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पारस एचईसी हॉस्पिटल रांची के डाo ने 56 वर्षीय महिला का लिगामेंट रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी कर घुटने की प्रत्यारोपण की जरूरत को टाला

रांची: पारस एचईसी हॉस्पिटल रांची अस्पताल में एक 56 वर्षीय महिला मरीज की आर्थ्रोस्कोपिक पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (पीसीएल) रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी कर घुटने प्रत्यारोपण टाला गया।

ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. निर्मल कुमार और उनकी टीम ने महिला का सफल सर्जरी कर उसकी महीनों से छिनी गतिशीलता को वापस दिला दी। डॉ निर्मल ने कहा कि महिला की उम्र को देख डॉक्टरों ने नी प्रत्यारोपण कराने की सलाह दिया था। महिला लगातार दर्द, सूजन और घुटने की अस्थिरता से परेशान थी। राज्यभर के कई डॉक्टरों से परामर्श में बताया गया कि उसकी समस्या “उम्र” और “ऑस्टियोआर्थराइटिस” से संबंधित है। उपचार न मिलने की निराशा में वह महानगर में इलाज के लिए जाने की तैयारी कर चुकी थी। इसके बाद महिला ने पारस एचईसी हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से संपर्क किया।

डॉ. निर्मल कुमार ने मरीज को आर्थ्रोस्कोपिक पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट रिकंस्ट्रक्शन की सलाह दी। सर्जरी के बाद मरीज को नई जिंदगी मिल गई है। ऑपरेशन के बाद मरीज के दर्द में भारी कमी आई और घुटने की स्थिरता में सुधार देखा गया।

डॉ निर्मल ने कहा कि जब वह मेरे पास आई, वह भावनात्मक रूप से टूट चुकी थी। कई दवाएं ले चुकी थीं। फिजियोथेरेपी करा चुकी थीं, लेकिन कोई सुधार नहीं था। उम्र किसी भी मरीज के सही उपचार में बाधा नहीं बननी चाहिए। 50 के उम्र के बाद हर घुटने का दर्द ऑस्टियोआर्थराइटिस नहीं होता। कई मामलों में सही निदान ही बदलाव ला सकता है।

डॉ निर्मल ने आम लोगों से अपील किया है कि चोट के बाद 1–2 सप्ताह में दर्द या सूजन में सुधार न होने पर विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूर लें। सही समय पर सही निदान कई अनावश्यक पीड़ाओं को रोक सकता है।

मरीज ने कहा कि कई महीनों से दर्द और भ्रम में जी रही थी कि अब मेरा इलाज नहीं हो पाएगा। लेकिन पारस हॉस्पिटल एचईसी में आकर मेरा सफल सर्जरी की गई है।

पारस हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने कहा कि पारस हॉस्पिटल में आर्थोपेडिक से संबंधित सभी प्रकार के बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। यह केस भी पारस हॉस्पिटल के लिए एक चुनौती था, लेकिन अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इसका सफल इलाज कर उस महिला को एक नई जिंदगी दी है।

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