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इनके नाम से कापते है अपराधी और माफिया, अपराधियों के लिए ये कहर है ये 11 आईपीएस-आइएएस…

आज बात करेंगे उन 11 जाबाज अफसरों की जिनके काम के बारे में लगातार बातें होती रहती हैं।इनमें से कई फेसबुक और सोशल मीडिया पर भी बहुत पॉपुलर हैं।और इनके नाम से माफिया/गबंकारी/चोर/गुंडा/बदमास/भ्रष्ट-अधिकारी भी कापते है…ये रहे 11 अफसर…

  • शिवदीप वामन लांडे, मनु महाराज, विकाश वैभव
  • बी.चंद्रकला, नवनीत सिकेरा, मनोज कुमार
  • मंजिल सैनी, निशांत तिवारी, कुमार आशीष
  • किम शर्मा, गरिमा सिंह

शिवदीप वामन लांडे:

महाराष्ट्र के अकोला का लड़का बिहार के गुंडों के लिए बंवडर था।2006 में शिवदीप बिहार कैडर में आईपीएस बने।पहली पोस्टिंग पटना में हुई।और कुछ महीनों के काम के बाद ही बिहार में गुंडों और करप्शन करने वालों की शामत ला दी।ये काम करने के लिए नहीं करते थे,बल्कि पूरे स्टाइल और टशन में करते थे।शिवदीप लांडे का काम करने का तरीका आपको बॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाता है।शिवदीप गुंड़ों को पकड़ने के लिए कभी लुंगी-गमछा पहन के पहुंच जाते,कभी चलती मोटरसाइकिल से जंप मार देते,कभी

चलती मोटरसाइकिल के सामने खड़े हो जाते।एक समय पटना में लहरिया कट में बाइक चला लड़कियों को परेशान करने वाला गैंग बहुत सक्रिय था।शिवदीप ने उसका हल भी निकाल लिया।लड़कियों की एक कॉल पर शिवदीप अपनी बाइक से दनदनाते पहुंच जाते थे मजनुओं की धुनाई करने।इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी के नाम पर लड़के जमे रहते थे।और बाइक लेकर लड़कियों का पीछा करते रहते।वीमेन कॉलेज के बाहर खड़े होकर फब्तियां कसते।सीने पर हाथ मार के भाग जाते।शिवदीप ने सबको रास्ते पर लाया।शिवदीप का एक अंदाज ये भी है:

पटना की लड़कियों में शिवदीप को लेकर गजब क्रेज था।जब शिवदीप का पटना से ट्रांसफर हुआ तो लड़कियां रास्ता रोके खड़ी थीं।लोग जाने नहीं दे रहे थे।10 साल तक बिहार के अलग-अलग जिलों के लिए काम कर चुके शिवदीप फिलहाल अपने राज्य महाराष्ट्र में पोस्टेड हैं।2006 बैच बिहार के कैडर के लांडे की पोस्टिंग डेपुटेशन पर महाराष्ट्र में की गई है।उनकी पोस्टिंग फिलहाल मुंबई के एंटी नारकोटिक्स सेल में की गई है।ड्यूटी सँभालते ही लांडे का डर अपराधियों वह ड्रग सिंडिकेट पर टूट पड़े हैं।वेष बदल वह आए दिन खुद मुखबिरों की सूचना पर पीछे लग जाते हैं।इसके चलते वह मुंबई की मीडिया में भी सुर्खियां में बने रहते हैं।किसान परिवार में जन्में शिवदीप ने बड़ी प्रतिकूल स्थिति में शिक्षा पूरी की है।इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद शिवदीप ने मुंबई में रहकर यूपीएससी की तैयारी की।इस दौरान उनका एक बड़ा फ्रेंड सर्कल बन गया था।बिहार में तैनात होने के बावजूद शिवदीप अक्सर मुंबई अपने फ्रेंड्स से मिलने जाते थे।उनके काम करने के स्टाइल से लड़कियों के बीच उनका खासा क्रेज है।शिवदीप को मेल व फेसबुक पर शादी के प्रस्ताव मिलते रहते थे।एक फ्रेंड के घर पर आयोजित पार्टी में शिवदीप और ममता की पहली मुलाकात हुई।यह मुलाकात आगे चलकर प्यार में बदल गई, जिसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला लिया।ममता की स्कूलिंग मुंबई में हुई है।दोनों की शादी दो साल पहले 2 फरवरी 2014 को मुंबई में ही हुई थी।दोनों की एक बेटी है।बता दें कि ममता महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और पुणे के पुरंदर से एमएलए विजय शिवतारे की बेटी हैं।

2.मनु महाराज:

बाइक पर सवार होकर रात में एसएसपी पटना की सड़कों पर खाक छान रहे थे।तभी शहर के बीचों बीच स्थित सबसे वीवीआईपी थाना कोतवाली पहुंच गए।ड्यूटी पर तैनात पुलिसवाला व ड्राइवर आराम से सो रहा था।मनु महाराज ने थाने से पुलिस की जीप चोरी कर ली।पूरी रात उसी जीप से पटना में घूमते रहे पर पुलिस को भनक नहीं लगी।अगले दिन ही मनु ने ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को लापरवाही के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया।ईनाडु इंडिया मनु महाराज के उस राज के बारे में बताएगा जिससे अभी तक आप अनभिज्ञ थे।2006 बैच के आईपीएस अधिकारी मनु महाराज मुल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहनेवाले हैं।उन्होंने IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी।पटना के एसएसपी मनु महाराज।शिवदीप लांडे की तरह

ही अपराधियों के लिए खौफ।जो सिर्फ अपराधियों के लिए ही आफत नहीं,बल्कि कामचोर पुलिस वालों की भी समय-समय पर खबर लेते रहते हैं।शहर की सुरक्षा-व्यवस्था जानने के लिए मजदूर का भेष धर लेते हैं।तो कभी बाइक उठा अकेले गश्ती पर निकल जाते हैं।इन्हें लोग इनके नाम लेने से कहते है,मनु महराज मतलव-दिन और रात।मनु हिमाचल प्रदेश के रहनेवाले हैं।शिमला से स्कूल की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने आईआईटी रुड़की से बीटेक किया।यूपीएससी की तैयारी के दौरान जेएनयू से एनवॉयरमेंटल सांइस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।2006 में इन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की।मनु महाराज काम के साथ-साथ अपनी मूंछों के लिए भी बड़े मशहूर हैं।कहा जाता है कि अजय देवगन की फिल्म सिंघम देखने के बाद इन्होंने अपनी मूंछों की स्टाइल बदली।जिसकी वजह से लोग इन्हें सिंघम बुलाते हैं।मनु महाराज बड़े-बड़े ऑपरेशन को खुद लीड करते हैं।नक्सली इलाके में काम करने के लिए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इनको सम्मानित भी कर चुके हैं।वहीं इनकी गिनती नीतीश कुमार के चहेते अफसरों में होती है।

3. बी.चंद्रकला:

आईएएस अफसर बी.चंद्रकला।एक ऐसी ईमानदार और जबराट अफसर जिनके काम करने के स्टाइल से प्रधानमंत्री मोदी भी प्रभावित हैं।बी.चंद्रकला की ईमानदारी और काम को देखते हुए केंद्र सरकार ने इन्हें स्वच्छ भारत मिशन का जिम्मा सौंपा है।फिलहाल ये पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी हैं।2014 में जब बुलंदशहर की डीएम थीं,तो इनका एक वीडियो बहुत

 

वायरल हुआ था।जिसमें ये सड़क निर्माण में गड़बड़ी देख भड़क गईं थीं।और काम संभाल रहे अफसर और ठेकेदारों की जमकर खबर ली थी।इनकी पॉपुलैरिटी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फेसबुक पर 63 लाख लोग इनको फॉलो करते हैं।ये ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ का परफेक्ट उदाहरण हैं।बी.चंद्रकला बुलंदशहर,बिजनौर और मेरठ की डीएम रह चुकी हैं।अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने लोगों के लिए खूब काम किया है।बी.चंद्रकला के बारे में कहा जाता है कि ये कब कहां जांच करने पहुंच जाएं,किसी को पता नहीं होता।करप्शन को कंट्रोल करने के अलावा कई इनकी इनकी पॉपुलैरिटी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फेसबुक पर 63

https://youtu.be/xHskKRuXAAU

इनकी पॉपुलैरिटी का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फेसबुक पर 63 लाख लोग इनको फॉलो करते हैं।ये ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ का परफेक्ट उदाहरण हैं।बी.चंद्रकला बुलंदशहर,बिजनौर और मेरठ की डीएम रह चुकी हैं।अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने लोगों के लिए खूब काम किया है।बी.चंद्रकला के बारे में कहा जाता है कि ये कब कहां जांच करने पहुंच जाएं,किसी को पता नहीं होता।करप्शन को कंट्रोल करने के अलावा कई गांवों को ओपन डिफेकेशन फ्री कराया है।27 सितंबर 1979 को तेलंगाना के करीम नगर जिले के गरजाना पल्ली गांव में बी.चंद्रकला का जन्म हुआ।स्कूल की पढ़ाई इन्होंने केंद्रीय विद्यालय से की है।कोटि विमेंस कॉलेज से ज्यॉग्रफी में बीए और फिर इकॉनमिक्स से एमए किया है।कॉलेज की पढ़ाई के दौरान इनकी शादी हो गई।बी.चंद्रकला ने शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखी और पति की मदद से सिविल सर्विस की तैयारी में लग गईं।2008 में यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा में वो 490 वें स्थान पर रही थीं।

4. नवनीत सिकेरा:

नवनीत सिकेरा यूपी वुमन हेल्प लाइन नंबर 1090 के फाउंडर हैं।ये 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं। अखिलेश यादव की सत्ता में क्राइम को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी इन पर ही थी।नवनीत 60 से ज्यादा अपराधियों का एनकाउंटर कर चुके हैं।1090 हेल्पलाइन पर घरेलू हिंसा,सोशल मीडिया पर परेशान करने जैसी हरकत करने वाले मनचलों को नवनीत सिकेरा की टीम आसानी से पकड़ लेती है।अब तक 5 लाख से ज़्यादा मामले सुलझा चुकी 1090 पावर लाइन में इतनी गोपनीयता रखी जाती है कि लड़की के घरवालों को भी बिना लड़की की मर्ज़ी के शिकायत की डिटेल नहीं दी जाती है।नवनीत ने आईआईटी रुड़की से पढ़ाई किया है।लेकिन पुलिस स्टेशन में पिता के साथ हुई बदतमीजी के बाद इन्होंने सिविल सर्विसेज में आने का फैसला किया।

5.मंजिल सैनी:

मंजिल सैनी लखनऊ की पहली महिला एसएसपी हैं।और इनकी गिनती भी साहसी पुलिस अफसरों में होती है।फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही है।24 घंटे के अंदर आरोपी को पकड़ने,किडनी रैकेट का भंडाफोड़ करने,चेकिंग के दौरान गाड़ियों से काली फिल्म और झंडा उतरवाने का काम ये बेधड़क करती हैं।गलती करने वाला नेता हो या अफसर,मंजिल किसी के साथ नरमी नहीं बरतती हैं।मंजिल देश की पहली आईपीएस हैं,जिन्होंने शादी के बाद IPS के लिए क्वालिफाई किया है।2013 में मुजफ्फरनगर में दंगों के 2 दिन पहले मंजिल को वहां से हटा दिया गया था।यूपी की खुफिया विभाग की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि अगर मंजिल वहां होतीं तो दंगे कभी नहीं होते।मंजिल सैनी का जन्म 9 सितंबर 1975 को दिल्ली में हुआ।मंजिल ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई की।वो दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में मास्टर्स में गोल्ड मेडलिस्ट हैं।इसके बाद मंजिल ने एक प्राइवेट फॉर्म के लिए जॉब भी किया है।2005 में मंजिल ने सिविल सर्विस का एग्जाम दिया और पहले ही अटैम्प्ट में ये सेलेक्ट हो गईं।

6.निशांत तिवारी 

पूर्णिया के आमजन और वहाँ के एसपी सहित पुलिसबल के लिए बेहद रोमांचक रहा।यह रोमांचक न होकर खतरनाक भी हो सकता था, मगर एसपी श्री निशांत तिवारी के सूझबूझ के बदौलत इसे रोमांचक की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए। दरअसल पूर्णिया में एक चीते के घुसने की खबर आयी और तुरंत ही प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एक्शन लिया।चीते के आसपास भीड़ न इकट्ठी होने देने से लेकर ट्रैफिक का रुख मोड़ने तक।रास्ते में आने वाले तमाम घरों और दुकानों को बंद कराया गया।अपराधियों पर डंडा भी चलाते हैं तो ‘शाम की पाठशाला’ में गरीब बच्चे-बूढ़े को कलम चलाना भी सिखाते हैं निशांत !पूर्णिया को जलाने की साज़िश को एसपी निशांत तिवारी ने अपनी सूझबूझ से संभाला।बीन लाठी गोली के अपनी कम्युनिटी पुलिसिंग से एसपी ने बहाई फिर से अमन की बयार….उपद्रव का शिकार हुए बयासी थाने में ही पूर्णिया एसपी निशांत तिवारी ने कम्युनिटी पुलिसिंग की मिसाल पेश करते हुए बैठक कर जिले में अमन चैन को नुकसान पहुचाने वाले तत्वों को दिया मुह तोड़ जवाब।घटना में तोड़ फोड़ का शिकार हुआ थाना बयासी प्रांगण में एसपी निशांत तिवारी के नेतृत्व में एसडीपीओ बायसी,अंचल पुलिस निरीक्षक,अमौर एवं थानाध्यक्ष बायसी की उपस्थिति में बायसी थाना में शांति समिति की बैठक का आयोजन किया गया।अक्सर अपने पुलिस कफ्तानी और अन्य समाजिक

कार्यों के लिए सुर्खियों में रहनेवाले बिहार के पुर्णिया जिले के पुलिस कफ्तान निशांत तिवारी को आस्ट्रेलिया की चार्ल्स स्टुअर्ट यूनिवर्सिटी की ओर से मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सम्मानित किया गया है उन्हें यह सम्मान आस्ट्रेलिया की यह खास ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा करने के लिए प्राप्त हुआ,निशांत तिवारी ने यह सम्मान पाने के बाद काफी ख़ुशी जाहिर की है और कहा है कि यह सम्मान उनके लिए बहुत खास है।इस अवार्ड समारोह में एमसीटीपी कोर्स (NPA) के DD,पॉलसन,एमसीटीपी के डायरेक्टर और चार्ल्स स्टुअर्ट यूनिवर्सिटी के जॉन डाइन उपस्थित थे।इस दौरान सभी ने ट्रेनिंग प्रोग्राम में निशांत के समर्पण की खूब तारीफ की।

7.विकाश वैभव:

विकास वैभव बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं।डीआईजी के पद पर प्रोन्‍नत हाल में हुए हैं।कड़क मिजाज वाले अधिकारी हैं।सेंट्रल डेपुटेशन के दौरान NIA में थे।इस अवधि में इंडियन मुजाहिद्दीन के नेटवर्क पर करारा प्रहार किया।बोधगया और पटना बम ब्‍लास्‍ट की जांच की।लौटकर बिहार आये,तो पटना के एसएसपी बने। घंटों में बाहुबली विधायक अनंत सिंह अरेस्‍ट कर लिए गए।अपने टर्म में पटना पुलिस के एक पुराने मर्ज को ठीक करने की कोशिश की।एफआईआर नहीं लिखने वाले थाना के अधिकारियों को ठीक कर दिया।जनता से संवाद होने लगा।पटना पुलिस का अपना फेसबुक पेज बना,जो उनके ट्रांसफर के बाद अब एक्टिव नहीं है।इस फेसबुक एक्टिविटी से तब पटना के वांटेड कई अपराधियों को दूसरे प्रदेशों में टीम भेजकर गिरफ्तार कराया गया था।पटना एसएसपी विकास वैभव के तबादले पर सवाल उठने शुरू हो गए।कहा जाने लगा की अपने सख्त रवैये की वजह से वो धीरे धीरे शासन को नापसंद होने लगे थे इसलिए उनका ट्रांसफर कर दिया गया।एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार एसएसपी विकास वैभव 30 अगस्त की स्वाभिमान रैली की तैयारियों में बाधक बन रहे थे।उनके नेतृत्व में पुलिस प्रशासन ने रैली के लिए अवैध बैनर-होर्डिंग पर रोक लगा दिया थी।यही वजह है कि अब जब रैली के लिए 2-3 दिन ही बचे हैं,पटना शहर में रैली का नामोनिशान भी नहीं दिख रहा।उधर 10 दिन पहले ही पटना की डीएम बनीं प्रतिमा एस वर्मा को भी हटा दिया गया।सूत्रों के अनुसार मदरसा शिक्षकों पर हुए लाठीचार्ज को

इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है।महज 2 महीने 4 दिन पहले ही एनआईए से पटना आये विकास वैभव ने पहले ही दिन बाहुबली सत्ताधारी विधायक अनंत सिंह के घर छापेमारी कर उन्हें जेल भेज दिया।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जब एक आरोपी कार्यकर्ता का केस कमजोर करने की पैरवी की तो कांग्रेस अध्यक्ष पर ही केस दर्ज कर डाला।बिहार बंद के दिन जब लालू के सामने उनके समर्थकों ने सड़कों पर उत्पात किया तो एसएसपी ने न सिर्फ लालू पर केस दर्ज किया बल्कि चार्जशीट भी दायर कर दी।उनकी इस कार्रवाई से लोगों को एहसास होने लगा था कि शायद सरकार कानून का राज लाने के अपने वादे पर टिकी है लेकिन जैसे-जैसे एसएसपी अपनी कानूनी पकड़ दिखाते गए सरकार असहज होती चली गयी और आखिरकार एक झटके में उन्हें पटना से हटा दिया गया।कहा जा रहा है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी पर केस करना पटना एसएसपी विकास वैभव को भारी पड़ा।नीतीश कुमार पहले तो चुपचाप ये सहते रहे लेकिन विकास वैभव ने जब 30 अगस्त के स्वाभिमान रैली की तैयारियों में जब झुकने से मना किया तो नीतीश कुमार ने उन्हें हटाने का फैसला कर लिया।दरअसल पिछले एक हफ्ते में रैली के लिए लग रहे अवैध पोस्टर बैनर पर एसएसपी ने न सिर्फ रोक लगा दी बल्कि कई नेताओं पर केस भी दर्ज कर डाला था।

8.कुमार आशीष:

बिहार पुलिस के दबंग अफसर कुमार आशीष,इनका नाम सुनते ही जँहा अपराधियों के पसीने छूटने लगते हैं।इनके बहादुरी और दबंगता की किस्सा से तो सभी परिचित हैं लेकिन कुमार आशीष अपराधियों के लिए जितने सख्त है उतने ही ये आम लोगों के लिए एक नेक इंसान भी हैं।झारखंड के कोडरमा से आठ लोग बिहार शरीफ लौट रहे थे तभी उनकी बोलेरो गाड़ी गड्ढे में पलट गई और सभी लोग गंभीर रुप से घायल हो गए।बताया जाता है कि चालक नशे में धुत्त था।इसी दौरान नालंदा एसपी कुमार आशीष देर रात में सवा बारह बजे के करीब गश्त करने के लिए निकले थे तभी अचानक उनकी नजर एक गड्ढे में पलटी बोलेरो पर पड़ी।उन्होंने तत्काल वाहन रोककर पलटी हुई बोलेरो के लोगों को पुलिसकर्मियों के सहयोग से बाहर निकाला तब उन  लोगों की जाकर जान बची।हमारे देश में पुलिसिया ख़ौफ़ की कहानी किसी से छिपी नहीं है।पुलिस की छवि कुछ ऐसी है कि उसका नाम लेने पर सिर्फ डर और भय ही याद आता है।अंग्रेजों के जमाने में बनी छवि को तोड़ने की कोशिश पुलिस विभाग की तरह से भी कम ही हुई है,वजह चाहे जो भी रही हो।आजादी के 68 बरस बाद भी पुलिस का रवैया बहुत ज़्यादा नहीं बदला है।ऐसे में पुलिस को प्यार और आदर की नज़र से देखने की बात से एक तरह का रोमांच तो जरूर पैदा होता है।मधेपुरा में पुलिस,मीडिया और जनता को जोड़ने के लिए एक व्हाट्स ग्रुप बना तो उसकी टैग लाइन रखी गई-‘लव योर पुलिस’।मधेपुरा के पुलिस कप्तान कुमार आशीष के साथ टीम बदलाव के छोटे से इंटरेक्शन से

इस फलसफे को लेकर थोड़ा भरोसा पैदा होता है।कुमार आशीष की कोशिश है कि पुलिस के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव आए।पब्लिक पुलिस अफ़सर से प्यार का नाता बनाए और पुलिस इस भावना का सम्मान करे।दिल्ली के जेएनयू से पढ़े-लिखे मधेपुरा के युवा एसपी कुमार आशीष एक ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं,जिसमें संवाद की अनंत संभावनाएं हों।शिकवे-शिकायतें भी एक सभ्य और शालीन समाज की मर्यादा के साथ हों।कुमार आशीष जैसे गिने-चुने पुलिस अफ़सरों की ऐसी कोशिशों का कामयाब होना पूरे समाज के हित में है।मधेपुरा में महज 6 महीने में उन्होंने कुछ ऐसे सख़्त फैसले लिए हैं,जिससे पुलिसवालों के बर्ताव में बदलाव आया है।थाना इंचार्ज या पुलिसकर्मी किसी से दुर्व्यवहार करने से पहले 100 बार सोचते हैं।ग़लत व्यवहार की शिकायत उन्हें लाइन हाजिर करने के लिए काफी है।कुमार आशीष पूरी तरह से हाईटेक हैं।वो सोशल साइट्स पर भी लोगों की समस्याओं को सुनते हैं।कई छोट-छोटे लेकिन सराहनीय कदम उठाकर कुमार आशीष पुलिस की छवि बदलने की मुहिम में जुटे हैं।

9.किम शर्मा:

किम शर्मा बिहार के कई बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भेज चुकी हैं।पटना में पोस्टिंग के दौरान किम का एक फैमिली के साथ मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था।दरअसल,एक प्रोटेस्ट के दौरान फैमिली की किसी बात पर किम आग-बबूला हो गई और लड़के की धुनाई करना शुरू कर दी।इस दौरान बीच बचाव करने लड़के की मां आई तो किम ने उनकी भी धुनाई कर दी।इस मारपीट का वीडियो जब मीडिया पर आया तो ख़ासा बवाल मचा था।कई राजनीतिक दलों ने किम को इस वारदात के लिए कटघरे में खड़ा किया था,वहीं पुलिस डिपार्टमेंट पर मनमर्जी और गुंडागर्दी करने के आरोप लगे थे।मशहूर आईपीएस शिवदीप लांडे का पटना से ट्रांसफर होने के बाद किम पटना की एसपी बनाई गई थीं।इसके पहले वे भागलपुर में एएसपी के पद पर थी।आईपीएस शिवदीप लांडे की तरह किम के भी कई फैन्स हैं।वे अपने चाहने वालों के बीच लेडी सिंघम के नाम से जानी जाती है।आईपीएस किम शर्मा ने लोगों को पुलिस से जोड़ने के लिए कई अभियान चलाए।इन्होंने ने पटना में तैनात रहते हुए अपराध पर लगाम कसी थी।फेसबुक और फोन पर कई शादी के ऑफर आते थे।

10.गरिमा सिंह:

25 की उम्र में बनीं IPS,कभी रात में रोक कर पुलिस वाले ने मांगी थी रिश्वत आईपीएस गरिमा सिंह को हाल ही में झांसी जिले की कमान सौंपी गई है।महज 25 की उम्र में आईपीएस बनीं गरिमा की यह पहली पोस्टिंग है।बात उन दिनों की है जब गरिमा दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहीं थीं।गरिमा बताती हैंडीयू में पढाई के दौरान मैं एक मॉल से रात में दोस्तों के साथ होस्टल लौट रही थी।रात ज्यादा हो चुकी थी। तभी चेकिंग के लिए तैनात पुलिसवाले ने हमारा रिक्शा रोक लिया।रात में कहां से आ रही हो,कहां जाना है जैसे सवाल पूछने के बाद पुलिस वाले ने हमसे 100 रुपए मांगे।जब हमने मना किया तो मेरे पापा को फोन कर रात में घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा।थोड़ी बहस के बाद पुलिस वाले ने उन्हें जाने तो दिया,लेकिन इस वाक्ये ने गरिमा के मन में पुलिस के प्रति नेगेटिविटी भर दी।आईपीएस गरिमा सिंह इन दिनों झांसी की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही हैं।वे बलिया जिले के गांव कथौली की रहने वाली हैं।गरिमा का सपना हमेशा से आईपीएस बनने का नहीं था,वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती थीं।गरिमा बताती हैं,मेरे पापा ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं।वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं।सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की।गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई की है।उन्होंने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सिलेक्शन आईपीएस में हो गया।रिश्वत वाले वाक्ये ने गरिमा के मन में पुलिस के लिए कड़वाहट भर दी थी,लेकिन जल्द ही उनका नजरिया बदल गया।वह बताती हैं,एक बार डीयू में मेरा फोन गायब हो गया था।मैंने इसकी शिकायत पुलिस में की।पुलिस ने जिस तेजी से एक्शन लेते हुए मेरा फोन खोज निकाला,उसने मेरा नजरिया बदल दिया।लखनऊ में 2 साल तक अंडरट्रेनिंग एएसपी के तौर पर रहीं गरिमा झांसी में एसपी सिटी के रूप में लोकप्रिय हो रही हैं।समस्याग्रस्त लोगों से बेहद शिष्ट तरीके से पेश आकर उनकी परेशानी सुनना उन्हें लोकप्रिय बना रहा है।उनका टैलेंट देखते हुए उन्हें लखनऊ के बहुचर्चित मोहनलाल गंज रेप केस की जांच टीम में शामिल किया गया था।उन्होंने इस केस पर रात-रात भर जागकर काम किया।इसके अलावा उन्होंने महिला हेल्पलाइन 1090 को स्थापित करने में भी योगदान दिया।गरिमा

की शादी पिछले साल 25 जनवरी को ही हुई है।बर्थडे 14 फरवरी को आता है।पति राहुल रॉय पेशे से इंजीनियर हैं।राहुल ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और अब नोएडा में पोस्टेड हैं।आईपीएस गरिमा सिंह इन दिनों झांसी की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही हैं।वे बलिया जिले के गांव कथौली की रहने वाली हैं।गरिमा का सपना हमेशा से आईपीएस बनने का नहीं था, वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती थीं। गरिमा बताती हैं, “मेरे पापा ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं।वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं। सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की।गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई की है।उन्होंने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सिलेक्शन आईपीएस में हो गया।आईपीएस से आईएएस बनीं गरिमा को स्कैचिंग करना बहुत अच्छा लगता है। वह कहती हैं कि किसी का भी स्कैच वह फटाफट तैयार कर देती हैं। जब कभी भी ड्यूटी की बेहद व्यस्त जिंदगी में थोड़ा सा भी वक्त मिलता है,तो वह या तो स्कैचिंग करती हैं या फिर नोबेल पढ़ती हैं। जब अनुकूल और शांत माहौल मिलता है तो उनका मन कविता लिखने को भी करता है।उन्होंने अनेक कविताएं भी लिखी हैं।

11.मनोज कुमार:

 

आईपीएस मनोज एक जांबांज पुलिस अफसर।खाकी वर्दी में अपराध मिटाने का दृढ़ संकल्प।आंखों में तेज। गुनहगारों के लिए काल।कम समय में अपनी क्रर्तव्यपरायणता,जांबाजी और बेहतरीन क्राईम कंट्रोल के लिए बिहार पुलिस में चर्चित नाम।अनगिनत खासियतों के बीच अपनी उपलब्धियों पर इतराने का कतई गुमान नहीं।तभी तो भीड़ में सबसे जुदा और अलग व्यक्तित्व।शांत,कड़क और गंभीर लेकिन निजी जीवन में आप इन्हें बेहक सौम्य पायेंगे।भ्रष्ट्राचार और पुलिस विभाग के मौजूदा सिस्टम को फिलहाल नये तरीके से दुरुस्त करने में जुटे हैं।अपराधियोें को अपराध करने से पहले रोकने की बेगुसराय में इनकी मुहिम ने बिहार के पुलिस महकमे में रातों रात स्टार बना दिया।खौफ और आतंक से खून से लाल होती बेगुसराय की जमीन पर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाकर आम लोगों को राहत की सांस दी।जिन लोगों के मौत के फरमान पर अपराधियों ने अपनी मुहर लगा दी थी अब जेल की कालकोठरी में अपने गुनाहों की सजा पा रहे हैं। कहावत था कि बेगुसराय की आवोहगवा में खौफ घुली हुयी है इसे फिल्टर नहीं किया जा सकता लेकिन इस जांबांज पुलिस अफसर ने अपनी दूरदर्शिता से वो कारनामा कर दिखाया कि अपराध का ग्राफ तो तेजी से घटा ही साथ ही साथ लोगों का पुलिस पर नया भरोसा भी जगा।बेगुसराय में बतौर एसपी ने सरकार ने बिना किसी लागलपेट के देर नहीं की इन्हें प्रोन्नति देने में।साथी आईपीएस ने सूचना दी बधाई हो अब आप सीनियर एसपी बन चुके हैं।नई कमान मिली सिल्ट सिटी भागलपुर की।भागलपुर आते ही खाकी वर्दी में आईपीएस मनोज कुमार का अग्निपथ दिखना शुरू हो गया है।शहर के कई कोतवाल लाईन हाजिर हैं,कुछ पर उनके ही थानेे में मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।ट्रक से अवैध वसूली करने वाले दरोगा केके अकेला,आदमपुर थाने में एक महिला की सोने की चेन छीन ली गयी थाना प्रभारी शत्रुध्न प्रसाद दोनों सस्पेंड।विभागीय कार्रवाई अलग से।शहर में आम लोगों की उम्मीदों ने सपने देखना शुरू कर दिया है।सबसे बड़ी बात अपराधी तो अपराधी कुछ तथाकथित अधिनस्थ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के पसीने भी छूट रहे हैं।अफसरों को नजराने पहुँचाने वाले परंपरा अतीत की कहानी है।सिटी में नई सुबह की दस्तक है।आईपीएस मनोज कुमार का अग्निपथ जारी हैसिल्क सिटी के दामन में कांटे बोने की कोशिश एक सुलझे आईपीएस की अनोखी सुझबूझ से कामयाब नहीं हो सकी।भागलपुर में नगर निगम के चुनाव की रणभेरी बज चुकी है।सियासत हर रंग में भंग डालने की कोशिश में है।लेकिन लोकतंत्र की रक्षा की प्रहरी आखें निगहवान है अमन और शांति की रक्षा के लिए।एक आईपीएस को मिली शानदार ट्रेनिंग की अग्निपरीक्षा ऐसे ही कठिन मोर्चे पर होती है।किसी सिरफिरे की करतूत इससे पहले की भाईचारे की रेशमी रूमाल

के गठबंधन को तोड़ती एक तेजतर्रार आईपीएस ने अपनी सूझबूझ से शहर को जलने बचा लिया।सूचना क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया के दुरूपयोग को सबसे पहले रोका, भागलपुर के सुलझे आईपीएस आॅफिसर एसएसपी मनोज कुमार ने और तुरंत निर्णय लिया शहर की इंटरनेट सेवा को बंद करने का।परिणाम सामने,न लाठी चार्ज हुआ और न ही आंसू गैस के गोले छोड़े गये,शहर शरारती तत्व और दंगागियों के चपेट में आने से बच गया।रही सही कसर उनकी शानदार पुलिस मॉनिटरिंग ने कर दी।वाकया बिहार के भागलपुर का है।जहां मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र के अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर के पास रविवार की सुबह शरारती तत्वों ने एक डिब्बे में मांस और आपत्तिजनक पत्र रख दिए।इसे लेकर दो पक्षों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।इससे पहले की पुलिस मामले की तह में जाती कुछ निहित स्वार्थी तत्वों के इशारे पर लोगों ने मुख्य सड़क पर जाम लगाते हुए आगजनी की और नारे लगाने लगे।एसएसपी को सूचना मिली।मामले का गहन पड़ताल किया और तय किया कि अमन के रास्ते में आयी बाधा को कैसे दूर करेंगे।दो घंटे के अंदर महज इंटरनेट सेवा बंद करने के बाद मामला नियंत्रण में आ गया।दूसरे पक्ष के लोग घटना से अचंभित थे।उनका कहना था कि असामाजिक तत्वों ने सामाजिक सदभाव बिगाड़ने के लिए यह साजिश रची है।सूचना मिलने पर एसएसपी के आदेश पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी रौशन कुशवाहा,सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर और विधि-व्यवस्था डीएसपी राजेश कुमार प्रभाकर सैप व पुलिस जवानों के साथ मौके पर पहुंचे।सदर अनुमंडल पदाधिकारी की सूझबूझ से करीब दो घंटे बाद स्थिति नियंत्रित हो गयी।एसएसपी ने कहा कि यह काम किसी असामाजिक तत्व का है।प्रशासन उनकी मंशा सफल नहीं होने देगा।इस मामले में उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने व दोषियों को चिह्नित करने का भरोसा दिया है।ऐसे मनोज कुमार अपराधियों के लिए कहर के रूप से भी जाने जाते है इनके  ऐसे ऐसे अनेको कारनामे है जो अपराध को खत्म करने में इनका नाम है।ईमानदार आईपीएस मनोज कुमार की कहानी शुरू होती है।गांव की कच्ची-पक्की गलियों और पगडंडियों से। कच्चे खपरैल मकान और आधुनिक सुख:सुविधाओं से महरुम एक ऐसे बच्चे की कहानी है।जहां सपने भी सीमित आकार में रंग लेते हैं।15 नवंबर 1977 को मनोज का जन्म बिहार क नवादा जिले के पतरंग जैसे छोटे गांव में हुआ।मनोज की मंडली में कई ऐसे दोस्त मिल गये

जो बहाना करके घर सेजाते तो स्कूल थे लेकिन उनका ठिकाना स्कूल नहीं कहीं और होता था।एक दिन मनोज को किसी स्कूल के दोस्त ने यह कह दिया कि अरे मनोज तुम तो स्कूल में फेल हो गये हो।अब स्कूल जाने में कोई फायदा नहीं।स्कूल में भी पिटायी लगेगी और घर में भी।क्या करें ! मनोज ने उपाय निकाला।हम घर से रोज स्कूल के लिए निकलेंगे पर स्कूल नहीं जायेंगे।जब स्कूल में छुट्टी होगी तो घर वापस जायेंगे।यह सिलसिला कई दिन तक चला।मनोज दिन भर गांव के अहाते में गुल्ली डंडा और अंटा खेलने में मस्त रहते।एक दिन हेडमास्टर द्बारिका बाबू मुझे मिले बाले बैधनाथ बाबू आपका बेटा मनोज कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है ? कहीं बीमार तो नहीं।मैंनें कहा कि नहीं नहीं मनोज तो रोज घर से खा-पीके तैयार होकर स्कूल जाता है।तुरंत हम दोनों को पूरी बात समझ में आ गयी।मामला कुछ गड़बड़ है ? पूरे गांव में मनोज को खोजा तो गांव के एक छोर पर कुछ दोस्तों के साथ गुल्ली और अंटा खेलते पकड़े गये।एसएसपी मनोज को बाबूजी एक बात आगे नहीं बताये उसके बाद मेरी जो जमकर पिटायी की इन्होंनें आज तक याद है।हालांकि बाद में पता चला कि मैं फेल नहीं था।इस वाकये को सुनाने के बाद उनके शिक्षक पिता हमें आगे की बातचीत के लिए अकेला छोड़ देते हैं पिता के जाने के बाद मनोज हमें यह बात बताना नहीं भूलते कि हम स्कूल दो बार बंक किये और मुस्कुरा उठते हैं।मनोज के जीवन में बदलाव की कहानी शुरू होती है।उनके जवाहर नवोदय विद्यालय की कठिन मानी जानी प्रवेश परीक्षा में सफलता के बाद।नवोदय देश के अनगिनत ग्रामीण प्रतिभाओं का स्वप्नस्थली माना जाता है।ग्रामीण तबके से आने वाले प्रतिभावान और होनहार बच्चों के जीवन को संवारने का महान प्रयोगधर्मी शैक्षणिक प्रयोगशाला।नवोदय में चयन का मतलब था कि आपने अपने भविष्य को आवासीय संरचना के एक बेहद उम्दा और शानदार वातावरण में सुरक्षित कर लिया है।आज नवोदय ने ऐसे अनगिनत उदाहरणों को देकर इस सच को साबित कर दिया है।आईपीएस मनोज कुमार इस सच की शानदार वानगी हैं।आईपीएस मनोज कुमार कहते हैं कि नवोदय न होता तो शायद गांव में अंटा गुल्ली डंडा खेलने वाला मेरा जैसा लड़का मैं आज आईपीएस नहीं होता।मनोज बताते हैं कि नवोदय का फार्म मामाजी ने भरवाया।मेरा चयन नवोदय में दो बार हुआ।लेकिन मैं नामांकन से एक बार वंचित हो गया।मेरा रिजल्ट 1990 में हुआ, मेरे मार्क्स काफी अच्छे थे।नवोदय की परीक्षा समिति और तत्कालीन डायरेक्टर नीरु नंदा ने प्रिंसीपल के प्रेयर रिक्वेट पर मुझे दुबारा परीक्षा देने का मौका दिया।यह नवोदय विद्यालय के इतिहास में अपने आप में अकेला उदाहरण हैं।फिर 1991 बैच में मेरा नामांकन जवाहर नवोदय विद्यालय जेठियन,गया में हुआ।इससे पहले मैं बाराचट्टी मध्य विद्यालय में पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई की,नवोदय में कई तरह के नेशनल लेवल के टैलेंट कंप्टीशन होते रहते थे।मुझे एक्जीविशन शो के सिलसिले में जवाहर नवोदय विद्यालय शेखपुरा जाना हुआ।जहां मैंने पैथोगोरियन थ्योरम को वोलमेंट्रिक अप्रेंस से प्रूव किया तो सर्वश्रेष्ठ बना।मैं इस थ्योरम के साथ रिजनल लेवल तक गया। नवोदय विद्यालय, शेखपुरा का 

माहौल भी जबरदस्त उर्जा से लबरेज था।नवोदय से दसवीं कक्षा 84.4 प्रतिशत पास करने के बाद मेरी जिंदगी की दिशा बदल गयी।नवोदय ने पढ़ाई को जूनून की शक्ल में तब्दील कर दिया।जीतने की जिजीविषा को पैदा कर दिया।संभावनाओं का पिटारा खोल दिया।इसके बाद पटना बीएन कॉलेज,फिर हिन्दू कॉलेज दिल्ली फिर दिल्ली से ही इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री।आपको बताते चले एसएसपी मनोज कुमार ने भागलपुर में एक निजी टीवी चैनल के फर्जी पत्रकार अपनी मॉनिटरिंग से धड़ दबोजा था।जो भोली भाली लड़कियों से फेसबुक के माध्यम से दोस्ती कर नौकरी दिलाने के नाम पर आर्थिक और शारीरिक शोषण करता था।मोजाहिदपुर थाना में आठवीं कक्षा की नाबालिग लड़की के अपहरण के दर्ज मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए न केवल लड़की को बरामद किया बल्कि दीपांकर कुमार वर्मा को भी गिरफ्तार किया।भागलपुर पुलिस ने नेपाल के झापा जिला पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस के सौजन्य से दार्जिलिंग के खोराबाड़ी से अपहृत लड़की को बरामद किया,दरअसल गिरफ्तार युवक फेसबुक के माध्यम से अपने को एक टीवी चैनल का रिपोर्टर बताकर दोस्ती करता था और फिर एंकर की नौकरी दिलाने के नाम पर लड़कियों का यौन शोषण करता था।आज बदलाव का एक रंग यह कि कन्धों पर बदूक थामे पहले जो लोग पहुँचतेथे वह बन्दुक के बल पर सरकार चलाने की बात करते थे पर आज जिस कन्धों पर रायफल था वह सरकारी था और उसे चलाने वाला हाथ भी बदलाव के बयार का साक्षात प्रमाण था।मतलब कल तक बन्दुक वाले को देख आम लोग सहम जाते थे पर आज जिस हाथ में हथियार था उसके पास चलकर लोग अपनी पीड़ा सुना रहे थे।इस बदलाव के नायक थे मनोज कुमार बेगूसराय में आईपीएस मनोज कुमार नक्सल प्रभावित इलाके में मेडिकल कैंप लगवा कर कई बार गरीबों का ईलाज फ्री करवाई।दवा और चश्मे का वितरण पुलिस प्रशासन के द्वारा करवा कर एक मिसाल कायम करने का काम किया है साथ ही पुलिस लाईन में योगा शिविर लगवा कर जनता मेँ सेहत के प्रति भी जागरुकता लाने की कोशिश की। 

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

 

 

 

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