ज्योतिष/धर्मब्रेकिंग न्यूज़

आइये जानते है जगन्नाथ मंदिर के 10 चमत्कारी बात…

श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है।मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है।मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है,पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।इसे नीलचक्र भी कहते हैं।यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है।सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत,लेकिन पुरी में

लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते,जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबदों पर पक्षी बैठ जाते हैं या आसपास उड़ते हुए नजर आते हैं।मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है।इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है।है न चमत्कार,इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है,जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी।यहां श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं।जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान हैं।तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं।यहा विश्‍व की सबसे बड़ी रथयात्रा निकलती है. यह रथयात्रा 5 किलो‍मीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही होती है।माना जाता है कि 3 बार समुद्र ने जगन्नाथजी के मंदिर को तोड़ दिया था। कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुति (हनुमानजी) को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे।

रिपोर्ट-शास्त्रों के पन्ने से…,धर्मेन्द्र सिंह ।।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button