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किशनगंज : जिले में “स्वास्थ्य और मानवीय संकटों में मादक द्रव्य चुनौतियों का समाधान” की थीम पर मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस।

स्वस्थ व सेहतमंद समाज के निर्माण में नशापान संबंधी आदतों को त्यागना जरूरी

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, आज अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस है। यह हर साल 26 जून को दुनियाभर में एकसाथ मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को नशा और इससे होने वाले कुप्रभाव के प्रति जागरूक करना है। इसे सबसे पहली बार 1989 में मनाया गया था। वहीं, 7 सितंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में नशीली दवाओं के गैरकानूनी इस्तेमाल और अवैध तस्करी को रोकने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात थी। “स्वास्थ्य और मानवीय संकटों में मादक द्रव्य चुनौतियों का समाधान” की थीम पर जिले के सदर अस्पताल के सभागार में सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन ने बताया की नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस, या विश्व ड्रग दिवस, हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त दुनिया को प्राप्त करने में कार्रवाई और सहयोग को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाते हुए उन प्रयासों को मजबूत बनाना है जिससे अंतरराष्ट्रीय समाज पूरी तरह से नशा मुक्त हो सके। मौके पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम, महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी, अस्पताल प्रबंधक जुल्ले अशरफ, सिफार के जिला समन्वयक सहित संबंधित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी मौजूद थे।अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर आलम ने बताया की इस दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चे को नशा से बचाना है और तस्करी पर प्रतिबंध लगाना है। इससे बच्चों का भविष्य स्वर्णिम रहेगा। इस दिन दुनियाभर में नशा के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसमें लोगों को नशा से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाता है। सूबे सहित पुरे देश में भी नशा और अवैध तस्करी को रोकने के लिए सख्त कानून हैं। हालांकि, लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। बिना सहयोग से यह संभव नहीं है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के अवसर पर आसपास के ऐसे लोग, जो नशा और अवैध कार्य में लिप्त हैं। उन्हें सत्य की राह पर लाने की पहल करनी चाहिए। नशा आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से मनुष्य को कमजोर करता और नशे की लत को मजबूत इच्छाशक्ति से ही छोड़ा जा सकता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने कहा कि स्वस्थ व सेहतमंद समाज के निर्माण के लिये नशा पान संबंधी आदतों को त्यागना जरूरी है। नशापान से हमारा स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। युवाओं में नशापान का चलन लगातार बढ़ रहा है। जो बेहद चिंता का विषय है। इस बुरी लत से उन्हें निजात दिलाने के लिये विशेष तौर पर जागरूक करने की जरूरत है। बच्चे अपने समाज के बड़े व बुजुर्ग लोगों की गतिविधियों से प्रेरित होते हैं। इसलिये हम सभी को नशापान संबंधी आदतों को त्यागना होगा। ताकि देश की नौजवान पीढ़ी को नशा की लत दूर रखा जा सके। नशा किसी भी चीज का हो इसका परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। मादक पदार्थों के साथ-साथ शराब ने अनेकों घरों को उजाड़ा है। ऐसे में जरूरत है लोगों को नशा मुक्त करना ताकि नशे की वजह से किसी का घर बर्बाद न हो। अस्पताल प्रबंधक डॉ जुल्ले अशरफ ने कहा कि युवाओं को नशापान संबंधी आदतों से दूर रखने के लिये यह जरूरी है कि समाज में इसे लेकर व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता अभियान का संचालन किया जाये। समाज में सभी लोगों की यह जिम्मेदारी है कि छात्र-छात्राओं को नशा पान सहित तंबाकू संबंधी उत्पाद के सेवन से बचाव के लिये जागरूक किया जाये। सरकारी स्तर पर इसे लेकर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन नशा मुक्त समाज के निर्माण के लिये सामूहिक सहयोग जरूरी है। नशापान व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसकी वजह लोग कैंसर सहित अन्य बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं। इसलिये सभी वर्ग के लोगों को नशापान संबंधी आदतों को त्यागना जरूरी है।

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