16 दिसंबर को निर्भया दुष्कर्म के 4 साल पूरे होंगे।पर न्याय अभी बाकी है।मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है।निर्भया के माता-पिता रोज अदालत के चक्कर लगा रहे हैं।उन्हें गुस्सा है कि वादा करके सरकार बेटे को नौकरी देना भूल गई है।एक रिपोर्टर को दिए अपने ब्यान में निर्भया के माता-पिता क्या कहते है पढ़िए….
उस घटना ने देश हिला दिया था।चार साल बीतने को हैं… आप अब भी हर सुनवाई पर कोर्ट आते हैं…
मां आशा देवी-और क्या करे हम ? हमारे लिए तो रोज की यातना है।पहले लोअर कोर्ट,फिर हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट।हर सुनवाई दर्द सा है।लेकिन दोषियों को सजा दिलाने तक लड़ेंगे।नहीं तो बेटी बोलेगी मां-पापा हार गए।तबलाखों लोग साथ थे। अब क्या स्थिति है ?मां-ऐसी घटनाओं के बाद लोगों से लेकर नेता-मंत्री तक मदद का वादा करते हैं।पर 10 दिन बाद पीड़ित परिवार अकेला रह जाता है।अब निर्भया के लिए दस लोग खड़े दिखते हैं।और गुनहगारों को बचाने के लिए सौ लोग।किस बात का सबसे ज्यादा दुख है ।येअच्छा नहीं किया। और यूपी सरकार ने भी तो बहुत से वादे किए थे… :-पिता-गांव में अस्पताल तो बना दिया है।पर उसमें डाक्टर नहीं है।गांव आने-जाने के लिए तो साधन है और ही सड़क।कालेज बनाने का प्रस्ताव भी फाइलों में ही दफन हो चुका है।ऐसे मेंं बेटे को सरकारी नौकरी देने का वायदा भी कौन याद रखेगा।
निर्भया ज्योति ट्रस्ट का काम कैसा चल रहा है ?
पिता-पीड़ित बेटियों के लिए हमने यह ट्रस्ट बनाया था।अवैतनिक तौर पर 11 लोग इससे जुड़े हैं।किसी घटना का पता चलने पर हम पहुंचते हैं।मगर फंड होने के कारण ट्रस्ट किसी की आर्थिक मदद नहीं कर पा रहा है।
आपकी आजीविका कैसे चल रही है ?
पिता-मैं एक कंपनी में नौकरी करता हूं।उसी से घर का और कानूनी लड़ाई का खर्च चल रहा है।मुकदमे के चलते हफ्ते में कई बार छुट्टी लेनी पड़ती है।तब वेतन कट जाता है।दिक्कत तो होती है।पर ठीक है…पिता बद्रीनाथ-दिल्ली सरकार ने बेटे की पढ़ाई और सरकारी नौकरी का वादा किया था।सरकार ने घर दिया,बेटे की पढ़ाई भी कराई।पर नौकरी का वादा भूल गई। मेरी बेटी के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी करनेवाले नाबालिग के रिहा होने पर दिल्ली सरकार ने उसे सिलाई मशीन,10 हजार रु. दिए। चार साल पहले केंद्र ने 1000 करोड़ रु.से ‘निर्भया फंड’बनाया था।अब यह फंड 4 हजार करोड़ का हो चुका है।पर इसका 10% भी इस्तेमाल नहीं हुआ है।इसमें से 1404.68 करोड़ रु. राज्यों को दिए भी गए थे।पर सबने लौटा दिए।