*21वीं सदी की चुनौतियों को अवसर में बदल रहे हैं कायस्थ — राजीव रंजन प्रसाद*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, ::जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा के अवसर पर पटना में आयोजित विभिन्न पूजा स्थलों पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और कायस्थ समाज को एकता, शिक्षा और संगठन के माध्यम से आगे बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “कायस्थ समाज इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों को अवसर में बदल रहा है”, और आज का समय प्रतिस्पर्धा का है, जिसमें सशक्त होकर ही समाज और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया जा सकता है।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त की आराधना केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतना है जो न्याय, ज्ञान और कर्म की भावना से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि कायस्थ समुदाय ऐतिहासिक रूप से प्रशासन, शिक्षा, कला, और पत्रकारिता के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, और आज भी यह समाज अपने योगदान से देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक, शिक्षा, और आर्थिक विकास के इस दौर में कायस्थ युवाओं को डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। उन्होंने यह संदेश दिया कि अब समय केवल अपनी परंपराओं का सम्मान करने का ही नहीं है, बल्कि उन्हें आधुनिक मूल्यों के साथ जोड़ने का भी है।
इस अवसर पर उन्होंने पटना के विभिन्न चित्रगुप्त पूजा पंडालों अशोक नगर चित्रगुप्त पूजा समिति, मनोकामना मंदिर, इंदिरा नगर, हनुमान नगर, लोहानीपुर, दरियापुरगोला, कदमकुआं, रुकुनपुरा, बेउर, ठाकुरबाड़ी, चित्रगुप्त समाज अनिसाबाद, आशियाना नगर, श्रीकृष्णा नगर और किदवईपुरी में जाकर श्रद्धालुओं से मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएँ दी।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि जीकेसी का उद्देश्य कायस्थ समाज को एक वैश्विक मंच प्रदान करना है ताकि समाज के बौद्धिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजनाबद्ध कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि “जब समाज संगठित होगा, तभी वह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में प्रभावी योगदान दे सकेगा।”
इस अवसर पर जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन, ग्लोबल उपाध्यक्ष सह बिहार प्रदेश अध्यक्ष दीपक अभिषेक, राष्ट्रीय समन्वयक सह जिला महासचिव धनंजय प्रसाद, अनिल दास, नम्रता आनंद, अतुल श्रीवास्तव, राहुल मणि, रविंद्र किशोर और प्रसून प्रकाश भी उपस्थित थे। सभी ने कायस्थ समाज की एकता और प्रगति के लिए संकल्प लिया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त केवल कायस्थों के आराध्य देवता नहीं है, बल्कि न्याय और सत्य के प्रतीक हैं, जिनकी शिक्षा समाज में पारदर्शिता और समानता की भावना जगाती हैं। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी एक स्वर में कहा कि वे शिक्षा, सेवा और सद्भाव के माध्यम से कायस्थ समाज को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में योगदान देंगे।
राजीव रंजन प्रसाद के इस प्रेरक संदेश ने यह स्पष्ट किया है कि इक्कीसवीं सदी का कायस्थ केवल परंपरा का संरक्षक नहीं है, बल्कि परिवर्तन का वाहक भी है, जो चुनौतियों को अवसर में बदलकर समाज और राष्ट्र दोनों के विकास में अपनी भूमिका निभा रहा है।
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