देशब्रेकिंग न्यूज़राज्य

क्यों रोये थे मुलायम फोन पर फूट-फूट कर…?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने की टीस अब भी राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव जयंत चौधरी के दिल में है और वह अब खुलकर सामने आ रही है।मथुरा में जयंत चौधरी ने गुरुवार को कहा कि वे पहले गठबंधन में शामिल होना चाहते थे,क्योंकि मुलायम सिंह यादव ने फोन पर इसके लिए रोते हुए गुहार लगाई थी।दरअसल,उस वक्त समाजवादी पार्टी में अखिलेश गुट और शिवपाल समर्थकों में सियासी झगड़ा अपनी चरम पर था।मुलायम भी इस झगड़ा को सुलझाने में नाकाम रहे थे।यह मामला चुनाव आयोग तक जा पहुंचा।वहां शिवपाल समर्थकों को बड़ा झटका लगा,चुनाव आयोग ने अखिलेश गुट के हवाले चुनाव चिह्न साइकिल और पार्टी कर दी।मथुरा विधानसभा क्षेत्र से रालोद उम्मीदवार अशोक अग्रवाल के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हुए कहा जयंत ने कहा,‘सपा-कांग्रेस गठबंधन ने हम पर लाठी मारी है,लेकिन रालोद कमजोर नहीं हुआ है।बल्कि हम ज्यादा मजबूत हुए हैं और लाठी तोड़ देंगे।चौधरी ने कहा,‘अगर आपका दोस्त रोकर मदद मांगे तो क्या आप इनकार कर देंगे ? चौधरी साहब (अजित सिंह) ने कुछ भी गलत नहीं किया।उन्होंने दो मिनट में निर्णय किया (सपा के साथ गठबंधन का) क्योंकि मुलायम सिंह यादव फोन पर रो रहे थे और मदद की गुहार लगा रहे थे।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर हमला करते हुए रालोद नेता ने कहा कि 600 मीटर मेट्रो चलाना और उसका पूरा प्रचार करना विकास नहीं कहलाता है।अपने परिवार के लोगों से 

लड़ना अखिलेश की आदत हो गई है।उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।कांग्रेस,राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंध के बावजूद बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है,वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है।इसका कितना फायदा उसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा।इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था,सर्जिकल स्ट्राइक,नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहनेवाला है।जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं,वहीँ विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है।यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं।2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।पिछले चुनावों में बसपा को 80,बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button
error: Content is protected !!