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एशिया का पहला डाॅलफिन रिसर्च सेंटर 30 करोड़ की लागत से पटना में-उपमुख्यमंत्री।।…..

पूरे देश के डाॅल्फिन की मध्यम आबादी 1,455 बिहार में बिहार में गंगा का पानी जलीय जीवन के अनुरूप है

त्रिलोकीनाथ प्रसाद पटना 15.09.2020मंगलवार को प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बिहार में अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 543 करोड़ की लागत से परियोजनाओं के उद्घाटन व शिलान्यास के लिए आयोजित कक्षा समारोह में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ‘प्रोजेक्ट डाॅल्फिन’ की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी। दी। धन्यवाद देते हुए कहा कि पटना विश्वविद्यालय के 2 एकड़ परिसर में 30.52 करोड़ की लागत से एशिया का पहला डाॅल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना की जा रही है।

श्री मोदी ने कहा कि उस 2018-19 के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे देश में 3031 डाॅल्फिन में से लगभग आधी संख्या 1455 बिहार में पाए गए हैं। सुल्तानगंज-कहलगाँव के 60 किमी क्षेत्र को ‘बिक्रमशिला गांगेय डाॅल्फिन सेन्चुरी’ घोषित किया गया है।

गंगा किनारे के 57 ऐसे सबसे अधिक प्रदूषण पैदा करने वाले उद्योगों की पहचान की गई हैं जहां जीरो लिक्विड डिस्चार्ज और एक-एक इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर औद्योगिक कचरे के बहाव को रोका गया है जिसके परिणामस्वरूप गंगा बिहार बिहार में औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त है। 34 स्थानों से संग्रहित गंगा जल की जांच में उसे जलीय जीवन के अनुरूप पाया गया है, लेकिन मल-जल व सीवों के पानी के कारण गंगा जल पीने और स्नान करने योग्य नहीं है।

155.88 करोड़ की लागत से गंगा किनारे के 12 जिलों जिनमें बक्सर, भोजपुर, वैशाली, छपरा और पटना में 103 कलस्टर में जैविक खेती की जा रही है। 2005 के पहले के 15 वर्षों की 1,114.62 करोड़ की तुलना में एनडीए सरकार के 15 साल में नगर विकास का खर्च 34 गुना बढ़ कर 34,217.49 करोड़ हो गया है।

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