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पोषण :- पंचमूल आवश्कताएं है

मात्र  5000 रूपये अगर प्रत्येक मनुष्य को मिलने लगे तो वह अपना पोषण पूर्ण कर सकता है. क्योंकि अधिकतम अपराध की जननी भूख है, जब तक मानव भूख पर विजय नहीं पा लेता , तब तक समाज के हर तबके से अपराध को मिटाया नहीं जा सकता. इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता. विश्व कस प्रत्येक देशों में, रक्षा बजट के नाम पर विशाल धनराशि, बारुद के नाम पर गलत खर्च किये जाते है. इस विध्वंशकारी बजट का एक छोटा अंश मात्र ही मानव पोषण हेतु पर्याप्त होगा. अगर मानव सुपोषित होगा तो मानव बम बनने की जगह समाज को एक बेहतर भविष्य देगा. विश्व मानव समाज से प्रत्येक अतिवाद का स्वयं ही अंत हो जायेगा. सकल मानव समाज मानवीय हो जायेगा. फिर किसी व्यक्ति विशेष को किसी व्यक्ति विशेष से भयभीत होने की ओर किसी से शोषित होने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे एक भयभीत समाज शोषण मुक्त समाज की स्थापना होगी. फिर सुरक्षा के नाम पर बारुद की आवश्यकता नहीं होगी. समाज एक नई दिशा और दशा तय करेगा. मनुष्य पूर्ण रूप से विकसित होगा, समाज स्वत: रूप से उन्नत होगा और एक नए विश्व की रचना करेगा. घुटने के बल रेंगने वाला मानव ब्रह्माण्ड की तरफ अग्रसर होगा और समाज से प्रत्येक तरह विकृति दूर हो सकती है. मनुष्य, मनुष्य से घृणा की जगह परस्पर प्रेम करने लगेगा. क्योंकि इस धरती पर सबसे हिंसक प्राणी शेर भी जब भूख से पड़े होता है तो वह शिकार नहीं करता जिसमे विवेक नहीं होता है और मानव जो की जन्म से ही विवेकशील प्राणी है वह अगर भूख से पड़े रहेगा तो  विध्वंसक कार्यों की जगह रचनात्मक कार्यों में विश्वास रखेगा और समाज को सही दिशा निर्देशित देगा. इससे एक स्वस्थ समाज, देश और विश्व का नवनिर्माण होगा.

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