अररिया : बिहार में ‘मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना’ शुरू, विलुप्तप्राय कला रूपों के संरक्षण पर जोर

अररिया,02 अगस्त(के.स.)। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और दुर्लभ एवं विलुप्तप्राय कला रूपों को संरक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना की शुरुआत की है। योजना के तहत युवा प्रतिभाओं को विभिन्न पारंपरिक एवं शास्त्रीय कला रूपों में विशेषज्ञ गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाएगा।
जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, अररिया ने बताया कि यह योजना बिहार की लोक कला और शास्त्रीय विधाओं को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अंतर्गत गौरियाबाबा, भरथरी बाबा, दीनाभद्री, राजा सलहेश, सती बिहुला जैसी लोक गाथाएं, विदेशिया, नारदी, डोमकुछ, बिरहा जैसे लोकनाट्य, पाईका, कर्मा, झरनी जैसे लोकनृत्य, सुमंगली, चैता, पूरबी जैसे लोकसंगीत, सारंगी, रुद्र वीणा, शहनाई जैसे लोक वाद्य यंत्रों सहित पटना कलम, सिक्की कला जैसी पारंपरिक चित्रकलाओं को संरक्षण देने का लक्ष्य है।
योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- प्रशिक्षण अवधि: 2 वर्ष (माह में कम से कम 12 दिन)
- वित्तीय सहायता: गुरु को ₹15,000/माह, संगत कलाकार को ₹7,500/माह, चयनित शिष्य को ₹3,000/माह
- चयन प्रक्रिया: गुरुओं का चयन विभाग द्वारा विशेषज्ञ समिति के माध्यम से, जबकि शिष्यों का चयन गुरुओं एवं जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा।
प्रशिक्षण पूर्ण होने पर विभाग द्वारा दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें गुरु और शिष्य अपनी कला का प्रस्तुतिकरण करेंगे।
अधिक जानकारी के लिए इच्छुक कलाकार जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, अररिया के कार्यालय (खेल भवन) से संपर्क कर सकते हैं।
रिपोर्ट/धर्मेन्द्र सिंह