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अगले 48 घण्टों में बिहार के कई जिलों में भारी बारिश एवं वज्रपात की संभावना…

इससे जान माल की व्यापक रूप से क्षति हो सकती है।आमजनों को जागरूक रहने और अपने आसपास के अन्य लोगों को भी सतर्क करने की आवश्यकता है।आइये, जाने की वज्रपात या आसमानी बिजली के प्रकोप से कैसे बचा जा सकता है।क्या है आसमानी बिजली
जब ठंडी हवा संघनित होकर बादल बनाती है, तब इन बादलों के अंदर गर्म हवा की गति और नीचे ठंडी हवा होने से बादलों में धनावेश ऊपर की ओर एवं ऋणावेश नीचे की ओर होता है।बादलों में इन विपरीत आवेशों की आपसी क्रिया से विद्युत आवेश उत्पन्न होता है, जिससे आसमानी बिजली उत्पन्न होती है।बादलों के अंदर विद्युत आवेश की मात्रा को फिल्ड मिल नामक यंत्र से मापा जाता है।बादलों की टकराहट या उनमें उपस्थित जल कणों के आपस में टकराने से बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है।बिजली गिरने की अधिकतर घटनाएं किसी पेड़ या बिजली के खंभे के आसपास होती हैं।बादलों के अंदर उत्पन्न आवेश धरती की ओर आता है, तब इससे भवन और विद्युत उपकरण क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहती है।आसमानी बिजली गिरने पर बहुत अधिक मात्रा में विद्युत धरती में पहुंचता है। धातुएं विद्युत की अच्छी चालक होती हैं, इसलिए इस घटना के दौरान विद्युत उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का अधिक खतरा रहता है।बिजली में कुछ हजार से लेकर करीब दो लाख एम्पियर तक का धारा प्रवाह हो सकता है।जिले में हर साल बरसात के मौसम में ठनका गिरने से जानें जाती हैं।ठनका यानि आसमानी बिजली गिरना एक प्राकृतिक आपदा है।बिजली के कई प्रकार होते हैं।एक है विस्तृत बिजली।विस्तृत बिजली काफी विस्तृत क्षेत्र पर होती है और इसका अविरल प्रकाश बादलों पर काफी दूर तक फैल जाता है।बिजली के दूसरे प्रकार को धारीदार या रेखावर्ण बिजली कहते हैं।इसमें एक या अधिक प्रकाश रेखाएं, सीधी या टेढ़ी इधर-उधर दौड़ती हुई प्रतीत होती हैं।इसमें विद्युत विसर्जन बादल से बादल में, बादल से धरती में अथवा बादल से वायुमंडल के बीच होता है।तीसरे प्रकार की बिजली को गेंद बिजली कहते हैं।यह गेंद की शक्ल में धरती की तरफ आती है।जैसे-जैसे यह धरती की ओर आती है, इसकी गति कम होती जाती है।इससे रोका नहीं जा सकता है।लेकिन जानकार बताते हैं कि सावधानी बरतने से ठनका से होने वाले जानमाल के नुकसान से बचा जा सकता है।धरती पर पहुंचने पर आकाशीय बिजली बेहतर कंडक्टर (सुचालक) को तलाशती है, जिससे वह गुजर सके।धातु और पेड़ बेहतर सुचालक होते हैं।बिजली अक्सर इन्हीं में से पृथ्वी में जाने का रास्ता चुनती है। भवनों में तडित चालक जरूर लगाना चाहिए।अगर भवन में तडित चालक लगा है तो आकाशीय बिजली उससे होकर भूमि में चली जाती है।जिससे भवन को क्षति नहीं होती है।बारिश खासकर जब बादल चमकते हों तो पेड़ के नीचे खड़ा नहीं होना चाहिए।घर का बिजली का स्वीच आफ कर देना चाहिए।धातु से बनी वस्तु से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए।मोबाइल तथा टेलीविजन का उपयोग नहीं करना चाहिए।बिजली, मोबाइल तथा टेलीविजन आन रहने पर आकाशीय बिजली उसकी तरफ आकर्षित होती है।जिससे उसकी चपेट में आने की आशंका काफी रहती है।बरसात के दिनों में आकाशीय बिजली अक्सर जानलेवा साबित होती है।खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे पनाह लेने वाले, तालाब में नहाते समय बिजली चमकने पर इसकी आगोश में आने की संभावना अधिक रहती है।पर कुछ उपाय ऐसे हैं जिससे आकाशीय बिजली से बचा जा सकता है।राज्य सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा भी लोगों को सतर्क रहने के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है।

ठनका से बचने के उपाय

  • इस दौरान पेड़ के नीचे न खड़े हो।
    बिजली के खंभों और वृक्षों से दूर रहे।
    धात्विक वस्तुओं से भी दूरी बनाए रखें।
    विद्युत उपकरणों का उपयोग न करें।
    मोबाइल व टेलीफोन का उपयोग नहीं करें।
    जंगल में होने पर निचले स्थान या घाटी क्षेत्र में रहे।लेकिन वहां आकस्मिक बाढ़ से भी सावधान रहें।
    किसी पहाड़ी की चोटी पर खड़े न रहें।
    किसी जल स्त्रोत में तैर या नहा रहे है तो उससे निकल कर भूमि पर आ जाएं।
    यदि आपके सिर के बाल खड़े हो रहे हो तो आपके आसपास खतरा हो सकता है, किसी अनहोनी से बचने के लिए अपने हाथों से बालों को ढ़क कर सिर को घुटनों में छुपा लें।

जब आप घर के भीतर हों तो बिजली से संचालित उपकरणों से दूर रहें, तार वाले टेलीफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए।खिडकियां व दरवाजे बंद कर दें बरामदे और छत से दूर रहें।इसके अलावा ऐसी वस्तुएं जो बिजली के सुचालक हैं उनसे भी दूर रहना चाहिए। धातु से बने पाइप, नल, फव्वारा, वाश बेसिन आदि के संपर्क से दूर रहना चाहिए।इसी तरह जब आप घर के बाहर हैं तो आपको इनसे दूर रहना चाहिए।

चूंकि वृक्ष बिजली को आकर्षित करते हैं।अत बिजली चमकते समय वृक्ष के नीचे न खड़े रहें, ऊंची इमारतों वाले क्षेत्र में आश्रय न लें समूह में खड़े होने के बजाय अलग- अलग हो जाएं।किसी मकान में आश्रय लेना बेहतर है। सफर के दौरान अपने वाहन में ही रहें।मजबूत छत वाले वाहन में रहें, खुली छत वाले वाहन की सवारी न करें, बाहर रहने पर धातु से बने वस्तुओं का उपयोग न करें।बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा तार की बाड़ और मशीन आदि से दूर रहें।तालाब और जलाशयों से दूर रहें यदि आप पानी के भीतर हैं, अथवा किसी नाव में हैं तो तुरंत बाहर आ जाएं।

सिर के बाल खड़े हो जाएं तो समझिए बिजली गिरेगी

यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं व त्वचा में झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे झुककर कान बंद कर लें।क्योंकि यह इस बात का सूचक है कि आपके आसपास बिजली गिरने वाली है।

आसमानी बिजली गिरने पर क्या करें

बिजली का झटका लगने पर जरूरत के अनुसार व्यक्ति को सीपीआर, कार्डियो पल्मोनरी रेसिटेंशन यानि कृत्रिम सांस देनी चाहिए।तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।शहर के बहुमंजिले इमारतों में तडित चालक लगाए गए हैं।लेकिन अधिकांश घरो में तडित चालक नहीं लगे हैं।हालांकि जानकारी बताते हैं कि शहर में बहुमंजिल इमारतों में तडित चालक लगने होने तथा ऊंचे टावर तथा बिजली के पोल के कारण घरों पर आकाशीय बिजली गिरने का खतरा कम होता है।अगर बादल चमकने तथा कड़कने के समय बिजली का कनेक्शन, मोबाइल व टेलीविजन बंद रहा जाए तो ठनका गिरने की संभावना कम होती है।हालांकि गांवों में तडित चालक नहीं होने पर घरों पर ठनका गिरने की संभावना काफी रहती है।बरसात में अक्सर गांवों में ठनका गिरने का कारण भी यही होता है।विद्युत से बचाव के लिए भवनों, सार्वजनिक इमारतों के ऊपर तड़ित चालक लगावाना चाहिए।सतर्क रहें सुरक्षित रहें, अन्य लोगों को भी जागरूक करें।जानकारी ही बचाव है।

किशनगंज पुलिस कप्तान कुमार आशीष द्वारा जनहित में जारी

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