किशनगंज : जिले में एएनसी जांच की गुणवत्ता में सुधार की पहल
नियमित जांच से सुरक्षित मातृत्व की दिशा में बड़ा कदम

किशनगंज,22अक्टूबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास जारी है। इसी क्रम में जिला प्रशासन के निर्देश पर गर्भवती महिलाओं की गुणवत्तापूर्ण एएनसी (Antenatal Care) जांच सुनिश्चित करने की पहल शुरू की गई है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक गर्भवती महिला गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण से ही नियमित जांच कराए, ताकि प्रसवकालीन जटिलताओं और एचआरपी (High Risk Pregnancy) जैसे मामलों की ससमय पहचान और रोकथाम संभव हो सके।
पहली जांच से शुरू होती है सुरक्षित मातृत्व की यात्रा
जिलाधिकारी विशाल राज ने बताया कि प्रथम तिमाही में ही गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उनका एएनसी पंजीकरण और जांच सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को कम से कम चार बार एएनसी जांच करानी चाहिए ताकि मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य का समुचित आकलन हो सके। “मां बनने की तैयारी वास्तव में पहली एएनसी जांच से ही शुरू होती है। इससे जटिलताओं की पहचान के साथ पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,” जिलाधिकारी ने कहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि गुणवत्तापूर्ण एएनसी जांच से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में प्रभावी कमी आएगी।
स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर जांच और परामर्श सुविधा
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों और एपीएचसी में गर्भवती महिलाओं को जांच के साथ पोषण एवं स्वास्थ्य परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान ने एएनसी जांच को सशक्त बनाया है। अब जांच के परिणामों के आधार पर व्यक्तिगत परामर्श और उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। एनीमिया, रक्तचाप और शुगर जैसी समस्याओं का समय पर पता चलने से जटिल प्रसव के मामलों में कमी आई है।
एचआईवी और सिफलिस जांच से शिशु संक्रमण की रोकथाम
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान एचआईवी और सिफलिस जांच को अनिवार्य किया गया है। इसके लिए सभी एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह जांच मां और नवजात दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। शुरुआती जांच से संक्रमण को नियंत्रित करने में बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। विभाग द्वारा जांच की गुणवत्ता और संख्या बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता भी लगातार दी जा रही है।
जांच की गुणवत्ता सुधार से एचआरपी मामलों पर नियंत्रण
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि एचआरपी मामलों की पहचान अब एएनसी जांच के माध्यम से संभव हो रही है। ब्लड प्रेशर, हेमोग्लोबिन लेवल, यूरिन टेस्ट और वजन जैसी बुनियादी जांचों से गर्भावस्था के जोखिमों का सही आकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “गुणवत्ता सुधार का अर्थ केवल जांच करना नहीं, बल्कि हर जांच को उपयोगी बनाना है ताकि जटिलताओं की समय रहते पहचान और उपचार हो सके।”
सकारात्मक बदलाव की दिशा में आगे बढ़ता जिला
सिविल सर्जन ने बताया कि जिले में मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है। आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं के माध्यम से गांव-गांव जाकर महिलाओं को एएनसी जांच के महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एएनसी जांच केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि “मां बनने की तैयारी का पहला कदम” है। इस पहल से किशनगंज जिला सुरक्षित और सम्मानजनक मातृत्व की दिशा में स्थायी सुधार की ओर अग्रसर है।