किशनगंज : यौन हिंसा पीड़ितों के लिए न्याय की नई पहल
फोरेंसिक साक्ष्य और कानूनी प्रक्रिया पर विशेषज्ञों ने दी विस्तृत जानकारी, किशनगंज में चिकित्सा अधिकारियों के लिए जिला स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित, यौन हिंसा के पीड़ितों को त्वरित चिकित्सा और न्याय दिलाने पर दिया गया विशेष जोर
किशनगंज,06फरवरी(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, समाज में बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं को देखते हुए पीड़ितों को त्वरित चिकित्सा सहायता, कानूनी परामर्श और न्याय दिलाने की दिशा में किशनगंज के सदर अस्पताल में सर्वाइवर सेक्सुअल वायलेंस पर आधारित चिकित्सा अधिकारियों का जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण गुरुवार को आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन, और जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार की उपस्थिति रही। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य यौन हिंसा पीड़ितों के लिए संवेदनशील और प्रभावी चिकित्सा प्रक्रिया सुनिश्चित करना था, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को भी मजबूती मिल सके।
प्रशिक्षण सत्र के दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने चिकित्सा अधिकारियों को पॉक्सो एक्ट 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376, 354, 509 के तहत कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। इन धाराओं के तहत यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें मेडिकल साक्ष्यों की भूमिका अहम होती है।
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने कहा कि “यौन हिंसा के मामलों में चिकित्सा प्रक्रिया केवल एक उपचार भर नहीं होती, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया की नींव होती है। फोरेंसिक जांच और मेडिकल रिपोर्ट को सटीक और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाना चाहिए ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।” सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने बताया कि पीड़िता पहले से ही मानसिक आघात से गुजर रही होती है, ऐसे में चिकित्सा जांच के दौरान उसे सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिलना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी पीड़िता अस्पताल में खुद को असहज महसूस न करे।”
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेंद्र कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया कि “पॉक्सो एक्ट और IPC की धाराओं के अनुसार, यौन हिंसा के पीड़ितों को संवेदनशीलता के साथ मेडिकल सहायता मिलनी चाहिए। किसी भी पीड़िता का बयान और मेडिकल रिपोर्ट न्याय के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। चिकित्सा अधिकारियों को चाहिए कि वे कानूनी प्रावधानों को समझें और पूरी निष्पक्षता से कार्य करें। हमारा प्रयास है कि हर पीड़ित को न्याय मिले और समाज में यौन अपराधों पर रोक लगाई जा सके।”
सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे बताया कि यौन हिंसा के मामलों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। किशनगंज जिले में इस दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि पीड़ितों को त्वरित सहायता और न्याय मिल सके।
कार्यक्रम के अंत में अधिकारियों ने संकल्प लिया कि वे हर पीड़ित को न्याय दिलाने और उन्हें सुरक्षा देने के लिए अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाएंगे। इस तरह के प्रशिक्षण से न केवल चिकित्सा अधिकारियों की क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि समाज में यौन हिंसा के मामलों को रोकने में भी मदद मिलेगी।