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क्या अपनी बौखलाहट में कपिल मिश्रा इतनी भी मर्यादा भूल गये की आज ही अरविंद जी के साढ़ू बंसल जी का निधन हुआ और उन पर ऐसे बेबुनियाद आरोप ? संजय सिंह ।

खुद के ही नेता द्वारा लगाए गए संगीन आरोपों के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी तक चुप थे।देर शाम उनकी चुप्पी टूटी है।उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है,सत्य की जीत होगी।कल दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र से इसकी शुरुआत।केजरीवाल के इस ट्वीट से कुछ घंटे पहले ही आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी एक ट्वीट किया है।उन्होंने अपने ट्वीट में सीएम केजरीवाल का बचाव करते हुए कपिल मिश्रा को मानवता का पाठ पढ़ाने की कोशिश की है।संजय सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि,क्या अपनी बौखलाहट में कपिल मिश्रा इतनी भी मर्यादा भूल गये की आज ही अरविंद जी के साढू बंसल जी का निधन हुआ और उन पर ऐसे बेबुनियाद आरोप ? जीत सत्य की होगी।कल दिल्ली विधान सभा के विशेष सत्र से इसकी शुरुआत।कपिल मिश्रा की ओर से लगाए गए आरोप और पिछले दिनों में पार्टी के अंदर बढ़ रही मुखर नाराजगी के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने घर को बचाने के लिए रणनीति पूरी तरह बदल दी है।बागी तेवर वाले विधायकों को पार्टी के साथ बनाए रखने के लिए उनसे बातचीत होगी।उनकी समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दिया जाएगा और यह सब कुछ शीर्ष स्तर से होगा।आप के लिए लगातार बागी तेवर अपनाते विधायकों की समस्या बढ़ती जा रही है।माना जा रहा है कि कपिल मिश्रा के अलावा छह-सात विधायक और हैं जो पार्टी के खिलाफ खुल कर जनता के बीच जा सकते हैं।ऐसे विधायकों को लेकर पार्टी में पहले जहां बेहद उपेक्षा का भाव था,वहीं अब इनको लेकर विशेष तैयारी की जा रही है।ऐसे विधायकों को नियमित तौर पर केजरीवाल से मिलवाने के साथ ही अन्य मंत्रियों से भी मिलवाया जाएगा।एक वरिष्ठ सूत्र कहते हैं,विधायकों को अपनी बात रखने के लिए पहले भी पर्याप्त मंच मिल रहा था।लेकिन अब खास तौर पर इसके लिए कोशिश की जाएगी।आने वाले समय में विभिन्न ऐसे पदों पर भी उन्हें मौका देने की कोशिश की जाएगी जहां वे व्यस्त रह सकें।राजेश ऋषि, देवेंद्र सहरावत और पंकज पुष्कर जैसे विधायक पहले ही बागी हो चुके हैं, जबकि पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जरनैल सिंह ने दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।इसी तरह बवाना से आप के विधायक वेद प्रकाश ने दो महीने पहले भाजपा की सदस्यता लेने के लिए विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।70 सीटों वाली विधानसभा में 67 के अपार बहुमत की वजह से अरविंद केजरीवाल ने शुरुआत में विधायकों की परवाह नहीं की।लेकिन

अब स्थिति बदली हुई है।पार्टी के 21 विधायकों पर चुनाव आयोग का फंदा अभी लटक ही रहा है।दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी को कहीं ऐसी जीत भी नहीं मिली जो भविष्य के लिहाज से नाराज विधायकों और नेताओं को शांत रख सके।दूसरी तरफ कई बार पार्टी के विधायकों ने खुले तौर पर आरोप भी लगाया कि केजरीवाल उनसे मिलते ही नहीं हैं।पिछले दिनों कुमार विश्वास ने जब बगावती सुर अपनाए थे,तब छह और विधायकों ने उनके सुर में सुर मिलाया था।पार्टी खास तौर पर इन विधायकों पर नजर रखना चाहती है।इनमें अलका लांबा और सोमनाथ भारती भी शामिल हैं।कठघरे में ‘कोतवाल आपको बताते चले की रविवार को जो कुछ हुआ वह उतना ही अजूबा था जितना 67 सीट के साथ दिल्ली में आम आदमी पाटी की सरकार का गठन था।अजूबा इसलिए क्योंकि राजनीतिक इतिहास में दोनों घटनाएं पहली बार हुर्इं।खुद को ईमानदारी का महानायक के रूप में स्थापित करने वाले अरविंद केजरीवाल कैबिनेट में रहे एक अहम मंत्री ने उन पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।वह भी उस मुख्यमंत्री पर जिसने किसी भी दूसरे राजनीतिक दल या व्यक्ति पर उंगली उठाने में कभी देर नहीं लगाई।अब वह चुप्पी साधे बैठे हैं।दूसरे नेता सामने खड़े हैं जो सफाई भी दे रहे हैं,मुख्यमंत्री के साफ दामन का दावा भी कर रहे हैं लेकिन परोक्ष रूप से कई अन्य मुद्दों पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं।जो भी हो,यह कहना गलत नहीं होगा कि एक-डेढ़ साल के अंदर ही जहां पार्टी के राजनीतिक ग्राफ में तेजी से पतन दिखा,वहीं खुद केजरीवाल के नेतृत्व और नियंत्रण क्षमता में भी क्षरण स्पष्ट है।सवाल उठाने वाले संस्थापक सदस्यों, विधायकों व सांसदों को बाहर का रास्ता दिखाकर भी प्रभुत्व बरकरार रखना संभव नहीं हो पा रहा है।इसमें कोई संशय नहीं कि कपिल मिश्रा ने मंत्री पद से हटाए जाने से पहले केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया होता तो उसे विश्वसनीय माना जाता।लेकिन वह जितनी शिद्दत से दो दिन पहले ही उदाहरण देकर यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी आंखों से केजरीवाल को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपये लेते देखा,उसे सीधे तौर पर नकारा भी नहीं जा सकता।खासतौर पर तब जबकि कपिल मिश्रा ने जैन का नाम लिया है जिसके खिलाफ सीबीआइ कुछ मामलों में जांच शुरू कर चुकी है।मिश्रा ने जैन का हवाला देते हुए ही आरोप लगाया कि उसने केजरीवाल के संबंधियों के लिए 50 करोड़ रुपये की जमीन का मुद्दा सलटाया।जैन के खिलाफ ऐसे कई मुद्दे जांच एजेंसियों व आयकर विभाग के सामने हैं।जांच एजेंसियां बताएंगी कि कौन से मुद्दे में कितनी सच्चाई है।लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को आंका जाने लगा है।रामलीला मैदान से भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंककर सत्ता में पहुंचे केजरीवाल को मिश्रा के आरोपों का जवाब देने के साथ यह भी बताना होगा कि नोटबंदी के केंद्र सरकार के फैसले पर वह इतने क्यों बिफर पड़े थे कि नारदा और सारधा जैसे घोटाले की आंच झेल रही तृणमूल कांग्रेस के साथ गलबहियां करनी पड़ी। नोटों की माला पहनने वाली मायावती को भी केजरीवाल में अपना समर्थक दिखा।जबकि नोटबंदी सीधे-सीधे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई थी जो काले धन के कुबेर बने बैठे थे।आम जनता ने तो इसे सिर आंखों पर लिया था और नतीजा लगातार चुनावों में दिख रहा था।सर्जिकल स्ट्राइक भी एक ऐसा ही मुद्दा था जिसके विरोध ने यह साबित कर दिया कि केजरीवाल जनता की नब्ज पहचानना भी भूल गए हैं और पार्टी की आवाज सुनना भी बंद कर चुके हैं।पंजाब और गोवा हार की हताशा में पार्टी ने उस ईवीएम को ही कठघरे में खड़ा कर दिया जिसने उसे दिल्ली में ऐतिहासिक मत देकर सत्ता में बिठा दिया। लेकिन पार्टी के अंदर से लगातार उठ रही आवाज और हार के बाद संवेदनशीलता इस कदर खत्म हुई कि एमसीडी चुनाव जीतने के लिए दिल्ली के बच्चों को डेंगू, चिकनगुनिया जैसे रोगों का डर दिखा दिया।यह धमकी भी दी गई कि एमसीडी चुनाव के नतीजे अगर एक्जिट पोल की तरह आए जिसमें भाजपा की बड़ी जीत दिखाई गई थी तो फिर से आंदोलन करेंगे। शायद केजरीवाल भूल गए थे कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की ओर से लोकतांत्रिक मर्यादा, रीति रिवाज और व्यवस्था पर इस तरह लगातार होने वाला हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।हाल में उन्होंने जनता से माफी मांगी है लेकिन अब सवाल दूसरे हैं-उन्हें मिश्रा के आरोपों पर तथ्यों के साथ जवाब देना होगा।जो किला अभेद्य दिख रहा था वह रेत की तरह ढहने लगा

क्या केजरीवाल इस पर रोक लगा पाएंगे….? गौर करे की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दो करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाने के बाद आज (09.05.2017) की सुबह दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा मीडिया के सामने आए और केजरीवाल को बड़ी चुनौती देते हुए उन्हें फिर से अपने खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहा।मिश्रा ने कहा कि मैं अपनी करावल नगर की सीट से और केजरीवाल नई दिल्ली की सीट से इस्तीफा दे दें और मेरे खिलाफ चुनाव लड़ें।सब साफ हो जाएगा।कपिल मिश्रा ने एलान किया है कि वह केजरीवाल का चक्रव्यूह तोड़ना चाहते हैं और दावा किया कि उनके पास केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत है।केजरीवाल पर आरोप लगाने का कपिल मिश्रा का अंदाज़ वही था जो कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल का हुआ करता था।कपिल मिश्रा ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि मैं मन भारी करके उसके खिलाफ लड़ रहा हूं जो कभी मेरा गुरू हुआ करता था।इस दौरान कपिल मिश्रा ने केजरीवाल से आशिर्वाद भी मांगा।केजरीवाल की एक-एक चाल समझता हूं-कपिल मिश्रा, आपको बताते चले की कपिल मिश्रा ने कहा कि वह केजरीवाल के साथ 15 सालों से हैं और उनकी एक-एक चाल समझते हैं।उन्होंने कहा कि केजरीवाल चाहते हैं कि मैं मीडिया के सामने सबकुछ बोल दूं ताकि बाद में वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सके।मिश्रा ने कहा कि केजरीवाल ने आज विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया है।इस दौरान वह मेरे लिए गालियां और खुद के लिए तालिंया बजवाएंगे।वह विधानसभा में खुद को क्लीन चिट दे देंगे और मुझे गलत साबित कर देंगे।उन्होंने कहा कि विधानसभा में केजरीवाल अपराधी भी बनेंगे और जज भी।सत्यैंद्र जैन पर निशाना साधते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि सत्यैंद्र जैन से केजरीवाल के बहुत नजदीकी रिश्ते हैं।उन्होंने कहा कि सत्यैंद्र जैन अरबपति हैं।उन्होंने वित्त मंत्री अरूण जेटली के मानहानी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं केजरीवाल के खिलाफ भविष्य में मानहानी का केस लड़ सकूं।मिश्रा ने कहा कि वह सबकुछ सीबीआई को एक सील बंद लिफाफे में लिखकर देंगे।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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