किशनगंज : गृह प्रसव मुक्त पंचायत की ओर कदम : सुरक्षित मातृत्व के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर
मां और शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा विशेष अभियान

किशनगंज,10अक्टूबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, गृह प्रसव की घटनाओं को समाप्त कर जिले की प्रत्येक पंचायत को “गृह प्रसव मुक्त पंचायत” बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष अभियान की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गर्भवती महिला घर पर प्रसव करने को मजबूर न हो, बल्कि अस्पताल में सुरक्षित वातावरण में प्रसव कराए। अभियान के केंद्र में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना और ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है।
संस्थागत प्रसव से ही सुरक्षित मातृत्व संभव
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी विशाल राज के निर्देशानुसार गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान को जिलेभर में गति दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में प्रसव से मां और नवजात शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और किसी भी जटिलता की स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय सहायता मिलती है। लक्ष्य है कि कोई भी महिला प्रसव के लिए घर पर निर्भर न रहे।
जागरूकता और सेवाओं का विस्तार
अभियान के तहत गांव-गांव में आशा कार्यकर्ता और एएनएम गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिवारों को संस्थागत प्रसव के महत्व की जानकारी दे रही हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और जननी सुरक्षा योजना के तहत आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही 102 और 108 एंबुलेंस सेवाएं 24 घंटे सक्रिय रखी गई हैं ताकि किसी भी महिला को अस्पताल पहुंचने में कठिनाई न हो।
टेढ़ागाछ प्रखंड की पहल बनी मिसाल
टेढ़ागाछ प्रखंड में भी अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित बीएलटीएफ (BLTF) बैठक में निर्देश दिया गया कि सभी गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जाए। पंचायत प्रतिनिधियों और आंगनवाड़ी सेविकाओं को भी अभियान में शामिल किया गया है ताकि समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
प्रशिक्षण और निगरानी पर विशेष बल
आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को सतत प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे प्रसव पूर्व जांच से लेकर सुरक्षित प्रसव तक महिलाओं की देखभाल कर सकें। अभियान की प्रगति पर जिला स्तर से नियमित निगरानी की जा रही है ताकि जहां आवश्यकता हो, तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
मां और शिशु की सुरक्षा सर्वोपरि
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि संस्थागत प्रसव से मां और शिशु की जान की सुरक्षा होती है। मां को बेहतर देखभाल, शिशु को तुरंत टीकाकरण और परिवार को आर्थिक सहयोग मिलता है। प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार ने कहा कि “गृह प्रसव मुक्त पंचायत” अभियान के माध्यम से जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी महिला अज्ञानता, भय या संसाधनों की कमी के कारण घर पर प्रसव न करे।
टेढ़ागाछ समेत जिले के सभी प्रखंडों में स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिबद्धता और सामुदायिक सहयोग से यह अभियान ग्रामीण मातृत्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई मिसाल बनने जा रहा है।