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किशनगंज : 9 मई को जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जच्चा-बच्चा के सुरक्षित जीवन का सफल प्रयास, बीमार नवजातों के लिए सदर अस्पताल में संचालित है एसएनसीयू।

मां बनने पर मिलते हैं 5 हजार रुपये, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ परियोजना के सभी सुयोग, माताओं को मिले।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सरकार के लगातार स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाने का नतीजा है कि अब बिहार की गर्भवती महिलाएं स्वयं और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को गंभीरता से ले रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं प्रसवोत्तर जांच कराने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंच रहीं हैं। इस साल अप्रैल तक देशभर में बिहार को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। जबकि, उत्तर प्रदेश पहले और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा। केंद्र व राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग के स्तर से जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। ताकि, सुरक्षति प्रसव के साथ-साथ मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं, जिसका सकारात्मक असर भी दिख दिख रहा है। लेकिन, जिले के ग्रामीण इलाकों में अभी भी ऐसे गांव हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने के बजाए परिजन घरेलु प्रसव व निजी क्लिनिक में ले जाते हैं। जो जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ कोचाधामन परियोजना के सभी सुयोग माताओं को मिले। उक्त बाते पोठिया प्रखंड के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी जीनत यस्मिन ने कही सदर अस्पताल परिसर में कही। साथ ही बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना स्वस्थ भारत के परिकल्पना की बुनियाद है। इस योजना के तहत प्रथम बार मां बनने वाली माताओं को पांच हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है, जो सीधे गर्भवती महिलाओं के खाते में पहुंचती है। इस योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को तीन किस्तों में दिया जाता है। पहली किस्त एक हजार रुपए की तब दी जाती है जब गर्भवती महिला अंतिम मासिक चक्र के 150 दिनों के अंदर गर्भावस्था का पंजीकरण कराती है। दूसरी किस्त में दो हजार रुपए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के एक माह पूरा होने के बाद कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच करने पर दी जाती है। तीसरी और अंतिम किस्त में दो हजार रुपए बच्चे के जन्म के पंजीकरण के उपरांत एवं प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद प्रदान की जाती है। साथ ही उन्होंने बताया की बाल सुलभ मॉडल आंगनबाड़ी के उन्नयन और विकसित करने का उद्देश्य परियोजना स्तर पर उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करके समुदाय और दूसरे आंगनबाड़ी केंद्र को प्रेरित करने का है। इसके लिए चयनित आंगनबाड़ी में समेकित बाल विकास सेवाओं को बेहतर रूप से प्रदान करने के लिए भौतिक वातावरण में उपयुक्त और टिकाऊ बदलाव करने का प्रयास किया जा रहा है। रविवार को सदर अस्पताल परिसर में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पीएमएसएमए शुरू किया गया। इसके अभियान के तहत लाभार्थियों को प्रत्येक महीने की 9 तारीख़ को प्रसव पूर्व देखभाल सेवा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। किसी माह में 9 तारीख को रविवार या अवकाश होने पर अगले कार्य दिवस पर आयोजित किया जाता है। यहां आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में निःशुल्क अल्ट्रासाउंड, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हीमोग्लोबिन, वजन, रक्त जांच और एचआईवी की जांच की जाती है और दवाइयां दी जाती हैं। इस अभियान के तहत उक्त सेवाएं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी, सीएचसी, डीएच, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों आदि पर उपलब्ध कराई जाती है। गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ और चिकित्सक द्वारा की जाती है। इसके लिए निजी चिकित्सकों की भी सहायता ली जाती है ताकि सेवा का लाभ गर्भवती महिलाओं को सुचारू रूप से मिल सके।

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