सांस लेने में दिक्कत होना है। अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर रूप ले सकती है। इसी क्रम में सरकार के द्वारा बच्चो को निमोनिया से बचाव के लिए सांस (एसएएएनएस) सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज्ड न्यूमोनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। बुधवार को एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम जिले के सदर अस्पताल स्थित सभा भवन में हुआ। इसमें जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक शामिल हुए। एसीएम्ओ डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया कि सांस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समुदाय में जागरूकता पैदा करना, निमोनिया की पहचान करने में सक्षम करने को देख भाल कर्ता को जागरूक करना, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से निमोनिया के मिथकों व धारणाओं के बारे में व्यवहार परिवर्तन करना है। निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। निमोनिया से होने वाली लगभग आधी मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं। इसमें इंडोर वायु प्रदूषण भी मुख्य कारक है। निमोनिया के प्रकरण मुख्यतः सर्दी एवं वर्षा ऋतु, अधिक प्रदूषण, धुआँ, स्लम एरिया वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक होने की संभावना होती है। हजारों बच्चे प्रतिवर्ष निमोनिया से संक्रमित हो जाते हैं। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु अन्य संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु की तुलना में काफी अधिक है। अभियान के अंतर्गत निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों की समय पर पहचान कर प्रारंभिक उपचार एवं उचित स्वास्थ्य संस्थान में रेफर तथा निमोनिया के संबंध में जन जागरूकता के माध्यम से बाल मृत्यु दर में कमी लाई जाएगी।साथ ही 0 से 5 वर्ष तक के समस्त अभिभावकों से अपील है कि वे अपने 5 वर्ष तक के बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में ले जाकर स्वास्थ्य लाभ लें। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि 5 वर्ष तक के बच्चों में मृत्यु का सबसे अधिक कारण निमोनिया संक्रमण है। जिन बच्चों का पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है, या जो बच्चे कुपोषित हैं उन्हें निमोनिया होने की संभावना रहती है। इन बच्चों को शीघ्र स्तनपान उपलब्धता, पूरक आहार, विटामिन ए की खुराक, साफ सफाई, साबुन एवं पानी से हाथ धोना, घरेलू वायु प्रदूषण को कम करने संबंधी उपाय अपनाकर एवं इस संबंध में जनसमुदाय को जागरूक कर निमोनिया को कम किया जा सकता है। डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि सांस (निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। कार्यक्रम में सभी को बच्चों में निमोनिया का आकलन, वर्गीकरण एवं प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल, 2 से 59 माह तक के बच्चों में निमोनिया प्रबंधन, निमोनिया प्रबंधन संबंधित उपकरणों का उपयोग एवं तीव्र श्वसन संक्रमण के लिए दवा की खुराक विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गयी है। प्रशिक्षक राजशेखर बी अल्लुर ने बताया कि निमोनिया की शुरुआत आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है। जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है तो तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है।पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में बहुत दिक्कत हो सकती है।

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