किशनगंज : जिले में टीबी उन्मूलन के लिए सभी की सहभागिता जरुरी : सिविल सर्जन
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प्रति वर्ष विश्व भर में 1 करोड़ लोग टीबी से होते हैं ग्रसित।
- तीन या अधिक सप्ताह तक खाँसी होने पर तुरंत कराएं टीबी जाँच।
- टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स करना जरुरी।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, टीबी उन्मूलन को लेकर पूरे देश में युध्स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सूबे के साथ जिला भी कृत संकल्पित है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की इस दिशा में जिले में भी कई स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। टीबी रोगियों की ससमय पहचान, समुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना एवं टीबी रोगियों को निःशुल्क चिकित्सकीय सेवा प्रदान करने जैसे कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। वहीं, अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान करने के लिए निजी अस्पताल एवं चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। टीबी उन्मूलन के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को एकजुट होने की जरूरत है। सभी की सहभागिता से ही टीबी को हराया जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष विश्व भर में लगभग 1 करोड़ लोग टीबी से ग्रसित होते हैं। टीबी की रोकथाम एवं उपचार संभव होने के बाद भी विश्व भर में 1.5 लाख लोगों की जान चली जाती है। वहीं, एचआईवी पीड़ित मरीजों में टीबी मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी बनता है। इस लिहाज से यह काफ़ी जरुरी है कि टीबी के प्रति लोग जागरूक रहें। टीबी के शुरूआती लक्षणों की पहचान कर इसके ससमय ईलाज से टीबी पूर्णता ठीक हो जाता है। इसके लिए सभी सरकारी अस्पतालों में भी टीबी की निःशुल्क जाँच एवं दवा उपलब्ध है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है जो एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया (माइकोबेक्ट्रियम ट्यूबरक्लोसिस) के कारण होता है। टीबी फेफड़ों को प्रभावित करता है। कफ एवं इसके साथ खून का आना, तीन सप्ताह या इससे अधिक समय तक बुखार का रहना, कमजोरी, वजन का अचानक कम जाना एवं रात में अधिक पसीना आना जैसे लक्षण टीबी के हो सकते हैं। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दे तो तुरंत टीबी की जाँच करानी चाहिए। सभी जिले के सरकारी अस्पतालों में टीबी के निःशुल्क जाँच की सुविधा उपलब्ध है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की टीबी का सम्पूर्ण ईलाज संभव है। सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क दवा भी उपलब्ध है। लेकिन यदि टीबी की दवा बीच में छोड़ी जाती है तो एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंस) टीबी होने का अधिक खतरा होता है। एमडीआर-टीबी सामान्य टीबी की तुलना में अधिक ख़तरनाक होता है।एमडीआर-टीबी में टीबी की प्रथम पंक्ति की दवाएं एक साथ प्रतिरोधक हो जाती है। जिसके ईलाज में सामान्य टीबी की तुलना में अधिक समस्या होती है। वहीं, जिले स्तर पर टीबी जाँच की रिपोर्ट कुछ मिनटों में देने के लिए सीबी नेट एवं ट्रू नेट मशीन भी स्थापित किये गए हैं। इन मशीनों की सहायता से रिपोर्ट भी कम समय में प्राप्त होती है एवं एमडीआर टीबी के पहचान में भी कारगर है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया की टीबी रोगियों को ईलाज के दौरान बेहतर पोषण की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को प्रति माह 500 रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। इसके लिए सबसे जरुरी है कि मरीज का पंजीकरण निक्षय पोर्टल पर हो। यह राशि मरीज के बैंक एकाउंट में सीधे भेजी जाती है।