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किशनगंज : बाल हृदय योजना : जिले के 02 बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया पटना, हाथ-पांव के टेढ़ापन का सफल इलाज के लिए भी भागलपुर भेजा जा चुका है, स्क्रीनिंग से लेकर आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहन।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रही है। इसी क्रम में जिले के 02 ऐसे बच्चे जिनके दिल में जन्म से ही छेद है, को इलाज के लिए पटना भेज गया है। सरकार द्वारा “बाल हृदय योजना” के द्वारा ऐसे बच्चों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इतना ही नहीं जरूरत होने पर उन्हें सरकारी खर्चे पर अहमदाबाद भेजकर ऑपरेशन भी करवाई जाती है। इसके लिए रविवार को पटना में अहमदाबाद के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा हृदय में छेद से ग्रसित बच्चों की जांच किया जायेगा। जांच के लिए जिले से दो बच्चों को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम द्वारा पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान भेजा गया है। इन दो बच्चों में फरहाना नाज (44 माह) कोचाधामन एवं सैफुर रहमान (20 माह) दिघलबैंक प्रखंड से है। जो जन्म से ही दिल में छेद की समस्या से ग्रसित हैं। सभी बच्चों को उनके परिजन के साथ पटना भेजा गया है। सभी बच्चों की इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना में स्क्रीनिंग की गई है। बच्चो को भेजने के दौरान जिला कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ मुनाजिम, जिला कार्यक्रम समन्वयक विस्वजित कुमार एवं आरबीएसके के डॉ. ब्रहमदेव शर्मा उपस्थित थे।
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया दोनों बच्चों को सफल इलाज के लिए जांच के बाद एम्बुलेंस से पटना भेजा गया है। जहां राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जांच के बाद उसका सफल इलाज किया जायेगा। इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। इसके अलावा 03 बच्चे जो हाथ–पाँव के टेढ़ापन से ग्रसित थे, उन्हें इलाज के लिए भागलपुर जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कोलेज भेजा गया है। वहीं अन्य 03 बच्चो को पटना भेजा जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए बीमारी के गंभीर होने की स्थिति में उन्हें आवश्यक जांच व इलाज के लिए बड़े अस्पताल रेफर किया जाता है, जहां उनका समुचित इलाज किया जाता है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच भेजा जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिसीज, डेवलपमेंट डिले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है। आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया सुशासन के कार्यक्रम (2020-2025) के अन्तर्गत आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ‘‘सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा’’ अन्तर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था की गयी है। जिसमें स्वीकृत नई योजना ‘‘बाल हृदय योजना’’ कार्यक्रम के तहत ऐसे बच्चों का इलाज किया जाना है। योजना 1 अप्रैल, से लागू है। प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाऊंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद आधारित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है तथा इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि बच्चों की शुरुआती स्क्रीनिंग से लेकर बच्चों के आने-जाने का खर्च बिहार सरकार वहन करती है। उन्होंने बताया बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या/बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है। वही आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कोरोना काल में न्यूरल ट्यूबे डीफेक्ट के सफल इलाज के लिए भेजने में आरबीएसके टीम का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। जो जिम्मेवारी दी गई थी उसे बखूबी निर्वहन किया गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 30 रोगों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग के लिए पूरी टीम जिले में मुस्तैदी से कार्यरत है। जिले में बाल हृदय योजना से छह बच्चों को नया जीवनदान मिलेगा। इस योजना के तहत बच्चों को नि:शुल्क सर्जरी के साथ ही आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध करायी जाएगी।

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