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भारत सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से में आने वाले ज्यादा से ज्यादा पानी के इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। ये निर्णय भारत-पाकिस्तान की भूराजनीति से प्रेरित है। अगले साल भारत चिनाब नदी पर पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी कर चुका है।
27 सितंबर को मोदी ने पाकिस्तान के साथ 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि पर नए सिरे से विचार के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में भी समझौते पर दोबारा विचार करने के निर्देश दिए थे।
हाल ही में हुई बठिंडा रैली में भी मोदी ने साफ किया था कि वो सिंधु का बूंद-बूंद पानी किसानों तक पहुंचाएंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक चेनाब में पनबिजली प्रोजेक्ट से पहले सरकार स्वालकोट (1,856 मेगावॉट), पाकुल दुल (1,000 मेगावॉट) और बुरसर (800 मेगावॉट) प्रोजेक्ट भी शुरू करेगी।
पाकिस्तान के लिए मुंहतोड़ जवाब की तैयारी
सिंधु,चेनाब,झेलम और उसकी साथी नदियों पर बांध का निर्माण बेहद कठिन है,लेकिन इस तरह के प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिए मुंहतोड़ जवाब है।केंद्र सरकार प्रोजेक्ट पर जमीनी काम करने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार के साथ लगातार संपर्क में है।स्वालकोट प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में ही शुरु हो जाएगा। केंद्र की तेजी के बाद पाकुल दुल प्रोजेक्ट के काम में भी तेजी आई है।स्वालकोट प्रोजेक्ट के तहत चेनाब पर 193 मीटर का बांध बनाया जाएगा।जिससे 1856 मेगवॉट बिजली पैदा होगी। इसका निर्माण दो चरणों में होना है।
प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने से पहले, उसकी वजह से विस्थापित होने वाले 629 परिवारों के 4 हजार चार सौ लोगों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर बुरसर प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में अभी वक्त लगेगा। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार की योजना सिंधु और उससे संबंधित नदियों के पानी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की है। इस वजह से लंबित पड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है।
POSTED BY: टीम केवल सच DECEMBER 12, 2016,KS/0155