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टेंपरेचर पर आग उगलते देर नहीं, और जब मॉनसून लेट से आया तो सड़क तो सड़क, घर के अंदर तक पानी…

उफ्फ ये गर्मी के आगाज से आह रे वर्षा के इंतजार में महसूस यही हुआ की गर्मी वाकई पटना को 43 डिग्री टेंपरेचर पर आग उगलते देर नहीं की और जब मॉनसून लेट से आया तो सड़क तो सड़क, घर के अंदर तक पानी ही पानी नजर आया।वाह रे प्रकृति, क्या है तेरी लीला यह वाकई में अपरंपार है, किंतु इस व्यवस्था को लेकर हमारे मुंसिपल कारपोरेशन यानी पटना नगर निगम कितने सटीक और सजग हैं यह साफ तौर पर दिख रहा है अगर मॉनसून ना आए तो पटना नगर निगम की भैया बल्ले-बल्ले, क्योंकि उन्हें ना तो नालो और ड्रेनेजो की सफाई करना मुव्वकील होता होता है और ना ही जलमग्न हुई सड़क को कैसे सुव्यवस्थित करें इसका कोई ध्यान रखा गया हो।किंतु प्रकृति अपनी वास्तविक छाप नगर निगम पर समय रहते हुए बखिया उधेड़ते देर नहीं करती, क्योंकि सरकार निगम बनाती है, नियम बनाती है और इस पर अमल करना शायद ही नगर निगम अपना अमलीजामा पहनता हो, ऐसा मुझे नहीं लगता।खैर, आज दिनांक 7 जुलाई 2019 को प्रकृति ने वर्षा का झमाझम रंग पटना शहर वासियों को दिखलाया।जिसे देखकर कई लोग इठलाए भी और कई मायूस भी हुए, क्योंकि इस वर्षा ने पटना को तपिश बढ़ी गर्मी से राहत दिलाया तो जरूर किंतु दूसरी तरफ वर्षों से चली आ रही निगम की कुव्यवस्था ने घरों-घरों में अंदर तक वर्षा और गंदे नालों के गंदे पानी को पहुंचाया।एक उदाहरण के लिए बताते चलें की राजधानी पटना के बस स्टैंड के करीब रामकृष्ण नगर मोहल्ले में विगत 2 वर्ष पहले नाला का निर्माण कुछ क्षेत्रों में हुआ था, किंतु उनके निकास की व्यवस्था आज तक न सरकार कर पायी और ना ही नगर निगम।लिहाजा वर्षा जल का पानी नालों के बाहर रिस-रिसकर सड़कों पर निकल रहे हैं, जिससे सड़क पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।इस दुखदाई व्यवस्था को लेकर आम जनता सड़क पर चलने को विवश हैं, लिहाजा इन पर ना तो वर्तमान पार्षद की नजर है और ना ही हमारे माननीय विधायक की तथा नगर निगम के कर्मचारी तो दूर की बात है, साथ ही नगर विकास बिहार सरकार के मंत्री का क्या कहना, इस क्षेत्र में शायद ही कोई मंत्री, सांसद, पार्षद या कोई भी जनप्रतिनिधि क्षेत्रवासियों की समस्या को समझ पाया हो। अपितु यहां के स्थानीय लोगों की माने तो यह समस्या वर्षों से चली आ रही है और तथाकथित इस समस्या को लेकर जल्द ही समाधान को लेकर विचार नहीं किया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसका बुरा परिणाम देखने को मिल सकता है।

रिपोर्ट-अमित कुमार गुड्डू

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