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झारखंड-बिहार में पाई गई है कई निजी बैंकों के अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका,शुरुआती दिनों में करेंसी देने में की मनमानी,आंतरिक तफ्तीश और निगरानी शुरू…

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रांची केंद्र सरकार के 500-1000 के पुराने नोट वापस लेने के फैसले ने निजी बैंकों के कुछ प्रभावी लोगों को खूब मालामाल किया।ऐसे लोगों ने मौके का इस्तेमाल नई करेंसी बगैर हिसाब-किताब और रिकार्ड के उदार भाव से देने में किया।झारखंड और बिहार में ऐसे निजी बैंकों के अधिकारी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।खुद बैंकों की आंतरिक सतर्कता इकाइयों ने तफ्तीश के बाद यह पाया है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और कालाधन खपाने में कुछ अधिकारियों की संलिप्तता भी पाई गई है।सतर्कता एजेंसियों ने भी इस बाबत निजी बैंकों से जानकारी तलब की है।अगर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सबूत मिले तो इन्हें गिरफ्तारी कर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।एक सप्ताह पूर्व नई दिल्ली में भी एक अग्रणी निजी बैंक के दो अधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्त में लिया था।उन अधिकारियों के सूत्र झारखंड-बिहार से भी जुड़े हो सकते हैं।ऐसे तमाम बिंदुओं पर कड़ी निगरानी की जा रही है।यहां एक अग्रणी निजी बैंक के प्रमुख अधिकारी ने बताया कि मुख्यालय से सतर्कता बरतने के खास निर्देश जारी किए गए हैं।जिन अधिकारियों की कालाधन खपाने में सक्रियता पाई जाएगी उनके खिलाफ तत्काल एक्शन लिया जाएगा।बैंक की आंतरिक निगरानी टीम ने भी इस काम को अपने हाथ में लिया है। झारखंड-बिहार में जांच हो रही है।उनके मुताबिक ज्यादातर गोरखधंधा विमुद्रीकरण की घोषणा के तत्काल बाद हुआ।शातिर लोगों ने उस मौके का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर बगैर रिकार्ड के करेंसी बदले। जबकि उस दौरान सीमित मात्र में करेंसी जारी करने का सख्त फरमान था।अब निजी बैंकों में उस दौरान लेनदेन,ग्राहकों के केवाइसी समेत तत्काल उपलब्ध कराई गई करेंसी का मिलान का काम चल रहा है। निजी बैंकों के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने वैसे लोगों को फायदा पहुंचाया जिनसे उनका व्यावसायिक संबंध और करीबी नाता था।कमीशन के एवज में नकदी के साथ सोना लिया गया।कुछ पदाधिकारियों को यह भी आश्वासन मिला कि भविष्य में उनसे बड़ा व्यावसायिक लेनदेन किया जाएगा जिसका उन्हें फायदा होगा।

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

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