PMCH में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली: ट्रॉली और स्ट्रेचर की कमी से मरीजों की जान जोखिम में – बबलू कुमार
मरीजों के अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं – PMCH की अव्यवस्था पर बबलू कुमार ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अधीक्षक को लिखा पत्र
कुणाल कुमार/पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) बिहार का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, लेकिन यहां मरीजों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। ₹5,540 करोड़ की लागत से PMCH के पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है, फिर भी इमरजेंसी वार्ड में मरीजों को ट्रॉली और स्ट्रेचर जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
आम आदमी पार्टी बिहार के प्रदेश प्रवक्ता बबलू कुमार ने बताया कि 06 मार्च 2025 को पटना-बख्तियारपुर फोरलेन पर तेज रफ्तार हाइवा ट्रक ने एक टेम्पू को टक्कर मार दी, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन घायलों को PMCH लाया गया, लेकिन वहां की कुव्यवस्था और लापरवाही के कारण दो मरीजों की मौत हो गई, जबकि तीसरे मरीज को समय पर इलाज न मिलने के कारण निजी अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा।
बबलू कुमार ने कहा कि यह स्थिति सरकार और प्रशासन की घोर लापरवाही को दर्शाती है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक नागरिक को जीवन और स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार प्राप्त है, लेकिन PMCH की अव्यवस्था इस अधिकार का हनन कर रही है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली – कानूनों का उल्लंघन
1. संविधान के अनुच्छेद 21 – जीवन और स्वास्थ्य सेवा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
2. संविधान के अनुच्छेद 47 – राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए काम करे।
3. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 – उचित स्वास्थ्य सेवा न मिलना मानवाधिकार हनन की श्रेणी में आता है।
4. इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 एवं क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010 – हर अस्पताल को मरीजों के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं, लेकिन PMCH में इन कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है।
CM, स्वास्थ्य मंत्री और अधीक्षक को पत्र भेजकर सुधार की मांग
बबलू कुमार ने इस गंभीर स्थिति पर मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और PMCH अधीक्षक को पत्र लिखकर तत्काल सुधार की मांग की। पत्र में उन्होंने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. PMCH इमरजेंसी वार्ड में ट्रॉली और स्ट्रेचर की संख्या तुरंत बढ़ाई जाए।
2. मरीजों की देखभाल के लिए आवश्यक मेडिकल स्टाफ की तत्काल नियुक्ति की जाए।
3. स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाने के लिए हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम को सुदृढ़ किया जाए।
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आम आदमी पार्टी Specific Relief Act, 1963 के तहत माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर करेगी।