भाकपा का इतिहास बलिदान और संघर्षों है:सत्रुघ्न प्रसाद सिंह
कुणाल कुमार/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक गुरुवार को पटना में शुरू हुई। बैठक की अध्यक्षता मिथिलेश कुमार झा, सुरेंद्र सौरभ और सुरेंद्र सिंह मुन्ना की अध्यक्ष मंडली ने की। पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने बैठक का एजेंडा पेश की। पूर्व सांसद सत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बिहार पार्टी के 85 वें वर्षगांठ पर प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का बलिदान और संघर्षों इतिहास है। हम ने शहादत दी है। सामाजिक और राजनीतिक लड़ाई लड़ी है। आज के दौर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका बढ़ गई है। लोकतंत्र और संविधान पर महले हो रहे हैं।
है। उन्होंने कहा कि एक क्रांतिकारी के लिए राजनीति असम्भव का सम्भव बनाने की कला है। यह कार्य सिर्फ आत्मगत आग्रह से नहीं, मौजूदा शक्तिसंतुलन को बदलने की यथार्थपरक दृष्टि और कार्रवाई से ही सम्भव है। सत्ता के प्रति उपजे जनाक्रोश, किसानों का संघर्ष, दशकों संघर्ष के बाद मजदूरों को मिले अधिकारों, लोकतंत्र और हमारा संविधान आज गम्भीर खतरे में पड़ गया है। जम्हूरियत के बहुसंख्यक संप्रदायीकरण की आरएसएस-भाजपा षड़यंत्रों के बरक्स इस नापाक गठबंधन को तोड़ने के लिए वामपंथी जनवादी शक्तियों की एकजुटता ही मौजूदा दौर की मांग है।
शताब्दी वर्ष में हम अपने हिरावल दस्ते के बल पर अपनी जिम्मेवारियों को पूरा करते हुए एक नए देश का निर्माण करेंगे, इसी शपथ के साथ संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करते हुए समतावादी सामाजिक परिवर्तन की नई मशाल लेकर नए राष्ट्र का निर्माण पूरा करेंगे।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा ने राष्ट्रीय परिषद की फैसले की रिपोर्टिंग की। उन्होंने का पार्टी का शताब्दी वर्ष 26 दिसम्बर को शुरू हो रहा है। शताब्दी वर्ष 26 दिसम्बर 2024 से लेकर 26 दिसम्बर 2025 तक मनाये जाएंगे। इसी दौर में भाकपा का 25 वाँ राष्ट्रीय महाधिवेशन 21 से 25 सितंबर 2025 तक चंडीगढ़ में आयोजित किये जायेंगे।