बिहार विधानसभा में आयोजित हुआ 85वाँ अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारी सम्मेलन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला ने संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने की कही बात
अमित कुमार/राजधानी पटना में आज बिहार विधान सभा के सेंटर हॉल में आयोजित 85वाँ अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का विधिवत् उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला के कर कमलों द्वारा किया गया। यह सम्मेलन मुख्य रूप से संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान पर विचार-विमर्श को लेकर था।
देश के सभी प्रांतों से आये पीठासीन अधिकारियों एवं बिहार विधानसभा के सदस्याें से विधानसभा का सेंट्रल हॉल खचाखच भरा पड़ा था। कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों में पहली उपस्थिति बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह एवं बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नारायण यादव की हुई। उसके बाद संसदीय कार्य एवं ग्रामीण विकास मंत्री बिहार, श्रवण कुमार ने शिरकत किया। बाद में राज्यसभा के सभापति हरिवंश सिंह के साथ ही राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और बिहार विधान परिषद के उप सभापति प्रोफेसर रामवचन राय भी सभागार में उपस्थित हुए।
हॉल में बैठे सभी आगंतुकों को लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला का था, तभी उनका आगमन हॉल के भीतर होते ही सभी लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। ओम विडला के साथ बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव भी उपस्थित थे। बता दें कि सर्वप्रथम राष्ट्रगान से कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ। इसके बाद मंचासीन अतिथियाें द्वारा द्वीप प्रज्जवलित किया गया। इसके बाद बिहार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला जी को अंग वस्त्र और मेमोन्टो देकर स्वागत किया गया। वही प्रोफेसर रामवचन राय द्वारा श्रवण कुमार को एवं नरेन्द्र नारायण यादव द्वारा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को अंगवस्त्र एवं मेमोन्टों देकर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने बिहार की गौरवगाथा का परिचय दिया और आज के दिन को ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आजादी के पहले और बाद में अब तक का बिहार में यह तीसरा पीठासीन अधिकारियाें का सम्मेलन कराया गया। उन्हाेंने याद दिलाते हुए कहा कि इसी विधानसभा में प्रथम राष्ट्रपति डॉú राजेन्द्र प्रसाद और पूर्व राष्ट्रपति डॉú जाकिर हुसैन, प्रतिभा देवी पाटिल, रामनाथ काविंद का भी आगमन हुआ है। इसके साथ ही विधानसभा के शताब्दी वर्ष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आये थे।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया तथा बिहार के पर्यटन में हो रहे विकास पर भी जोर डाला। अगले वक्ता के रूप में संसदीय कार्य एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री बिहार सरकार श्रवण कुमार ने नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा अध्यक्ष को इस सम्मेलन के लिए धन्यवाद दिया। वही राज्यसभा के सभापति हरिवंश सिंह ने बिहार के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा छात्रआें की साइकिल और पोषाक योजना की शुरूआत को अंतराष्ट्रीय चर्चा का विषय बताया। उन्हाेंने नीतीश कुमार द्वारा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला भारत का पहला राज्य बतलाते हुए नीतीश कुमार को बधाई दिया। वही उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को बिहार में आयोजन होने का तीसरा मौका बतलाया। उन्हाेंने बिहार की गौरवगाथा पर चर्चा करते हुए बतलाया कि बिहार को मगध के नाम से भी जाना जाता है और इसका क्षेत्र बहुत बड़ा था। उन्हाेंने कहा कि बिहार में पर्यटन के साथ-साथ विकास का नया आयाम गढ रहा है। उपमुख्यमंत्री ने बिहार को शिक्षा का केंद्र बताते हुए नालंदा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशीला विश्वविद्यालय पर चर्चा की। उन्हाेंने लोकसभा अध्यक्ष को कहा कि ‘आप कोटा से हैं और कोटा में सबसे ज्यादा पढ़ने और पढ़ाने वाले बिहार के हैं’। बिहार में टॉप से लेकर बॉटम तक के मजदूर देश के अन्य प्रांतों में हैं। उन्हाेंने कहा कि सबसे ज्यादा आईएएस-आईपीएस बिहार से ही होते हैं। साथ ही उन्होंने भाषा पर जोर देते हुए कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी-अपनी भाषाएं हैं। देश में सभी हिंदी बोलते हैं किंतु बिहार में पांच प्रकार की भाषाएं बोली जाती है। उन्होंने पर्यटन पर चर्चा करते हुए कहा कि राम मंदिर बन गया, मां जानकी मंदिर बन रहा है और आगे लव-कुश के मंदिर का भी निर्माण कराने की बात कही। 85वाँ अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में आये अधिकारियाें को उन्होंने सलाह दी की, सदन के अंदर कानून बनाये जाते हैं, उसको गंभीरता से लेकर सरकार तक पहुंचाने का काम किया जाये। सभी दल भी बनाये गये कानून का पालन सही से करे इसकी रिपोर्ट त्वरित तैयार करने की जरूरत है और इस पर भी चर्चा होनी चाहिए। अंत में लोकसभा अध्यक्ष ओम विडला ने अपने भाषण में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आग्रह पर यह सम्मेलन बिहार में किया गया, जिसकी खुशी है। उन्हाेंने कहा कि जब भी सदन के भीतर किसी मुद्दे या कानून को लाया जाता है तब देखा जाता है कि विरोध में अमर्यादा आ जाती है। सभी दलाें को मिलकर इस पर ध्यान देना होगा। संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान जरूरी है और इस पर चर्चा होनी चाहिए।