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ठाकुरगंज : दिन दहाड़े बिना रोक टोक खनन माफियाओ द्वारा क्षेत्र को बनाया जा रहा है खंडर।

खनन विभाग कार्रवाई क्यों नही कर रही है क्या राज है..?किशनगंज-ठाकुरगंज/फरीद अहमद, जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत जियापोखर थाना क्षेत्र और सुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत बदस्तूर उत्खनन का सिलसिला जारी है और यह सिलसिला बेरोकटोक जारी है। जिस पर खनन विभाग का बिल्कुल ही ध्यान नहीं है खबर के माध्यम से कई बार ध्यान आकर्षित करवाने के पश्चात भी अब तक खनन माफियाओं पर कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। आखिर खनन विभाग इस तरह के उत्खनन को लेकर क्यों उदासीन है। ठाकुरगंज प्रखंड के सुखानी थाना क्षेत्र अंतर्गत अत्यधिक खुदाई से बेड मिसाइल जैसा बालू देखने को मिला जो जगह-जगह छोटा-छोटा टीला बना कर रखा हुआ है और माफिया इसको बेच कर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं और सरकार के राजस्व में आए दिन भारी नुकसान पहुंचाया जा रहे है।गौरतलब हो कि ईंट भट्टा का सीजन आते ही लगातार उक्त क्षेत्रों में उत्खनन शुरू हो जाता है। उत्खनन के कारण देखते ही देखते क्षेत्र खंडहर में तब्दील होता जा रहा है लेकिन किसी को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। देखते ही देखते खेतिहर जमीन जैसे क्षेत्र से गायब होती नजर आ रही है इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं कि जब लोग ठाकुरगंज को खंडहर ठाकुरगंज के इलाके के नाम से जानेंगे और यह सब ईंट भट्टा के इजाफा के कारण और उत्खनन माफियाओं के रहमो करम का नतीजा यह खंडहर होगा। कई जगह पर इतनी गहराई से उत्खनन किया गया है कि उस स्थान से पत्थर मिश्रित बालू भी निकल आया है। इलाके को खंडहर होने से रोकने के लिए उच्च स्तरीय जांच कर और खनन करने वाले को चिन्हित कर कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि खेतिहर जमीन भी बची रहे और इलाका खंडहर ना हो।गौरतलब हो कि ईंट भट्टा का सीजन आते ही क्षेत्र में उत्खनन का सिलसिला शुरू, खनन माफियाओं द्वारा क्षेत्र को खंडर में तब्दील होने से कोई रोक नही सकता। क्यों कि आज कल खनन विभाग मौन धारण में है। जो कि उच्च स्तरीय जांच का विषय है कि खबर के माध्यम से कई बार विभाग को ध्यान आकर्षित करवाने के पश्चात भी अब तक न जांच और ना ही किसी प्रकार का कार्रवाई। कार्रवाई नही होने से माफियाओं के तांडव जारी है जिससे सरकार के राजस्व के क्षति के साथ आम जन का नुकसान हो रहा है। गौर करे कि जिस क्षेत्र में खनन जो रहा हो उस क्षेत्र के लगभग 10 किलोमीटर की जमीन अंदर से कमजोर हो जाती है। शायद खनन विभाग को इसकी जानकारी न हो पर सच्चाई यही है।

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