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किशनगंज : नवजात शिशुओं के जीवन सुरक्षा के लिए तत्पर रहती हैं एसएनसीयू की जीएनएम जुलेखा बेगम, नवजात शिशुओं का करती हैं पर्याप्त इलाज

बच्चों के परिजनों को बेहतर चिकित्सकीय सहायता की बढ़ाती हैं उम्मीद, इलाज के दौरान मिल रही अच्छी सुविधा।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में मुख्य चिकित्सकों के अलावा स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्स, एएनएम, जीएनएम आदि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनके सार्थक प्रयास से ही अस्पतालों में मरीज जल्द स्वस्थ्य होकर अपने घर पहुँचते हैं। इसी क्रम में जिले के सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए संचालित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में कार्यरत जीएनएम जुलेखा बेगम है जो पिछले 2017 से एसएनसीयू में कार्यरत है। मूलतः झारखण्ड के रांची जिले की निवासी जुलेखा बेगम द्वारा एसएनसीयू में भर्ती सभी बच्चों की बेहतर देखभाल करते हुए उन्हें स्वस्थ्य बनाने का प्रयास किया जाता है जिससे कि उनका भविष्य सुंदर हो सके। जीएनएम जुलेखा बेगम ने बताया कि एसएनसीयू में ऐसे बच्चों को भर्ती किया जाता जो जन्म के बाद से ही गंभीर स्वास्थ समस्या का शिकार रहते हैं। इसमें जन्म के बाद से सांस लेने में समस्या, कम वजन, हृदय गति का सही तरीके से काम न करना, आरडीएस, बर्थ एस्पेक्सिया सहित अन्य कई तरह की बीमारियां शामिल हैं। ऐसे बच्चों की एसएनसीयू में भर्ती होने पर उनकी पर्याप्त देखभाल आवश्यक है। मेरे द्वारा अपनी कार्य अवधि के दौरान सभी भर्ती बच्चों को सही ट्रीटमेंट देने का प्रयास किया जाता है ताकि उसका जीवन सुरक्षित हो सके। एसएनसीयू से बच्चों को पूरी तरह ठीक करने के बाद ही घर भेजा जाता है। इससे बच्चों के जन्म के बाद से ही चिंतित रहने वाले परिजनों को भी पूरी संतुष्टि होती है कि अब उसका बच्चा अपना जीवन आसानी से जी सकता है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एसएनसीयू में शामिल बच्चों की सभी प्रकार से देखभाल के साथ ही रेकॉर्ड मैनेजमेंट, तकनीकी मशीनरी के संचालन का कार्य पूरा किया जाता है।एसएनसीयू में भर्ती बच्चों के परिजनों की भी बेहतर काउंसिलिंग कर उनके बच्चों के ठीक होने का भरोसा दिलाया जाता है। एसएनसीयू इंचार्ज डॉ अंकिता ने बताया कि जन्म के बाद से ही गंभीर बीमारियों का शिकार बच्चों के परिजन मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो जाते हैं। बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती करने के बाद भी उसे यहाँ बेहतर सुविधा मिलने की उम्मीद कम होती है। बच्चों को भर्ती करने के बाद उनके परिजनों को भी बेहतर सुविधा का भरोसा दिया जाता है जिसमें रमनम्मा द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। उनके द्वारा हर दिन परिजनों को कुछ देर बच्चों से मिलने के बाद उनके स्वास्थ में हुए सुधार की जानकारी दी जाती है। कुछ दिन में ही बच्चों के शरीर में सुधार देखते हुए परिजनों द्वारा बेहतर व्यवस्था का भरोसा बढ़ जाता और वह पूरी तरह ठीक होने तक बच्चों को यहाँ भर्ती रखते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से बच्चों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती लेकिन परिजनों के आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण उसे यहीं ठीक करने का अनुरोध किया जाता है। ऐसी स्थिति में भी हमारे द्वारा बच्चों को वार्मर, सी-पैप का उपयोग कर स्वस्थ्य करने का सफल प्रयास किया जाता है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने बताया कि एसएनसीयू में जन्म के बाद से ही गहन बीमारियों से ग्रसित बच्चों की देखभाल प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा निभाई जाती है। इसके लिए एसएनसीयू में डाक्टर, जीएनएम व एएनएम नियुक्ति किये गए हैं। हर शिफ्ट में कम से कम तीन नर्स द्वारा बच्चों की निगरानी की जाती है। एसएनसीयू में कार्यरत सभी कर्मी एफ.बी.एन.सी ट्रेंड हैं। उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में कार्यरत जीएनएम जुलेखा बेगम द्वारा भी लोगों को बेहतर काउंसिलिंग करने के साथ बच्चों की पर्याप्त देखभाल की जाती है। उनके बेहतर कार्य से लोगों का एसएनसीयू पर भरोसा बढ़ा है और लोग इसका पूरा लाभ उठा रहे। एसएनसीयू में भर्ती एक नवजात की परिजन सहरबानो ने बताया कि उसका सदर अस्पताल में ही प्रसव हुआ था। साथ ही डिले क्राई मतलब रो नही पा रहा था साथ ही सांस लेने में भी बहुत कठिनाई हो रही थी साथ ही में ओर मेरे पति बिलकुल डर गया थे, जिसके बाद मैंने चिकित्सकों की सलाहानुसार अपने नवजात को एसएनसीयू में एडमिट कराया। दोनों जगह मुझे अच्छी सुविधा मिली।मैंने अपने बच्चे को एसएनसीयु भर्ती करवाया तो यहाँ कार्यरत डॉ अंकिता ने मुझे काफी सहयोग किया एवं जुलेखा दीदी समय समय पर उसका उपचार करती रही आज मेरा बच्चा बिलकुल सुरक्षित है और इसके लिए में पुरे अस्पताल प्रबंधन को धन्यवाद देती हूँ जिसके वजह से मेरी साड़ी खुशियाँ लौटी है, जिसके कारण मेरा बच्चा बहुत जल्द स्वस्थ्य हो गया। जिसके बाद मुझे यहाँ से डिस्चार्ज किया गया और मैं अपने स्वस्थ्य बच्चे के साथ घर जा रही हूँ।

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