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यदि स्कूल बच्चों को पढ़ाना ही चाहती है तो सिर्फ आधे घण्टे ही क्यों ?

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, आज के महामारी काल में सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।आज कल बच्चों को मोबाइल पर व्हाट्सएप्प के द्वारा करीब आधे घण्टे स्कूल के शिक्षकों द्वारा पढा दिया जाता है, फिर बहुत सारा होम वर्क दे दिया जाता है।बस, शिक्षक की जिम्मेवारी खत्म।अब यहाँ से शुरू होती है बच्चों के साथ साथ उनकी माँ की एक्सरसाइज।सारा दिन उस बच्चे को उसकी माँ ही पढ़ाती है जिससे उनके स्वयं के कार्य में बाधा हो तो हो।सारा दिन बच्चे मोबाइल लेकर होमवर्क के पीछे अपनी शारीरिक क्रिया को छोड़कर सिर्फ अपनी नन्ही नन्ही आंखों पर ही जोर देते हैं, जिससे उन बच्चों की आंखें भविष्य में जल्दी ही खराब होने की प्रबल संभावना है, क्योंकि सभी बच्चों के पास लैपटॉप नहीं होने के कारण उन्हें मोबाइल की छोटी छोटी स्क्रीन पर ही अपना ध्यान व अपनी आंखें केंद्रित करनी पड़ती है।स्कूल तो बस आधे घण्टे पढा कर पूरे दिन के हिसाब से महीने की फीस आज भी बच्चों के अभिभावकों को भेज रही है, परन्तु अपना दायित्व सिर्फ आधे घण्टे में पूरा कर रही है।निष्कर्षतः बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास किसी भी हद तक सफल नहीं है, अपितु ये मासूम बच्चों की भविष्य के साथ खिलवाड़ है।यदि स्कूल बच्चों को पढ़ाना ही चाहती है तो सिर्फ आधे घण्टे ही क्यों ??? नियमित रूप से सभी विषयों की पढ़ाई करवाएँ, फिर अपनी फीस की माँग अभिभावक से करें।उपरोक्त किसी भी सूरत में मासूम बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास हानिप्रद ही है।इससे बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा ही पहुंचती है।अतः उपरोक्त सारी बातों को ध्यान में रखते हुए हम सभी को उपरोक्त बातों की जानकारी प्रशासन को देनी चाहिए और हम लोगों को स्वयं ही अपने बच्चों को किताबों के जरिये पढ़ाना शुरू करना चाहिए।

Adv Rakesh Kumar Mishra

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