ज्योतिष/धर्म

बाबा साह के मजार व भीम तकिया पर नहीं पड़ी नजर….

  • बाबा कमली साह मजार पर उर्ष के मौकेपर हर वर्ष आते हैं लाखों श्रद्धालु ।
  • कोचाधामन के बरीजान में है सूर्य की खंडित प्रतिमा….

सूर्य मंदिर-कोचाधामन प्रखंड के बरीजान पंचायत में पांच सौ वर्षों से अधिक पुराना भगवान सूर्य की प्रतिमा खुदाई के क्रम में ग्रामीणों को मिली।भगवान सूर्य की यह प्रतिमा बीचोबीच खंडित है।इतिहासकारों का मानना है कि यह प्रतिमा पालवंश कालीन है।

कीचक बध स्थल:-ठाकुरगंज प्रखंड से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर कीचक बध पर्यटक स्थल है।बुजुर्गों का कहना है कि पांडव जब अज्ञातवास का समय गुजार रहे थे।इसी क्रम में वे विराट नगरी पहुंचे।यह विराटनगरी आज ठाकुरगंज के नाम से जानी जाती है।यहां राजा विराट के यहां भीम रसोइया का काम करने लगे।राजा विराट के सेनापति कीचक ने पांडव पत्नी द्रोपती का अपमान करने की कोशिश की थी।जब भीम को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने खुले मैदान में कीचक से युद्ध कर उसका बध कर डाला।

बाबा कमली शाह का मजार:-नगर परिषद क्षेत्र स्थित कदमरसुल क्षेत्र में बाबा कमली शाह का वर्षो पुराना मजार है।जहां उर्स के मौके पर लाखों की संख्या में लोग पहुंच कर बाबा के मजार पर मन्नत मांगते हैं।वहीं मन्नत पूरी होने पर बाबा के मजार पर चादर भी चढ़ाते हैं।ऐसी मान्यता है कि यहां आकर जो भी इंसान सच्चे दिल से मन्नत मांगते हैं।उनकी मन्नत निश्चित ही पूरी होती है।

भीम तकिया:-भीम तकिया पर्यटक स्थल पर अपना अलग ही विशेष महत्व है।बुजुर्गों का कहना है कि इस स्थल का संबंध महाभारत काल से है।जब भीम को भोजन करने के उपरांत आराम करने की जरूरत पड़ती थी।उस समय भीम यही आकर आराम किया करते थे।वर्तमान समय में यह स्थान भीम तकिया के नाम से प्रसिद्ध है।

खगड़ा मेला:-एक सौ वर्ष से अधिक पुराना खगड़ा मेला का बिहार में दूसरा सबसे बड़ा मेला के रूप में जाना जाता था। लेकिन वर्ष 1990 में जिला बनने के यह एतिहासिक खगड़ा मेला का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होने लगा।इस मेला में पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए सूबे के सभी इलाकों से लोग आते थे।लेकिन वर्तमान समय में मेला डाक की राशि तो बढ़ गई।लेकिन मेला का वजूद समाप्त होता चला गया।

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

जिले के शहरी और ग्रामीण क्षत्रों में एक से बढ़ कर एक पर्यटक स्थल हैं।आश्चर्य की बात यह है कि इन पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बिहार राज्य पर्यटन विभाग द्वारा आज तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई।बांग्लादेश,नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा व पश्चिम बंगाल की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित सीमांचल के इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु के अंचल का यह सुदूर इलाका तमाम संभावनाओं से संपन्न है।महाभारत काल की अतीत व सूर्य की खंडित प्रतिमा को अपने आंचल में समेटे किशनगंज की अतीत काफी समृद्धशाली रही है।बाबा कमली साह के मजार पर हर वर्ष उमड़ने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा जमुनी तहजीब का एहसास भी कराती है।पौराणिक इतिहासों व दर्जनों प्रसिद्ध स्थलों को किशनगंज ने सहेज कर जरूर रखा है,मगर सरकारी उपेक्षाओं से सब कुछ अब किस्से कहानियों में सिमट रहे हैं।चाहें वो शहर के समीप यानि नगर परिषद क्षेत्र में स्थित कदम रसूल में बाबा कमली साह का मजार हो या फिर ठाकुरगंज स्थित भीम तकिया हो।बात करें ठाकुरगंज के समीप कीचक वध स्थल की या फिर कोचाधामन के बरीजान में स्थित सूर्य की विखंडित प्रतिमा हों।किसी को संरक्षित करने व पर्यटन को लेकर बढ़ावा देने के लिहाज से सरकार की ओर कोई प्रयास नहीं किया गया।जिले में ऐसे दर्जनों महत्वूपर्ण पर्यटन स्थल जिनके विस्तार की जरूरत है।जिला मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक खगड़ा मेला कभी इलाके की शान हुआ करता था। पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए प्रसिद्ध यह मेला आज बदहाली के कगार पर पहुंच गया है।40-50 लाख रूपये में डाक होने वाला यह मेला आज भी अपने पुराने दिन लौटाने में असमर्थ सिद्ध हो रहा है।धर्मगंज स्थित नेहरू शांति पार्क, टेघरिया स्थित गायत्री मंदिर,धर्मशाला रोड स्थित लक्षमी नारायण मंदिर,डे-मार्केट स्थित कारगिल पार्क और कदमरसुल स्थित बाबा कमली शाह का जमारमजार सहित कई अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।मुख्यालय से सटे बेलवा पंचायत में डोक नदी के किनारे वर्षों पुरानी मां काली की भव्य मंदिर है।जहां वर्ष के सभी दिन लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।लेकिन यह मंदिर परिसर आज भी विकास की बाट जो रहा है।जिला के कई प्रखंड में भी एतिहासिक पर्यटक स्थल हैं।इनमें ठाकुरगंज स्थित कीचक बध स्थल और हरगोड़ी मंदिर शामिल हैं।यहां भातडाला पोखर की अपनी ही अलग महत्व है।ठाकुरगंज और नेपाल सीमा पर महाभारत कालीन भीम तकिया पर्यटक स्थल है।बताते चलें कि लोगों का कहना है कि जब पांडवों को वनवास की सजा मिली थी।उस समय भीम ने यहीं आकर वनवास का समय काटा था। कोचाधामन प्रखंड में सैकड़ों वर्ष पुराना भगवान सूर्य की खंडित प्रतिमा जमीन के नीचे से मिला है।अफसोस की बात है कि इन सभी पर्यटक स्थलों का आज तक विकास नही किया जाना अत्यंत की चिंता का विषय है।जबकि इस जिला में बिहार राज्य पर्यटन विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त एक मात्र होटल हाइवे है।वही किशनगंज सांसद मौलाना असरारूल हक कासमी,कहते है की जिला में अधिकांश पर्यटक स्थल एतिहासिक हैं।अगर इन सभी पर्यटक स्थलों का विकास कर दिया जाए तो यह स्थल सुरक्षित होने के साथ राजस्व प्राप्ति का बेहतर विकल्प बन सकता है।हालांकि बिहार राज्य पर्यटन विभाग द्वारा इस दिशा में कोई ठोस पहल नही की गई है।यहां के पर्यटक स्थलों के विकास के लिए सीएम नीतीश कुमार सहित बिहार राज्य पर्यटन विभाग से भी बात की जायेगी।मेरी कोशिश है कि जिला के पर्यटक स्थलों का विकास कर जिला का राजस्व श्रोत को बढ़ा सकूं।

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

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