सूरजपुर पुलिस ने मानव तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है।एक महिला समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला है कि एक लड़की को आरोपी तीन से पांच लाख रुपये में बेचते थे।बंगाल,बिहार व उत्तर प्रदेश की लड़कियों को राजस्थान व हरियाणा में शादी व जिस्मफरोशी के लिए बेचा जाता था।आरोपी उन्हीं लड़कियों को निशाना बनाते थे,जो गरीब परिवार की होती थी या फिर जिस पिता की तीन चार लड़कियां होती हैं। आरोपियों ने ओमीक्रॉन सेक्टर तीन में ठिकाना बना रखा था।पुलिस ने आरोपियों से तीन लड़कियों को बरामद किया है।तीनों का सौदा 13 लाख रुपये में किया गया था।आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
सूरजपुर कोतवाली प्रभारी अनुज कुमार ने बताया कि 19 जनवरी को ओमीक्रॉन तीन में रहनेवाले एक व्यक्ति ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी तीन बेटियों का अपहरण हो गया है।उसने पड़ोस के एक घर में रहने वाले दंपती पर अपहरण का शक जाहिर किया था।जांच के बाद पूरा मामला ही अलग निकला।पता चला कि जिस दंपती पर शक जाहिर किया गया था,वह पेशेवर मानव तस्कर है।पिछले पांच साल से गिरोह पूरे देश में सक्रिय है। मुखबिर की सूचना के आधार पर यमुना एक्सप्रेस वे पर पुलिस ने दो गाड़ियों से पांच लोगों को गिरफ्तार कर तीनों लड़कियों को सकुशल बरामद कर लिया।आरोपी तीनों लड़कियों को बेचने के लिए राजस्थान ले जा रहे थे।उनका सौदा 13 लाख में हुआ था।वे सगी बहनें हैं।
सबसे छोटी बहन का पांच लाख व अन्य दो बहनों का सौदा चार-चार लाख रुपये में हुआ था।आरोपियों की पहचान अरबिंद उर्फ शाह जी,योगेश,मनोज,गणोश व महिला कमलेश उर्फ कल्लो के रूप में हुई है।अरबिंद की पत्नी कमलेश व दामाद योगेश भी इस अपराध में बराबर के हिस्सेदार हैं।तीनों गाजियाबाद के लोनी इलाके के रहनेवाले हैं,जबकि मनोज हरियाणा के महेंद्रगढ़ व गणोश राजस्थान के अलवर का रहने वाला है।गिरोह ने अब तक चार दर्जन लड़कियों का सौदा किया है,जिनमें नेपाल की लड़कियां भी शामिल हैं।यमुना एक्सप्रेस-वे पर दो वाहनों से तीन लड़कियां छुड़ाई गईं । 13 लाख में तीन बहनों को बेचने के लिए ले जा रहे थे ।सूरजपुर पुलिस ने जिस मानव तस्कर गिरोह का गुरुवार को भंडाफोड़ किया है,वह गिरोह के बारे में आठ महीने पहले भी महत्वपूर्ण सूचना मिली थी लेकिन पुलिस ने उस समय मामले को दबा दिया।यदि पुलिस ने उस समय ही मामले में दिलचस्पी ली होती तो कई लड़कियों की जिंदगी बचाई जा सकती थी।इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।मानव तस्कर गिरोह खासतौर से गरीब परिवारों को निशाना बनाता था,जिसके लिए गिरोह की महिला सदस्य का इस्तेमाल किया जाता था।आरोपी अपने आसपास रहने वाली गरीब लड़कियों की सूची तैयार करते थे।फिर उनके माता-पिता से संपर्क करते थे।उन्हें यह बताया जाता था कि वे एनजीओ से जुड़े हैं।उनकी लड़की को एनजीओ के माध्यम से अच्छी शिक्षा मिल सकती है।लड़की मिलने के बाद आरोपी कुछ दिन तक उसको अपने पास रखते थे,इसके बाद उसका सौदा करते थे।आरोपी लड़की को नहीं पता चलने देते थे कि उसका सौदा हो गया है।वहीं लड़की से यह भी कहते थे कि यदि उसे जगह पसंद न आए तो घरवालों को खाने में नींद की गोली मिलाकर भाग आना।आरोपी लड़की को नशे की गोली का पैकेट देकर साथ भेजते थे।कुछ दिनों पहले बेची गई एक लड़की वहां से भागकर आरोपियों के पास वापस आ गई थी।आरोपियों ने उसका सौदा दूसरी जगह कर लड़की को दोबारा बेच दिया।सूरजपुर पुलिस को आठ महीने पहले भी इस गिरोह के संबंध में अहम सूचना मिली थी।लेकिन तत्कालीन इंस्पेक्टर ने अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में पूरे मामले को दबा दिया था।जबकि सेक्टर के लोग कह रहे थे कि उनके सेक्टर में अवैध गतिविधियां हो रही हैं।वही सुजाता सिंह,एसपी देहात का कहना है की मानव तस्करी के आरोपी ग्रेनो के सूरजपुर कोतवाली में’मानव तस्करी के आरोपियों से बरामद वाहन ग्रेनो के सूरजपुर कोतवाली में’गिरोह के पांच लोग पकड़े जा चुके है।जबकि कई अन्य अभी फरार हैं।जांच के दौरान पता चला है कि गिरोह के तार कई अन्य प्रदेशों से जुड़े हुए है।नेपाल में भी आरोपियों के संबंध है।जल्द ही फरार आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।