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फोर्टिफाइड चावल तैयार करने के गुर सीखेंगे मिलर।..

• विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम की हुई शुरुआत
• 7 जुलाई तक 25 चरणों में होगा प्रशिक्षण
• फोर्टिफाइड चावल की गुणवत्ता बेहतर करने पर जोर
• सभी जिलों के मिलरों को मिलेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ

त्रिलोकी नाथ प्रसाद :खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने फोर्टिफाइड चावल मिलरों के लिए फॉर ट्रेस कार्यान्वयन एवं क्यूए/क्यूसी (गुणवत्ता आश्वासन/नियंत्रण) पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 27 मई 2025 से 7 जुलाई 2025 तक 25 चरणों में आयोजित होगा, जिसमें राज्य के सभी जिलों के मिलर शामिल होंगे।

*फोर्टिफाइड चावल की गुणवत्ता बेहतर करने पर जोर*

फोर्टिफाइड चावल की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए यह प्रशिक्षण वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट गीताश्री फूकन के मार्गदर्शन में दिया जा रहा है। विभाग का यह कदम फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन और वितरण की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बिहार में पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने और फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इसको लेकर पिछले दिनों खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने सभी जिलों के जिला पदाधिकारियों को लिखे अपने पत्र में फोर्टिफाइड चावल से संबंधित सभी मिलरों के लिए प्रशिक्षण आयोजित कराने तथा उससे संबंधित रिपोर्ट विभाग को उपलब्ध कराने को कहा है।

*विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहयोग से हो रहा आयोजित*

इस प्रशिक्षण का उद्देश्य फोर्टिफाइड चावल उत्पादन में फॉर ट्रेस प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना, चावल की गुणवत्ता (क्यूए/क्यूसी) संबंधी मानकों की जानकारी देना, इससे जुड़े मिलरों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना तथा उन्हें उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी जानकारी देना है।
यह प्रशिक्षण विश्व खाद्य कार्यक्रम (वर्ल्ड फूड प्रोग्राम) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों से प्रतिक्रिया और सुझाव भी लिए जाएंगे।

*जानें क्या है फोर्टिफाइड चावल?*

फोर्टिफाइड चावल एक विशेष प्रकार का चावल है, जिसमें कुपोषण से निपटने के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आयरन, फोलिक एसिड, और विटामिन बी12 को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानकों के अनुसार जोड़ा जाता है। यह चावल मुख्य रूप से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाओं के माध्यम से वितरित किया जाता है।

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