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किशनगंज : जिले में सक्रिय टीबी रोगियों की पहचान में जुटे हैं स्वास्थ्यकर्मी, घर-घर जाकर टी.बी. पर्यवेक्षक कर रहे हैं स्क्रीनिंग।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, दो हफ्ते की खांसी टी.बी. के डर को जगाता है जैसे स्लोगन के माध्यम से यक्ष्मा के सक्रिय मरीजों की पहचान जिले में लगातार की जा रही है। राष्ट्रीय टी.बी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में संभावित टीबी रोगियों की पहचान वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षकों के द्वारा घर-घर जाकर की जा रही है। इसी क्रम में जिले के महेशबथना स्थित स्वास्थ्य केंद्र में संभावित टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग की गई व मरीजों के सैंपल लिए गए हैं। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार ने बताया सभी प्रखंड में यक्ष्मा पर्यवेक्षक टीबी के एक्टिव केस की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया चिह्नित मरीजों का डॉक्टर के माध्यम से इलाज किया जायेगा। इसकी मॉनिटरिंग नियमित की जा रही है।

टीबी के लक्षण :

  • दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना-पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।
  • रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंडे का क्यों न हो।
  • लगातार बुखार रहना।
  • थकावट होना।
  • वजन घटना
  • सांस लेने में परेशानी होना।

बचाव के तरीक :

  • जांच के बाद टीबी रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।
  • मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें।
  • मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।
  • मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।
  • पौष्टिक खाना खाएं, योगाभ्यास करें।
  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जाने से बचें।

डॉ. देवन्द्र कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों से समाज के लोगों को किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को टीबी मरीजों के इलाज में सहयोग करना चाहिए। अगर हमलोग इलाज में सहयोग करेंगे तो जल्द से जल्द समाज टीबी से मुक्त होगा। इसलिए मरीजों के इलाज के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। जागरूक लोगों को टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बात करनी चाहिए। मानसिक तौर पर मरीजों का सहयोग करना चाहिए। उन्होंने टीबी मरीजों से कहा कि यह एक संचारी रोग है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में ड्रॉपलेट के जरिये आसानी से फैलता है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। जांच में अगर पुष्टि हो जाती है तो दवा का सेवन शुरू कर दें। टीबी का इलाज सरकार की तरफ से बिल्कुल ही मुफ्त है। यह सभी तरह के सरकारी अस्पताल में होता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी इसके समुचित इलाज की व्यवस्था है। यदि किसी को तीन सप्ताह तक लगातार खांसी हो या फिर खांसी में खून आने लगे, बुखार और कफ आने की शिकायत हो तो तत्काल जांच कराएं।महेशबथना स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत सीएचओ शिक्षिता साहा ने कहा कि आजकल अधिकतर घरों में मधुमेह के मरीज देखे जा रहे हैं। इस वजह से लोग संतुलित आहार लेते हैं। लोग पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। इससे भी लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए अगर किसी के घर में मधुमेह के मरीज हों तो डॉक्टर से पूछकर अपना आहार तालिका बनाएं, ताकि कुपोषण का शिकार होने से बचें और टीबी जैसी बीमारी से बचाव हो सके। उन्होंने निकट के आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चो की स्क्रीनिग भी की और बताया कि टीबी को लेकर बच्चों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे के पोषण में अगर कमी हो जाए तो उसे आसानी से टीबी अपनी चपेट में ले लेता है। इसलिए कम बच्चे ही अच्छे होते हैं। अगर आपके कम बच्चे होंगे तो उसका सही से ध्यान रख पाएंगे। उसके पोषण के प्रति जागरूक रहेंगे और वह टीबी समेत दूसरी बीमारियों से बचा रहेगा।

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