किशनगंज : ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर हो रही खानापूर्ति, खनन व इंट्री माफिया की बल्ले बल्ले, रोज सरकारी खजाने पर डाला जा रहा डाका..

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले का एक मात्र मुख्य सड़क जो बंगाल से बिहार होते हुए वापस बंगाल को जाति है। प्रशासन के द्वारा उस सड़क पर खुलेआम किसी बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण दिया जा रहा है। गौरतलब हो कि जिले के वीर कुंवर सिंह बस स्टैंड के समीप से जो सड़क गुजरती है। उसी मार्ग से बड़े वाहनों से लेकर छोटे वाहनों का परिचालन होता है। प्रशासन के द्वारा कहीं पर भी ट्रैफिक की व्यवस्था नहीं की गई है। बस स्टैंड के पास ट्रैफिक लाइट लगाई भी गई है तो केवल दिखावे के लिए लगाई गई है। मुख्य सड़क पर जेबरा क्रॉसिंग तक नहीं है। वाहनों का कोई रूट तय नहीं है। जिसको जैसे मन होता है उसी तरफ अपनी गाड़ी मोड़ लेता है। जिस वजह से कई बार जाम तो कई बार सड़क दुर्घटना की भी बात सामने आती है। बस स्टैंड के बगल में एक पुलिस चौकी भी बनाई गई थी वह भी केवल दिखावा ही साबित होता नजर आ रहा है। एक पुलिस कर्मी केवल उस पुलिस चौकी में बैठते है। किशनगंज में केवल खानापूर्ति के लिए कार्य किया जा रहा है। जिले में बंगाल नंबर की कई बसे बीच रोड में ही गाड़ी खड़ी कर सवारी उठाते है मगर परिवहन विभाग के अधिकारी भी नदारद बने हुए हैं। किसी को कोई फर्क नही पड़ रहा है। मानो की किशनगंज में लूट की छूट हो। भला हो भी क्यों नही सारे प्रावधान और तिक्रम बाजी इन्ही लोगो के हाथों में है। किसपे कार्रवाई करना है किसपे मेहरबानी..चाहे बिहार सरकार का राजस्व पर दिन दहाड़े डाका ही क्यों न डाला जाता हो। अपना काम बनता भांर में जाये जनता के फार्मूला पर किशनगंज में कार्य हो रहा। ओवर लोड ट्रक हो बालू खनन का हो, मिट्टी का खनन हो प्रमुखता के साथ खबर समय समय पर प्रकाशित भी किया गया। ताकि अधिकारियों की नींद टूटे और इंट्री माफिया और खनन माफिया पर संबंधित विभाग कार्रवाई करे। पर कार्रवाई तो दूर अधिकारी वहाँ झांकने तक नही जाते। यही कारण किशनगंज में नियम और कानून को ताक पर रखकर माफिया बिहार सरकार के राजस्व के साथ खिलवाड़ कर दिन दहाड़े सरकारी खजाने पर डाका डाल रहे है। क्या संबंधित विभाग ये बता पाएगी की पिछले एक माह में कितने बालू माफिया पर कार्रवाई हुई और कितने डोजर मशीन, (बालू निकालने वाला) जब्त किया गया। या कितने ओवर लोड ट्रक को सीज किया गया। या कितने इंट्री माफिया पर कार्रवाई ? कुछ नही। तब माफिया का मनोबल तो बढ़ेगा ही। एक विभागीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार सरकार द्वारा संबंधित विभाग के अधिकारी (डीटीओ, एमभीआई, आरटीओ) को एक टारगेट दिया जाता है कि एक माह में (23 से 25 लाख रुपए) ओवर लोड ट्रक को फाइन कर सरकार के खजाने में फाइन की राशि जमा करना है। ये तकरीबन 8 से 10 दिनों में आराम से फाइन पूरा हो जाता है उसके बाद आगे आप सभी जानते है कि क्या होता होगा बताने की जरूरत नही है। किशनगंज में गुप्त और उच्च स्तरीय जांच का विषय है कि इंट्री माफिया माफिया, खनन माफिया किन किन अधिकारी पदाधिकारी के कृपा के पात्र है जो कार्रवाई करने से कतराते है। और ज्यादा मीडिया बाजी हुआ तो दो चार छोटा मोटा वाहन को फाइन कर वाहवाही लुटवाते है। आखिर कब तक किशनगंज के लोगो को यह सब देखना होगा। खनन माफिया और इंट्री माफिया पर कार्रवाई होगी भी या सिर्फ टाइम पास किया जाता रहेगा।