किशनगंज : जिले के ठाकुरगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 05 महिलाओं और 05 पुरुषों ने कराया आपरेशन..

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बदलते सोच के साथ बंध्याकरण को जिले की महिलाएँ एवं पुरुष दोनों आगे आ रहे हैं। देश भर मे लगातार बढ़ रही जनसंख्या के कारण हो रही समस्याओं के प्रति शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ के साथ पुरुष भी जागरूक हो चुके हैं। जिले के ठाकुरगंज प्रखण्ड क्षेत्र की नसबंदी करवाने आये पुरुषो ने बताया कि बड़े परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने पर आवश्यकताएं भी बढ़ जाती हैं। जिसके कारण शिक्षा, स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। वहीं छोटा परिवार सुखी परिवार होता है, इसी को देखते हुए हम लोगों ने परिवार के मुखिया की सहमति के साथ आज नियोजन कराने आये है। ठाकुरगंज स्वास्थ्य केंद्र में कुल 05 महिलाओं एवं 05 पुरुषो का मेरी स्टॉप संस्था के सहयोग से बंध्याकरण किया गया। इस कार्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरगंज के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक बसंत कुमार, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक कौशल कुमार के द्वारा लगातार जन जागरूकता के फलस्वरूप मंगलवार को 05 पुरुष एवं 05 को महिलाओं का बंध्याकरण किया गया है।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए महिलाओं को दो से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करना चाहिए। ज्यादा बच्चे होने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव होता है। वहीँ ज्यादा बच्चों के पालन पोषण में परिवार में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि बदलते सोच के साथ बंध्याकरण को महिलाओं का आगे आना उनकी अच्छी सोच को दर्शाता है। प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक कौशल कुमार ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण में भागीदारी हेतु आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है। परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग कर जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
मौके पर स्वास्थ्य जाँच कर आयरन, फॉलिक एसिड, कैल्सियम के साथ अन्य आवश्यक दवाओँ का वितरण किया गया। ज्ञात हो की इससे पहले भी कुल 10 पुरुषो के नसबंदी करवाने के लिए प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक कौशल किशोर को राज्य स्तरीय पुरुष्कार से सम्मानित किया गया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमरेंदर कुवर ने बताया परिवार नियोजन के स्थाई व अस्थाई साधनों की जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दी गई। महिला नसबंदी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 15 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा किया जाता है। विधि प्रसव/गर्भपात के 7 दिन के अंदर या 6 सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है। कॉपर-टी एक अस्थायी विधि जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है। कॉपर-टी विधि 10 वर्षों एवं 5 वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है। कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है। गर्भनिरोधक गोली माला-एन एक सुरक्षित हार्मोनल गोली है जिसे महिला को एक गोली प्रतिदिन लेनी होती है। माहवारी शुरू होने के 5 वें दिन से गोली की शुरुआत करनी चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव के 6 माह तक इस गोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन की नवीन अस्थायी विधियाँ हैं। अंतरा एक सुई है जो तीन माह तक प्रभावी रहती है। लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है। जबकि छाया एक गोली है जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें।
गौरतलब हो कि नसबंदी कराने वाले लाभार्थी को 3000 रुपये और उत्प्रेरक को 400 रुपये दिए जाते हैं। इसी तरह प्रसव के तुरंत बाद बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी महिला को 3000 रुपये और उत्प्रेरक को 400 रुपये देने का प्रावधान है। पीपीआईयूसीडी बंध्याकरण पर लाभार्थी को 2000 रुपये, एएनएम को 150 रुपये और आशा कार्यकर्ता को 150 रुपये दिए जाते हैं। इसी तरह सभी अन्य साधनों को अपनाने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।