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कागजों पर चल रहे धुआं जांच केंद्र,नहीं होती वाहनों की जांच l ओवर लोड ट्रक का इंट्री भी जोरो पर परिवहन अधिकारी मौन धारण में …..

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मुख्यालय सहित जिले की विभिन्न पथों पर दौड़ लगा रहे अनफिट वाहन लोगों का फिटनेस बिगाड़ रहे हैं।जहरीला धुआं उगलते इन छोटे-बड़े वाहनों की स्थिति यह है कि शहर के व्यस्ततम मार्ग पर पैदल चलने वालों को नाक पर रूमाल रखना पड़ता है।यही अनफिट वाहन दुर्घटना का कारण भी बनते है। कहने को तो कागजों पर कई धुआं जांच केंद्र खुले हैं पर जिले में किसी भी स्थान पर इन जहर उगल रहे वाहनों की फिटनेस चेक करनेवाले यातायात पुलिस या परिवहन विभाग के अधिकारी नजर नहीं आते। ये वाहन दुर्घटना को आमंत्रण तो देते ही हैं साथ ही लोगों को सांस संबंधी रोग भी बांट रहे हैं। आश्चर्यजनक तो यह भी है कि परिवहन विभाग के पास अनफिट वाहनों का कोई आंकड़ा भी मौजूद नहीं है।जानकारों की मानें तो जिले में 80 फीसदी से अधिक व्यावसायिक वाहन बिना फिटनेस व प्रदूषण जांच के हर दिन सड़कों पर प्रदूषण फैला रहे है।इन वाहन के चालकों द्वारा विभागीय दिशा निर्देश व परिवहन कानून का अनुपालन कराना अब भी बड़ी चुनौती है।खासकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर उन अनफिट व्यावसायिक व निजी वाहनों की जांच अनिवार्य है।वहीं दूसरी ओर शहर से गांव तक जुगाड़ वाहन धड़ल्ले से प्रदूषण फैला रहे हैं।परिवहन विभाग की लापरवाही से बेखौफ जुगाड़ गाड़ी का परिचालन हो रहा है। हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारी रोजी-रोटी से जुड़ा मुद्दा बता इसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन इससे पूरा पर्यावरण प्रदूषित होता है।सड़कों पर चलने वाले वाहन मानकों की पूरी तरह खरे नहीं उतर रहे है।न ही इस कोई सक्रिय प्रशासनिक पहल हो रही है।सड़क पर चल रहे अनफिट वाहनों की धरपकड़ नहीं हो रही,न ही ऐसे वाहनों पर रोक के लिए कोई प्रयास किए जा रहे हैं।जिले की सड़कों पर खटारा वाहनों का परिचालन माल ढोने व यात्री को ले जाने में उपयोग किया जा रहा है।सड़क पर चलने वाले अधिकांश सवारी और माल वाहन खटारा हो चुके हैं।ऐसे वाहन अक्सर दुर्घटना का कारण बनते हैं।वाहन फिटनेस की समय सीमा नए व्यवसायिक वाहनों का दो वर्षों तक फिटनेस की आवश्यकता नहीं होती है।उसके बाद प्रत्येक वर्ष व्यवसायिक वाहनों का फिटनेस जांच कराना आवश्यक है।वहीं घरेलू उपयोग वाली वाहन का एक ही बार रजिस्ट्रेशन के समय फिटनेस जांच किया जाता है जिसकी अवधि 15 वर्षों तक होती है। नया व्यवसायिक वाहन की धुआं जांच की अवधि एक वर्ष की होती है।उसके बाद प्रत्येक वाहन को छह माह में धुआं जांच कराना अनिवार्य है,लेकिन अधिकांश वाहन उक्त समय सीमा के अंदर न तो फिटनेस जांच कराते हैं और न ही धुआं।ऐसे में ये वाहन अपने और दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं।समय पर फिटनेस जांच नहीं करानेवाले वाहनों पर परिवहन विभाग 1,000 रुपए तक का जुर्माना कर सकती है।जबकि ओवरलोड वाहन पर प्रतिटन 1,000 व जुर्माना2,000 किया जाता है। प्रदूषण जांच के बिना वाहन चलाने पर एक हजार रुपये lबिना फिटनेस और धुआं जांच के सड़कों पर दौड़ रहे 80 फीसद वाहन,कागजों पर चल रहे धुआं जांच केंद्र,नहीं होती वाहनों की जांच lबिना रजिस्ट्रेशन नम्बर के ट्रैक्टर ट्रॉली व इंजन पर 5,000 जुर्माना लगाया जाता है।

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

 

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