फारबिसगंज के नाम कई अच्छी बातें हैं तो नक्कालों की सक्रियता यहां के उन्नत भाल पर कलंक का टीका भी लगाती रही है।इन दिनों फारबिसगंज नकली खाद का अन्तर्राष्ट्रीय बाजार बन गया है।यहां से बनी नकली खाद सीमांचल के कई जिलों सहित नेपाल तक भेजी जाती है।बेहतर उत्पादों के आसमान छूते दामों की वजह से कम कीमत पर बिकने वाली नकली खाद से फसल लगाना यहां के किसानों की मजबूरी हो गयी है।इस कारण जहां कारोबारी आबाद तो किसान बर्बाद हो रहे हैं।जिले में रबी का सीजन चरम पर है।गेहूं व मक्के की बोआई को ले किसान खाद की तलाश में हैं।लेकिन देखिए दुर्भाग्य कि भारत के ब्रांडेड खाद से नेपाल के खेतों से तो सोना उगलता है,लेकिन यहां के किसान अपने खेतों मे मिलावटी व नकली खाद डालने को विवश रहते हैं।पुरानी रिवायत रही है कि नवंबर दिसंबर के महीने में अररिया सहित संपूर्ण सीमांचल में नकली व मिलावटी खाद का जोर बढ़ जाता है।देश का मजबूर अन्नदाता आखिर खाद ले तो कहां से ?
यह एक सवाल है जिस पर सत्ता व शासन की तवज्जो अक्सर नहीं रहती।वहीं,बेहतर फसल के लिए किसान अच्छे खाद बीज की चाह लगाए रहते हैं।किसानों की यह चाहत ही उनकी मजबूरी बन जाती है और इलाके दुर्दांत मिलावटखोर नकली खाद का ऐसा खेल खेलते हैं कि अन्नदाता अपनी किस्मत को कोसता रह जाता है। केवल सच उठाता रहा है प्रमुखता से इस मामले को अन्नदाता की पीड़ा को अक्सर प्रकाशित करता रहा है।ताकि समाज के रहनुमाओं की नजर इस पर जाए।जिले में नकली व मिलावटी खाद के काले धंधे के बारे में केवल सच ने खबर प्रकाशित की थी।प्रशासन सक्रिय हुआ तो नकली व मिलावटी खाद के काले धंधे का भंडाफोड़ हो गया।
POSTED BY:-Dharmendra singh DECEMBER 15,2016