एक जनवरी को मुलायम सिंह यादव ने दो आदेश जारी किए थे।पहले आदेश में उन्होंने सीएम अखिलेश यादव के अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया था।दूसरे लेटर में उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंद को इस अधिवेशन में जाने के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था।कुछ घंटों के अंतराल में जारी हुए इन दो लेटर्स में मुलायम के दस्तखत मेल नहीं खाते।ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि इन दोनों में से असली सिग्नेचर कौन सा है ? इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि क्या मुलायम की जगह कोई अन्य पार्टी से जुड़े फैसले ले रहा है ? बतादें कि मुलायम के फैसलों में दूसरे लोगों के दखल की आशंकाएं सीएम अखिलेश भी जता चुके हैं।पिता के खिलाफ तख्ता पलट’ की अपनी पहल को वाजिब बताते हुए अखिलेश ने रविवार को कहा था कि कुछ लोगों ने मुलायम पर काबू कर लिया है।वे अपने मन मुताबिक कागजात पर मुलायम के हस्ताक्षर लेकर फैसले करवा रहे हैं।जब अखिलेश ‘बाहरियों’ के यादव परिवार और पार्टी में दखल देने की बात कह रहे थे तो यह शायद उनकी ओर से पिता मुलायम की खराब होती सेहत को लेकर की गई पहली टिप्पणी थी।अखिलेश ने यह भी कहा था,चुनाव में बस तीन महीने का वक्त बाकी है।कह नहीं सकते कि लोग किस तरह के दस्तावेज पर उनके (मुलायम) साइन करवा लें या उनसे किस तरह के फैसले करवा लें।पार्टी के हित के मद्देनजर मुझे दखल देना पड़ा।आखिर में अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है तो नेताजी से ज्यादा खुश और कोई नहीं होगा।वह मेरे नेता ही नहीं,पिता भी हैं।मैं उनका सम्मान करता रहूंगा।कोई भी इस पिता-पुत्र संबंध को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
मुलायम समर्थक माने जाने वाले एसपी नेता सीपी राय ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि कई बार भावनाओं में इंसान के दस्तखत थोड़े अलग हो जाते हैं।राय के मुताबिक,चूंकि साइन करनेवाले मुलायम की ओर से लेटर की प्रामाणिकता पर सवाल नहीं उठाए गए,ऐसे में किसी एक लेटर को फर्जी कहना गलत है।उधर अखिलेश समर्थक किरणमय नंद ने आशंका जताई कि मुलायम की जगह पर पार्टी में कोई और फैसले ले रहा है।बतादें कि इस साल सितंबर में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने से जुड़े मुलायम के फैसले के लिए अखिलेश ने एक टाइपराइटर को जिम्मेदार ठहराया था।विवाद पैदा करने और मुलायम को उनके खिलाफ भड़काने का आरोप लगाते हुए अखिलेश ने कहा था कि अमर सिंह ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने से जुड़ा लेटर टाइप करवाया था।सीएम ने कहा था,’लेटर टाइप करवाने में वक्त लगता है।अमर सिंह ने अपने ऑफिस से टाइपराइटर मंगवाया।क्या आपने इससे पहले सुना है कि किसी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने से पहले लेटर जारी करने के लिए नेताजी के घर पर टाइपराइटर मंगवाया गया हो ? वो भी ऐसे शख्स को हटाने के लिए जिसे नेताजी ने खुद नियुक्त किया हो ?
कुर्सी आज इतनी बड़ी हो गई कि सरेआम आपस में जा भिड़े अखिलेश और मुलायम सिंह ।
समाजवादी पार्टी की कलह ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।वैसे तो ये कहानी उसी वक़्त शुरू हो गई थी,जब शिवपाल यादव मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में करवाना चाहते थे।लेकिन अब पार्टी और परिवार का कलह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।अभी कुछ वक़्त पहले ही एक बैठक के दौरान मुलायम सिंह के सामने ही शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया था।ये मामला मीडिया में बहुत उछला था।शिवपाल ने कहा था,पार्टी के लिए मैंने बहुत संघर्ष किया है।गांव-गांव जाकर हमने नेताजी की चिट्ठियां बांटी है।महीनो हमने साइकिल चलाया है।उन्होंने ये भी कहा था कि चार वर्षों के शासनकाल में हमने राज्य के करीब सभी जिलों का तीन-तीन बार दौरा किया है।
इसी दौरान पार्टी के किसी कार्यकर्ता ने कह डाला कि आप पार्टी के हेलीकॉप्टर से गए थें।इतने में ही शिवपाल ने अपना आपा खो दिया और उन्होंने कह डाला कि,हेलीकॉप्टर क्या तुम्हारे बाप का है।मैं सरकार में मंत्री था।शिवपाल ने अखिलेश समर्थकों को भी जमकर लताड़ लगाई और कहा कि पार्टी केवल तुम्हारे नारों से खड़ी नहीं हुई है,इसके लिए नेताजी ने अपने खून-पसीने बहाया हैं।बस इसी तरह मामला बहुत बिगड़ गया था।शिवपाल ने भरी सभा में ही मुख्यमंत्री को झूठा ठहरा दिया वो भी उस वक़्त जब अखिलेश भाषण दे रहे थें।शिवपाल ने बीच में ही उनसे माईक छीन लिया,और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर बरस पड़ें थे।मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच तनाव कितना बढ़ गया है ये बात किसी से छुपी नहीं है।और आज हालात इतने बिगड़ गए हैं कि दो बाप बेटे आपस में सबके सामने भीड़ गए। जी हाँ ! वीडियो में देखें चुनाव सर पर हैं,और ऐसे में कैसे भीड़ गए मुलायम और अखिलेश यादव आपस में…