राज्य खाद्य निगम के गोदाम से 21 हज़ार क्विंटल अनाज गबन, गरीबों के निवाले पर डाका डालने वाले पर कार्रवाई को लेकर क्यों सख्त नहीं है सरकार…?

बिहार के कटिहार के महा घोटाले पर आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर प्रशासन सुस्त, लगभग दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी राज्य खाद्य निगम के गोदाम से लगभग 21 हज़ार क्विंटल अनाज घोटाले मामले पर अब तक जांच के नाम पर प्रशासन कोई कार्रवाई पूरी नहीं कर पाई है।कटिहार में हुए लगभग 6 करोड़ घोटाले में राज्य खाद्य निगम के गोदाम प्रबंधक और सहायक गोदाम प्रबंधक सहित 23 लोगों पर मामला दर्ज है।जांच को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई की गति को देखते हुए कई सवाल खड़े हुए हैं।महा घोटाले पर प्रशासनिक सुस्ती को टटोलता है ये खबर।पर क्यों मौन है सरकार, गरीबों के निवाले पर डाका डालने वाले पर कार्रवाई को लेकर क्यों
सख्त नहीं है सरकार।कहीं पर्दे के पीछे से सरकारी बाबुओ बचाने के मामले पर तो नहीं की जा रही है लीपा पोती।मामला कटिहार में राज्य खाद्य निगम से हुए अनाज घोटाले से जुडी है।लगभग दो महीना पहले कटिहार राज्य खाद्य निगम के गोदाम से 21 हज़ार क्विंटल अनाज गबन हुआ था।ये मामला सामने आने पर जिलाधिकारी के आदेश पर जिला प्रबंधक ने सहायक गोदान प्रबंधक नील अरुण सहित 23 लोगों पर मामला दर्ज कराया था।पर बाद में जांच के दौरान मामला दर्ज करवाने वाले जिला प्रबंधक भरत भूषण गुप्ता पर भी इस घोटाले से जुड़े होने का आरोप लगा था और बाद में उनपर भी मामला दर्ज कराया गया था।यानी इस मामले पर सरकारी अधिकारी गोदाम प्रबंधक और सहायक गोदाम प्रबंधक सहित दो अलग-अलग मामले पर कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है।जिसमे अब तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।कटिहार सांसद तारिक अनवर सरकार की मंसा पर सवाल उठाते हुए इस पर जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।जबकि भाजपा के नगर विधायक तारकेश्वर प्रसाद दिलासा दे रहे हैं की सरकार इस मामले पर जो भी दोषी होंगे जरूर कार्रवाई करेंगे।इस मामले पर पुलिस का कहना है की अनाज घोटाले के इस मामले पर कुल दो मामले में 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है।जिसमे पहले मामले में 17 आरोपियों पर आरोप साबित हो रहा है जबकि दूसरे मामले पर जिला प्रबंधक भरत भूषण गुप्ता से जुड़े मामले पर अब तक जांच जारी है।जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी होगी।अधिकारी और ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से गरीबों के निवाला बनने से पहले ही इतनी बड़ी अनाज घोटाला को किस तरह अंजाम दिया गया इसका खुलासा तो फिलहाल नहीं हो पाया लेकिन जांच के नाम पर जिस तरह मामले को टालने का प्रयास किया जा रहा है उससे कहीं ना कहीं इस बड़े घोटाले पर प्रशासन के मंसा पर सवाल भी उठ रहा है।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह