30 मार्च को राजस्थान का स्थापना दिवस है।जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।इस मौके पर हम आपको बता रहा है यहां के कल्चर के बारे में। मालुम हो की राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां के राजघरानों और महलों की चर्चा विदेशों तक में होती है।जो आज भी उसी ठाठ के साथ रहते हैं, लेकिन कई किस्से ऐसे भी हैं जिसमें राजस्थान सहित देश के कुछ राजघराने गुमनामी का शिकार हो गए।आज हम आपको बताने जा रहा है अर्श से फर्श तक पहुंचने वालीं ऐसे ही 10 रियासतों की कहानियां।
25 कारों के मालिक इस पूर्व राजा ने रिक्शा चलाकर किया गुजारा..
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 60 किमी दूर टिगिरिया रियासत के पूर्व राजा ब्रजराज महापात्रा कई नौकर-चाकर और 25 कारों के मालिक थे।इनके पूर्वजों ने राजस्थान से टिगिरिया जाकर एक नई रियासत बसाई थी।तिगिरिया के राजा ओडिशा के आखिरी शासक माने जाते थे।एक जमाने में उनके पास 25 लग्जरी कारें हुआ करती थीं।उनके महल में करीब 30 नौकर काम किया करते थे।वह अपने इलाके में अपने शाही शिकार के लिए भी मशहूर थे।उन्होंने 13 बाघों और 28 तेंदुओं का शिकार किया।हालांकि,आजादी के बाद उनका यह साम्राज्य धीरे-धीरे अपनी चमक खोता चला गया।आजादी के बाद इस राज परिवार से राजस्व उगाही के अधिकार ले लिए गए और उन्हें महज 130 पाउंड की पेंशन पर रहने को मजबूर कर दिया गया।इसके चलते राजपरिवार को महज 600 पाउंड में अपना पूरा महल बेचना पड़ा।बाद में इंदिरा सरकार ने पेंशन भी बंद कर दी।राजपरिवार के वारिस ब्रजराज क्षत्रिय बीरबर छामुपति सिंह को गांव वालों की दया पर झोपड़ी में बचा-खुचा जीवन गुजारना पड़ा था। 30 नवंबर 2015 को 95 साल की उम्र में इस राजा की मौत हो गई थी।
बुंदेलखंड की गौरिहार रियासत के दिवंगत राजा प्रताप सिंह जू देव की पत्नी सरोज कुमारी भी प्रॉपर्टी को लेकर चर्चा में थीं।1959 में राजा के निधन के बाद पत्नी सरोज कुमारी विधायक भी रहीं,लेकिन उनके पास जमा पूंजी के नाम पर नाममात्र की चीजें थीं।रानी सरोज कई वर्षों तक उस भवन में रहने लगीं, लेकिन दोनों बेटियों की शादी हो जाने और बेटा न होने के बाद वे अपने मायके लखनऊ चली गईं थीं, जिसके बाद भतीजा और देवरानी उसके हिस्से में रहने लगे।भतीजे ने प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाने का प्रयास किया तो रानी सरोज कुमारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।इसके बाद महल के किचन, टॉयलेट और बाथरूम को कब्जे के डर से सील कर दिया गया था।
बहादुर शाह जफर की 6वीं पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले जियाउद्दीन किराए के घर में पेंशन पर गुजार रहे हैं।जियाउद्दीन टकी मौजूदा समय में वह भी परिवार चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार एक न एक दिन उनके पुर्खों की संपत्ति उनके वंशजों को जरूर सौंप देगी।वह भारत सरकार की ओर से बंद की गई मुगल वंशजों की 100 रुपए की स्कॉलरशिप को भी फिर से शुरू करवाना चाहते हैं।टकी के दो बच्चे हैं और उनका गुजारा भी पेंशन पर ही चलता है।उनकी मांग है कि सरकार को मुगलों को 8000 रुपए प्रति माह की पेंशन देनी चाहिए।मौजूदा समय में उन्हें 6000 रुपए की पेंशन मिलती है। वह हैदराबाद में किराए के घर में अपना जीवन बिता रहे हैं।
सुल्ताना परिवार चलाने के लिए चाय की दुकान चलाती हैं मालुम हो की भारत पर करीब 300 साल तक मुगलों ने शासन किया।मुगल शासक अकबर को इतिहास के 10 सबसे अमीर लोगों में शुमार किया जाता है।मुगल सल्तनत के आखिरी वारिस बहादुर शाह जफर को 1857 के युद्ध में अंग्रेजों से पराजित होकर गद्दी छोड़नी पड़ी।मौजूदा समय में उनके प्रपौत्र की पत्नी सुल्ताना बेगम कोलकाला के दो कमरों के छोटे से घर में जिंदगी गुजार रही हैं।सुल्ताना बेगम के पति मिर्जा बख्त की मौत 1980 में हो गई थी।इसके चलते उनके वंशजों को दो कमरे के छोटे से घर में दिन गुजारना पड़ रहा है।उन्हें करीब 6000 रुपए की पेंशन मिलती है।इससे उनके परिवार का खर्च पूरा नही हो पाता।वे परिवार का खर्च चलाने के लिए वह चाय की दुकान चलाती हैं और महिलाओं के कपड़े बेचती हैं।
1750 के आसपास त्रावणकोर राज्य काफी शक्तिशाली और बड़ा हुआ करता था।उसी दौरान राजा ने अपनी सारी संपत्ति को पद्मनाभ मंदिर को सौंपने का निर्णय लिया।पद्मनाभ स्वामी इस राजपरिवार के कुल देवता भी थे।बाद में अंग्रेजों के साथ एक संधि के तहत त्रावणकोर राज परिवार ने अपनी 50,000 सेना से छुटकारा पा लिया और ब्रिटिश सेना रखने की एक संधि पर दस्तखत किए।फिलहाल आजादी के बाद इस परिवार से भी प्रिवी पर्स छीना गया।बाद में 2011 में पद्मनाथ मंदिर की खजाने में बड़े पैमाने पर सोने चांदी की खोज हुई।सरकार ने इस सोने को अपने कब्जे में ले लिया।राजपरिवार को उसके मंदिरों के खजाने से हाथ धोना पड़ा
अवध के नवाब वाजिद अली शाह की वंशज शकीना इन दिनों दिल्ली के एक घर में अपनी गुजर-बसर कर रही हैं। इस परिवार से ताल्लुक रखने वाली शहजादी शकीना महल और उनके एक चचेरे भाई मौजूदा समय में दिल्ली के मल्छा महल में रहते हैं।एक समय में इस परिवार के पास भी छत नहीं थी, लेकिन सरकार के साथ 9 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उनके हिस्से में यह इमारत आई।बताया जाता है कि यह इमारत तुगलक के दौर की है।साथ ही उन्हें 500 रुपए प्रति माह की पेंशन भी मिलती है।इसी से उनका गुजारा हो रहा है।
सनवर अली शाह दक्षिण के महान योद्धा टीपू सुल्तान के वंशज है।1799 में मौत से पहले टीपू सुल्तान के पास करीब 90,000 सैनिकों के अलावा तीन करोड़ रुपए थे।मौजूदा समय में उनके वंशज अपना परिवार पालने के लिए रिक्शा चलाते हैं।सनवर और उनके भाई दिलावर शाह कोलकाता की टीपू सुल्तान शाही मस्जिद के पास रहते हैं।दोनों भाई परिवार चलाने के लिए रिक्शा चलाते हैं।दिलावर बताते हैं कि वह रोजाना रिक्शा खींचकर करीब 300 रुपए कमा लेते हैं और इसी से परिवार का पेट चलता है।टीपू सुल्तान की कुल 12 संतानों में से सिर्फ 5 ही बच सकी थीं।उसमें से सिर्फ दो मुनरुद्दीन और गुलाम मुहम्मद के बारे में ही जानकारी है।ये दोनों इसी परिवार का हिस्सा माने जाते हैं।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले स्थित नौगुवां रियासत की राजकुमारी बेबीराजा और रानी युवरानी की मुफलिसी भी चर्चा में आई थी।दरसअल, महल में गुजर-बसर कर रहीं मां-बेटी की दूध वाले ने हत्या कर दी थी।कभी इस घराने के पास अकूत प्रॉपर्टी थी।पर वक्त के साथ सब कुछ बदल गया और इन्हें आम परिवारों की तरह गुजर-बसर करना पड़ रहा था।नैगुवां राजपरिवार की रानी के पास सबसे बड़ी संपत्ति के रूप में रियासत का महल है।सामान के नाम पर कमरे में कुछ प्लास्टिक की कुर्सियां पडी थीं और एक ओर मामूली इलेक्ट्रिक रूम हीटर रखा हुआ था।महारानी और राजकुमारी के जिस्मों पर बेहद साधारण पहनावा था।वहीं, रानी के पति रायविजय बहादुर सिंह की मौत पांच साल पहले एक सड़क हादसे में हो गई थी।राजकुमारी की शादी नहीं हुई थी, वे अपनी मां के साथ ही रह रही थीं।वे गांव में साइकिल से चलती थी।
हैदराबाद के आखिरी निजाम उस्मान अली खान का शाही परिवार 100 करोड़ रुपए का मालिक हुआ करता था।इन निजाम की रियासत में सोने-चांदी के सिक्के होने के अलावा करोड़ों रुपए के हीरे-जवाहरात की अपार दौलत थी।185 कैरेट हीरे भी इनकी संपत्ति में शामिल थे, जिनकी कीमत करीब करोड़ों रुपए थी।उस्मान अली के हरम में 86 पत्नियां रहती थीं, जिनसे 100 बच्चे हुए थे।1990 में करीब 400 वारिसों ने उनकी संपत्ति पर क्लेम कर दिया, जिसमें निजाम अपना सब कुछ खो बैठे।
मुकर्रम जहां हैदराबाद के आखिरी निजाम उस्मान अली खान के पौत्र हैं।आजादी के बाद हैदराबाद रियासत का भारत में विलय कर दिया गया था।हैदराबाद के आखिरी निजाम को अब तक का सबसे अमीर भारतीय माना जाता है।आजादी के समय उनके पास कुल 200 करोड़ रुपए की संपत्ति थी।यह राशि उस वक्त अमेरिका की इकोनॉमी का 2 फीसदी और भारत की कुल जीडीपी के बराबर थी।मौजूदा समय में वह तुर्की के शहर इस्तांबुल के छोटे से फ्लैट में दिन गुजार रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने 5 शादियां कीं।मौजूदा समय में मुकर्रम और उनके कुछ अन्य भाई अपने परिवार की संपत्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं।इस रॉयल फैमिली की संपत्ति का बड़ा हिस्सा ब्रिटेन के रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में जमा है, जिसे लेकर निजाम के परिवार के अलावा भारत और पाकिस्तात के बीच कोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है।इस संपत्ति में तब के नेटवेस्ट बैंक में जमा 10 लाख पाउंड की रकम भी शामिल है, जिसकी मौजूदा कीमत करीब 300 करोड़ रुपए बताई जाती है।
रिपोर्ट-टीम केवल सच
Post Views: 155