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डुगडुगी पीटकर-पीटकर पोठिया थाना को किया आग के हवाले…

गुरुवार की शाम नशे में पकड़े गए बुधरा निवासी राजू हांसदा की पुलिस पिटाई से मौत की अफवाह पर भड़के आदिवासियों ने शनिवार को परंपरागत हथियारों के साथ जिले के पोठिया थाने पर हमला कर दिया।गुस्साए आदिवासियों ने पुलिसकर्मियों की पिटाई करने के बाद थाने में आग लगा दी।जीप,मोटरसाइकिल,वैन को भी आग के हवाले कर दिया।इसे देख छह राउंड हवाई फायरिंग करते हुए पुलिसकर्मी जान बचाकर थाना छोड़कर भाग गए।इसी दौरान उपद्रवियों ने एक रायफल व मैगजीन छीन ली।रायफल तो थाने से सौ मीटर दूर खेत में मिल गया लेकिन मैगजीन का पता नहीं चल सका है।घटना की सूचना मिलने पर शाम 4.15 बजे डीएम व एसपी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे,लेकिन उपद्रवियों का आक्रोश देख दोनों अधिकारी दो घंटे तक रेलवे लाइन किनारे खड़े होकर माजरा देखते रहे।थाना परिसर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके।हालांकि अंधेरा होने पर मौके पर पहुंचे डीएम पंकज दीक्षित व एसपी राजीव मिश्र ने थानाध्यक्ष मनु प्रसाद को निलंबित करते हुए मामले की जांच कराने का आदेश दिया।तीर-धनुष,हसिया,लाठी-डंडे से लैस सैकड़ों की संख्या में आदिवासी दोपहर दो बजे से शाम सवा छह बजे तक डुगडुगी पीटकर थाना परिसर में उत्पात मचाते रहे।इस बीच कोई भी अधिकारी व पुलिसकर्मी थाना परिसर के आसपास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। हालांकि लगातार बिगड़ती जा रही स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन ने स्थानीय आदिवासी नेता द्वारा बातचीत कर मध्यस्थता करने व बीमार राजू हांसदा से मिलने दो लोगों को भेजकर मामला शांत कराने की कोशिश की।इस बीच एसडीएम मो.शफीक माइकिंग कर शांति व्यवस्था बहाल करने की कोशिश करते रहे,

लेकिन बात नहीं बनी।अंधेरा होने पर डीएम, एसपी, एसडीएम, एसडीपीओ व अन्य पदाधिकारी सैकड़ों पुलिस फोर्स के साथ थाना परिसर पहुंचे। डीएम,एसपी ने अग्निशमन दल बुलाकर आग बुझाने का निर्देश दिया।डीएम, एसपी समेत तमाम आला अधिकारी व विभिन्न थानों की पुलिस घटनास्थल पर कैंप कर रही है।नहीं कोई एफआइआर बची, नहीं पुलिस जीप, मालखाना और नहीं स्टेशन डायरी ही बची।जिसमें पुलिस अपना सब कुछ लिखती है।आदिवासियों द्वारा लगाई गई आग में पोठिया थाना भवन व कार्यालय में कुछ भी नहीं बचा।आदिवासियों ने चुन चुन कर सब कुछ आग के हवाले कर दिया।लगभग तीन घंटे तक पोठिया थाना आदिवासियों के कब्जे में रहा। उन लोगों के मन में जो आया वही किया।इस दौरान पुलिस की खाकी वर्दी इनके निशाने पर रही।जो भी खाकी वर्दीधारी आदिवासियों को दिखाई पड़ता था उसकी इन लोगों ने धुनाई कर की।एएसआइ लक्ष्मण पासवान,पवन सिंह के साथ भी मारपीट की गई।महिला चौकीदार को भी खदेड़ कर भगा दिया।घटना की वजह गुरुवार 9 फरवरी को चौकीदारों की जनरल परेड थाना में चल रही थी।इस दौरान थाना चौकीदार दिलीप हरिजन परेड के लिए थाना नहीं पहुंचे थे।थानाध्यक्ष मनू प्रसाद ने कुछ चौकीदार को उन्हें ढूंढकर लाने को कहा।आधा घंटा बाद चौकीदार दिलीप हरिजन व बुधरा निवासी राजू हांसदा के साथ शराब के नशे में धुत थाने आए।उन दोनों को चिकित्सा जांच हेतु स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।इस दौरान राजू घर जाने लगा।पकड़ने के क्रम में राजू को चोट लग गई।चोट कैसे लगी इस पर कुछ का कहना है कि राजू के साथ मारपीट की गई।इसके बाद संध्या समय राजू को पेशाब के रास्ते से खून आने लगा।बाद इलाज हेतु उसे पहले पोठिया फिर इस्लामपुर और 

फिर इस्लामपुर से नार्थ बंगाल मेडिकल रेफर कर दिया गया।वहीं दूसरे दिन शुक्रवार को चौकीदार दिलीप को जेल भेज दिया गया।जबकि पुलिस अभिरक्षा में राजू हांसदा का नार्थ बंगाल में इलाज जारी है।वहीं दूसरी ओर शनिवार सुबह से ही यह अफवाह फैलने लगी की राजू हांसदा की पुलिस पिटाई से मृत्यु हो गई है।बुधरा गांव के कुछ लोगों ने जेल से लेकर सदर अस्पताल व मेडिकल कॉलेज किशनगंज तक राजू का पता किया,लेकिन उसका पता नहीं चला।दिन बढ़ने के साथ धीरे-धीरे आदिवासी समुदाय 

 

के लोग एक जुट होकर थाना घेरने की तैयारी करने लगे।दोपहर दो बजे लगभग सौ की संख्या में आदिवासी महिला व पुरुष तीर धनुष से लैस होकर थाना पहुंचे और थाना के अंदर जाकर वाहन सहित कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।जिसमें दो पुलिस की सरकारी जीप,एक बोलेरो जिसे भाड़ा पर रखा गया था।दो मोटर साइकिल, मालखाना में रखा सारा सामान व कार्यालय का लगभग तमाम कागजात जलकर राख हो गया।चार घंटे के बवाल में पोठिया थाना धू-धूकर जलता रहा और सड़क किनारे खड़ी पुलिस मूकदर्शक बनी रही।खाकी वर्दी पर हमलावर व आक्रामक रूख अपनाए उपद्रवियों के सामने जाने की प्रशासनिक अधिकारी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।हालांकि रह-रह कर आती पुलिस कर्मियों पर हमला करने जैसी अफवाहों पर पुलिस जवान उग्र हो रहे थे।लेकिन डीएम पंकज दीक्षित व एसपी राजीव मिश्र धैर्य से काम लेने की अपील करते

हुए बातचीत के जरिए मामले की हल निकालने को लेकर रणनीति बनाते रहे।दो घंटे तक रेलवे लाइन किनारे खड़े होकर माजरा देख जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक स्थानीय आदिवासी नेताओं व समाजिक कार्यकर्ताओं को मोर्चे पर लगाया और बातचीत कर मामला शांत कराने की कोशिश की।शाम ढलते-ढलते लगभग दो घंटे बाद डीएम व एसपी की रणनीति कामयाब हुई और उपद्रवी थाना परिसर से पीछे हटने पर राजी हुए।पोठिया थाना पर शनिवार दोपहर दो बजे आदिवासियों ने हमला किया जिसके दो घंटे बाद डीएम, एसपी, एएसपी, एसडीएम, एसडीपीओ समेत लगभग 15 थाने की पुलिस बल पोठिया पहुंची।

बुधरा समेत दूर दराज के गांव से आए सैकड़ों आदिवासियों द्वारा मचाए जा रहे उपद्रव देख किसी ने थाना परिसर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।रवि उरांव व अन्य आदिवासी नेताओं को डीएम व एसपी ने बातचीत के लिए थाना परिसर भेजा जिसके बाद स्थिति संभलने लगी।इसी बीच पोठिया बीडीओ संदीप पांडे राजू हांसदा के परिजन को साथ लेकर सिलीगुड़ी ले गए।नार्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज माटीगाड़ा, सिलीगुड़ी में भर्ती राजू हांसदा से स्थानीय लोगों की बातचीत कराने पर मामला शांत हुआ।आखिरकार शाम सवा छह बजे डीएम,एसपी समेत तमाम अधिकारी पुलिस बल के साथ थाना परिसर में प्रवेश किया।शाम सवा छह बजे जैसे ही थाना परिसर में डीएम पंकज दीक्षित व एसपी राजीव मिश्र ने पुलिस बल के साथ उपद्रवियों को खदेड़ते हुए अंदर प्रवेश किया तो हर तरफ जल रही आग व उपद्रव देख भौंचक रह गए।इसके बाद अग्निशमन दस्ता बुलाकर आग बुझाने का काम शुरू किया गया।हालांकि उपद्रव के दौरान बिजली विभाग ने पूरे पोठिया का एहतियातन बिजली काट दिया गया।रात आठ बजे के करीब डीएम व एसपी घटना स्थल से वापस किशनगंज लौट गए वहीं एएसपी, एसडीएम,एसडीपीओ समेत सैकड़ों पुलिस बल घटना स्थल पर तैनात है।पोठिया में शांति व्यव्यस्था बहाल होने के थाना प्रभारी रहे मनु प्रसाद के निलंबन के बाद नये थाना प्रभारी पोठिया के रूप में कमान संभाले विजय मंडल।

 

साथ में मौजूद है तेज तर्रार युवा सर्किल इंस्पेक्टर ठाकुरगंज सह ठाकुरगंज थानाध्यक्ष राजेश कुमार तिवारी, कुर्लीकोर्ट थाना प्रभारी राहुल कुमार, मौजूद CID के अधिकारी सहित पूर्व जिप प्रत्याशी व भाजपा युवा नेता पोठिया निरंजन राय।पोठिया में शांति व्यवस्था कायम करने में पुलिस बल और प्रसासन का अद्वितीय उदाहरण सामने है।तांडव मचाने के दौरान जब उपद्रवियों ने गर्दन में हंसुआ सटाया तो रोंगटे खड़े हो गए थे।ऐसी स्थिति में अगर गोली चलाते तो निलंबित हो जाते।एसपी साहेब जेल भेज देते।फिर बाल-

बच्चों का क्या होता।दो-दो जवान बेटियों की शादी करनी है।बच्चे को पढ़ाना-लिखाना है।यह सब सोचकर चुपचाप मार खाते रहे।और जब मार खातेखाते बेहोश हो गिर गए तब उनलोगों ने मृत जानकर छोड़ दिया।ऊपर वाले की कृपा से किसी तरह जान बच गई और बाल-बच्चों ने मुझे जिंदा देख लिया।यह बात सदर अस्पताल में इलाजरत पोठिया थाने के एएसआइ लव पासवान ने रोते हुए कही।मात्र 24 घंटे पूर्व गुजरे भयावह मंजर को याद कर उनकी आंखों से आंसू की धारा बह निकली।उन्होंने कहा कि अगर बच्चों की चिंता नहीं रहती तो पुलिस की नौकरी छोड़ देता,पर उम्र के इस पड़ाव में अब कर भी क्या सकता हूं।थानाध्यक्ष की गलती की सजा भोगने के शिवा और कोई चारा भी तो नहीं बचा है।उन्होंने रोते-रोते कहा

की घटना से तो नहीं बचा है।उन्होंने रुंधे गले से कहा कि घटना से पूर्व राजू की मां बेटे की तलाश में थाना पहुंची थी परंतु थानाध्यक्ष ने उसे दुत्कार कर भगा दिया था।घटना से नाराज महिला अपने गांव पहुंची और डंका पीटकर समुदाय के लोगों को इकट्ठा करने लगी।इसके बाद राजू हांसदा की मां थाने पहुंची और वर्दी में तैनात एकमात्र पुलिस पदाधिकारी यानी मेरे समक्ष पहुंच कर उसने कहा कि बताओ मेरा बेटा कहां है,पर मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं होने के कारण जब मैंने उसे समझाने का प्रयास किया,तो भीड़ मुझ पर ही टूट पड़ी।मार खाते-खाते बेहोश होकर गिर जाने के बाद उपद्रवियों ने उन्हें मृत समझ कर छोड़ दिया और थाने में आगजनी व तोड़-फोड़ करने लगे।कुछ देर बाद एक स्थानीय व्यक्ति ने उन्हें पोठिया अस्पताल में भर्ती करा दिया।इसकी जानकारी उपद्रवियों को मिलते ही वे लोग अस्पताल जा पहुंचे।परंतु एक चिकित्सक ने उन्हें अपने कमरे में छिपाकर जान बचा ली जिसकी जानकारी वरीय पदाधिकारियों को मिलते ही उसे पोठिया से सकुशल निकाल इलाज हेतु सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।पीड़ित एएसआइ ने फूट-फूट कर रोते हुए कहा कि 28 वर्षों के सेवाकाल के दौरान ऐसा थानाध्यक्ष उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।जो अपनी जिद के आगे अपने सहकर्मियों की जिंदगी दांव पर लगा दे,और पूरे थाने को आग के हवाले करवा दे।पर यहाँ लोगों द्वारा सवाल उठ रहे हैं की कहीं न कहीं यह मामला पुलिस बर्बरता और मानवाधिकार के नियमों का खुला उल्लंघन है।अगर राजू हांसदा जीवित है तो पुलिस ने क्यों मामला इतना बढ़ने दिया ? आखिर राजू हांसदा की कितनी पिटाई की गई कि उसे सिलीगुड़ी भर्ती करना पड़ा ? शराबबंदी कानून और जागरूकता के सामंजस्य की कमी का यह नतीजा तो नहीं है ? आखिर कई सवाल है,जिनके जवाब पुलिस को देने पड़ेंगे ? पोठिया थाना में उपद्रव को लेकर एसपी के निर्देश पर अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। शनिवार दोपहर पोठिया थाना में आदिवासियों द्वारा किए गए हमले

  

में सरकारी संपत्ति नष्ट करने, आगजनी करने, पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला करने व सरकारी काम में बाधा डालने को लेकर 300-350 अज्ञात के विरूद्ध सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की गई। विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए मामले में पुलिस उपद्रवियों की पहचान कर कार्रवाई में जुट गई है। इधर सोमवार को राजू हासदा को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पुलिस अभिरक्षा में किशनगंज लाया गया। न्यायालय में प्रस्तुत करने के बाद शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किए गए राजू हांसदा को जेल भेजा गया।पोठिया की घटना की मॉनीटरिंग कर रहे एसपी राजीव मिश्र ने रविवार की देर शाम पोठिया थाना का दौरा किया।पोठिया थाना के नव पदस्थापित थानाध्यक्ष विजय कुमार व तैनात अन्य पुलिस पदाधिकारियों के साथ एसपी मिश्र ने रविवार शाम बैठक की।थाना परिसर में पेड़ के नीचे हुई बैठक में पुलिस अधीक्षक ने उपस्थित पुलिस पदाधिकारियों से वस्तु स्थिति की बिंदुवार जानकारी ली।बैठक में उपस्थित ठाकुरगंज इंस्पेक्टर भोगेन्द्र झा,पोठिया थानाध्यक्ष विजय कुमार, पहाड़कट्टा थानाध्यक्ष अमित 

कुमार,सुखानी थानाध्यक्ष सज्जाद हुसैन, कुर्लीकोट थानाध्यक्ष राहुल कुमार, पौआखाली थानाध्यक्ष मुकेश कुमार समेत अन्य पुलिस पदाधिकारियों को पुलिस-पब्लिक संवाद बेहतर बनाने की नसीहत दी।खासकर पोठिया थानाध्यक्ष विजय कुमार को थाना में हुए उपद्रव के बाद स्थिति संभालने को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश भी उन्होंने दिया।घंटे भर चली बैठक में एसपी ने साफ शब्दों में कहा कि बेहतर पुलिसिंग के लिए पुलिस-पब्लिक संवाद ज्यादा जरूरी है।उन्होंने घटना की जांच में निष्पक्ष तरीके से उपद्रिवयों की पहचान कर कार्रवाई करने की बात कही।इधर सोमवार को राजू हांसदा को नार्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज से छुट्टी मिलने के बाद सीधे किशनगंज न्यायालय ले जाया गया,जहां से उसे जेल भेज दिया गया।राज्य सरकार अपनी घोषणाओं पर अमल नहीं कर रही है। अपराध का ग्राफ प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।चार दिन पूर्व पोठिया थाना में घटित घटना आदिवासियों को मोहरा बना कर शराब माफिया द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया।ताकि प्रशासन पर दवाब बना शराब माफिया अपना काम सहज तरीके से करते रहे।पोठिया थाना को आग के हवाले कराने में अन्य स्थान के लोगों को लगाया था जिस कारण प्रशासन अपने एफआईआर में 400 अज्ञात लोगों को दर्ज की है।यह कैसा सुशासन है।जहां दिनदहाड़े थाना को आग के हवाले कर दिया जाता है और प्रशासन मूकदर्शक बन तमाशा देखते रह जाती है।जिला प्रशासन के समक्ष उपद्रवियों द्वारा थाना के अंदर घुस तांडव मचाया जाता है और घटना के चार दिन बाद भी पुलिस द्वारा एक भी उपद्रवी को गिरफ्तार नहीं कर पाना काफी शर्मनाक है।जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता फजील अहमद ने उक्त बातें कही।बुधवार को 

ठाकुरगंज नगर पंचायत स्थित डाक बंगला में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता फजील अहमद ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की।बैठक में पार्टी नेता जावेद प्रधान, फरहान आलम, शाहनवाज उर्फ कल्लू, शमशाद अहमद, तवरेज आलम, मो. शमीम, मो. राजू शेख, बाबुल आलम, सुनील मरांडी, मो. नुरुल, मो. जमशेद व अन्य मौजूद थे।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

 

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