अररिया में गुड समेरिटन सुरक्षा और अधिकारों पर प्रशिक्षण आयोजित

अररिया,20सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह/अब्दुल कैय्युम, सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की मदद करने वाले नागरिकों, जिन्हें ‘गुड समेरिटन’ कहा जाता है, की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर शनिवार को परिवहन विभाग, अररिया द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन परमान सभागार, समाहरणालय परिसर, अररिया में किया गया, जिसमें न्यायिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और चिकित्सा कर्मियों ने भाग लिया।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था कि गुड समेरिटन को कानून और प्रशासनिक स्तर पर पूरी सुरक्षा मिले, जिससे वे दुर्घटना के तुरंत बाद पीड़ितों की मदद करने में संकोच न करें। कार्यक्रम में कुल 198 लोग ऑनलाइन और लगभग 30 लोग भौतिक रूप से शामिल हुए।
प्रमुख जानकारी और दिशा-निर्देश
जिला परिवहन पदाधिकारी, अररिया ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार गुड समेरिटन: सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाने, प्राथमिक चिकित्सा देने या पुलिस/आपातकालीन सेवाओं को सूचित करने पर किसी भी नागरिक या आपराधिक जिम्मेदारी (civil or criminal liability) के तहत नहीं आएंगे। उन्हें अपनी व्यक्तिगत जानकारी बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अस्पताल या पुलिस द्वारा उन्हें रोकना या किसी भी प्रकार के भुगतान की मांग करना गैरकानूनी है।
पुलिस अधिकारियों के लिए निर्देश:
- गुड समेरिटन से पूछताछ केवल एक बार और उनकी सुविधा के अनुसार की जाएगी।
- अदालत के चक्कर कम करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या हलफनामा (affidavit) को प्राथमिकता दी जाएगी।
अस्पतालों के लिए निर्देश:
- घायल व्यक्ति को तत्काल उपचार देना अनिवार्य है।
- अस्पताल में प्रवेश द्वार पर ‘गुड समेरिटन को परेशान नहीं किया जाएगा’ का चार्टर प्रदर्शित करना होगा।
न्यायिक अधिकारियों के लिए निर्देश:
- गुड समेरिटन को अनावश्यक समन से बचाया जाए।
- हलफनामा या कमीशन के माध्यम से साक्ष्य लेने को प्राथमिकता दी जाए।
गोल्डन आवर में अधिक से अधिक जानें बचाने का लक्ष्य
जिला परिवहन पदाधिकारी ने कहा कि इन दिशा-निर्देशों का मुख्य उद्देश्य है लोगों के मन से डर को दूर करना और उन्हें दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि गोल्डन आवर में अधिक से अधिक जीवन बचाए जा सकें।
गुड समेरिटन में कोई भी राहगीर या बाईस्टैंडर शामिल हो सकता है, जो सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करता है। इसमें अस्पताल पहुँचाना, प्राथमिक चिकित्सा देना, पुलिस या आपातकालीन सेवाओं को सूचित करना आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि यह दिशा-निर्देश SaveLife Foundation बनाम Union of India (2016) के फैसले पर आधारित हैं और तब तक लागू रहेंगे जब तक संसद द्वारा कोई नया कानून पारित नहीं किया जाता।