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कैबिनेट ने सरकारी कंपनियों को बिना किसी जुर्माने के गैर-परिचालन वाले कोयला खदानों को वापस करने के लिए वन-टाइम विंडो देने की मंजूरी दी

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कई कोयला खदान, सरकार को वापस मिलने और वर्तमान नीलामी नीति के अनुसार उन्हें नीलाम किए जाने की संभावना

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज कोयला मंत्रालय के उस प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें केंद्र और राज्‍य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बिना किसी जुर्माने (बैंक गारंटी की जब्ती) और बिना कोई कारण बताए गैर-परिचालन वाली खदानों को सरकार को वापस करने के लिए वन-टाइम विंडो देने का प्रावधान है। इस फैसले से कई कोयला खदानें सरकार को वापस मिल सकती हैं, जिन्हें वर्तमान में आवंटन प्राप्त सरकारी पीएसयू विकसित करने की स्थिति में नहीं हैं या इस कार्य में उनकी कोई रुचि नहीं है तथा वर्तमान नीलामी नीति के अनुसार उनकी नीलामी की जा सकती है। आवंटन प्राप्त सरकारी कम्पनियों को खदान वापस करने की स्वीकृत नीति के प्रकाशन की तिथि से तीन माह में कोयला खदानों को वापस करने का समय दिया जाएगा।

2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोयला ब्लॉकों को रद्द करने के बाद, ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में तात्कालिक व्यवधान को रोकने के लिए सरकार ने आवंटन के जरिये राज्य और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को कई रद्द किए गए कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे। आवंटन का काम तेजी से किया गया और यह उम्मीद की गयी कि राज्य विद्युत उत्पादन कंपनियों को कोयले की आवश्यकता उन ब्लॉकों से पूरी हो जाएगी। राज्य/केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा देय राजस्व की हिस्सेदारी, प्रति टन के आधार पर तय की गयी, जबकि निजी क्षेत्र को इसके लिए बोली लगानी होती है। उस समय के कोयला ब्लॉकों के आवंटन के संदर्भ में, कोयला ब्लॉकों के परिचालन के लिए समय-सीमा की शर्तें बहुत कठोर थीं और सफल आवंटी या नामित प्राधिकारी के लिए छूट की कोई संभावना नहीं छोड़ी गई थी। कोयला खदानों के परिचालन में देरी के लिए दंड के परिणामस्वरूप विवाद हुए और अदालती मामले सामने आए।

दिसंबर-2021 तक, सरकारी कंपनियों को आवंटित 73 कोयला खदानों में से 45 खदानें गैर-परिचालन अवस्था में निष्क्रिय पड़ीं रहीं और 19 कोयला खदानों के मामले में, खनन कार्य शुरू करने की नियत तारीख पहले ही समाप्त हो चुकी है। विलंब की वजहें, आवंटियों के नियंत्रण से बाहर थीं, उदाहरण के लिए, कानून-व्यवस्था के मुद्दे; पहले घोषित किए गए क्षेत्र की तुलना में वन के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी; भूमि अधिग्रहण के खिलाफ भूस्वामियों का प्रतिरोध; कोयला संसाधनों की उपलब्धता के संदर्भ में भूगर्भीय अप्रत्याशित तथ्य।

कोयला क्षेत्र, देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा की कुंजी है। अनुमोदन के तहत, अच्छी गुणवत्ता वाले कोयला ब्लॉक जिन्हें जल्दी आवंटित किया गया था, को फिर से काम लायक बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए तकनीकी कठिनाइयों को दूर किये जाने और सीमाओं को समायोजित किये जाने की जरूरत है। इसके बाद, इन्हें हाल ही में शुरू की गई वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी नीति के तहत इच्छुक पक्षों को दिया जा सकता है। कोयला ब्लॉकों के शीघ्र परिचालन से रोजगार मिलेगा, निवेश को बढ़ावा मिलेगा, देश के पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान प्राप्त होगा, अदालती विवादों में कमी आयेगी और व्यापार करने में आसानी को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे देश में कोयले के आयात में कमी आएगी।

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