सरकार जहां स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए संवेदनशील है वहीं जोकी बाजार स्थित पीएचसी की स्थिति वर्षों से दयनीय बनी हुई है।आलम यह है कि यहां रोगियों के इलाज के बदले तरकारी (सब्जी) बिक रही है।अब लोग इसे तरकारी बिक्री केन्द्र के नाम से भी जानने लगे हैं।करीब पांच वर्ष पूर्व लाखों की लागत से भवन भी बना है लेकिन ये भवन भी आधा अधूरा रह गया है।संवेदक ने भवन निर्माण कार्य अबतक लटका कर रख दिया है।इस भवन में अक्सर पियक्कडों का जमावड़ा लगा रहता है। अतिक्रमण की वजह से स्वास्थ्य केन्द्र की जमीन भी दिनोंदिन सिमटती जा रही है।अब यहां मरीजों के इलाज के बदले स्वास्थ्य केंद्र के इलाज की जरूरत पड़ गई है।इस परिसर में कुछ स्वास्थ्य कर्मी परिवार के साथ रहते हैं।लेकिन ये कर्मी भी अतिक्रमणकारियों की दबंगई के आगे मजबूर हैं।पूर्व के एसडीओ बालामुरूगणडी ने अतिक्रमण हटाने की बात कही थी,लेकिन अचानक उनका दबादला हो जाने के कारण यह मामला तब से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।परिसर में अधिकतर दुकानें सब्जी विक्रेताओं की है बाकी कोई नाश्ता तो कोई कपड़े बेचता है।लेकिन बाजार के गणमान्य लोगों की मानें तो पीएचसी में दुकान लगाए बैठे लोगों पर किसी न किसी मजबूत लोगों का आशीर्वाद है।तभी ये बेखौफ अपनी-अपनी दुकानें चलाते हैं।बाजारवासियों का कहना है कि जल्द परिसर को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया तो पीएचसी को ढूंढना मुश्किल हो जाएगा । सिविल सर्जन डॉक्टर एनके ओझा ने बताया कि उन्हें भी अतिक्रमण की शिकायत मिली है।जल्द अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।और पीएचसी का पुनर्निर्माण कर स्वास्थ्य सेवा बहाल की जाएगी।
रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह