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*अनावश्यकआरोप-प्रत्यारोप स्वस्थ प्रजातंत्र के लिये हितकर नहीं।।…*

रणजीत कुमार सिन्हा बिहार में चुनाव तो शांतिपूर्वक संपन्न हो चुके हैं। चुनाव आयोग ने नई विधान सभा का विधिवत गठन भी कर दिया है। विधान सभा का नया सत्र भी शुरू हो गया है। विधान सभा अध्यक्ष का चुनाव भी है आज। शक्ति परीक्षण तो होगा ही। जब भी बहुमत का अंतर ज्यादा नहीं रहता है, तो शक्ति परीक्षण की गुजांइश रहती ही हैं। लेकिन, पिछले दो दिनों से जो भी देखने में आ रहा है, उससे मैं दुखी हूँ । यह प्रजातंत्र के लिए अच्छा नहीं है। चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप तो होते ही हैं । लेकिन, जब विधान सभा का गठन हो गया है, तो सभी दलों को, सभी नेताओं को मिलकर बिहार के विकास के बारे में बात करनी चाहिए। बिहार कैसे समृद्ध हो, संपन्न हो, आगे बढ़े इसकी चिंता होनी चाहिये। अब भी तरह-तरह के विवाद उत्पन्न किये जा रहे हैं, वह उचित नहीं है। प्रजातंत्र का एक नियम है जो एक शेर के माध्यम से मैं कहना चाहूँगा । ‘‘दुश्मनी जमकर करो, पर इतनी गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त बन जायें, तो शर्मिंदा न हो।’’ आर.के. सिन्हा )

 

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