खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव के साथ बुधवार को हुई बिहार स्टेट राइस मिल एसोसिएशन की वार्ता बेनतीजा रही। एसोसिएशन के अधीन करीब तीन हजार चावल मिल पिछले 67 दिनों से हड़ताल पर हैं।आगे भी यह हड़ताल जारी रहेगी।एसोसिएशन के अध्यक्ष राजू गुप्ता ने बताया कि मुख्य रूप से हम अपनी दो मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।पहली मांग यह है कि चावल मिलों को भी धान खरीद के लिए नोडल एजेंसी नामित किया जाए,जबकि दूसरी मांग भारत सरकार के नियम के अनुसार धान की कुटाई के लिए चावल मिलों को परिवहन एवं अन्य हैंडलिंग चार्ज के भुगतान की है।उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव दीपक प्रसाद ने कहा कि विभाग मांगों पर विचार करेगा।नोडल एजेंसी बनाने की मांग के लिए एक कमेटी बनेगी जो अन्य राज्यों की व्यवस्था का भी अध्ययन करेगी।धान के बदले चावल नहीं लौटने वाले राज्य के 138 राइस मिलरों की सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कुर्की-जब्ती और गिरफ्तारी होगी।राज्य सरकार ने डिफॉल्टर राइस मिलरों पर कार्रवाई के लिए बीस जिलों के आरक्षी अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है।खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी ने बुधवार को बतायाकि राज्य खाद्य निगम के स्तर से डिफॉल्टर राइसमिलरों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।भोजपुर,नालंदा,औरंगाबाद,जहानाबाद,रोहतास,कैमूर,बक्सर,नवादा,मुजफ्फरपुर,दरभंगा,मधुबनी,बांका,सुपौल,खगड़िया,मधेपुरा,बेतिया मोतिहारी,सहरसा,सीतामढ़ी और शिवहर जिले के आरक्षी अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को राइस मिलरों पर कार्रवाई के लिए कहा गया है।जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे व्यवहार न्यायालय में संबंधित राइस मिलरों की जमानत रद कराने की कार्रवाई सुनिश्चित कराएं।मालुम हो की राइस मिलरों ने वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में राज्य खाद्य निगम से कुटाई के लिए धान लिया था,लेकिन अब तक निगम को न ही चावल दिया और न ही चावल के बदले राशि का ही भुगतान किया।भुगतान के लिए दबाव बनाने पर मिलरों ने पटना उच्च न्यायालय में जाकर स्टे आर्डर प्राप्त कर लिया था।इसके बाद निगम ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर कर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी।सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया और राज्य सरकार को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। बताते चले की राज्य खाद्य निगम की ओर से वसूली संबंधी कार्रवाई में 30 नवंबर तक राइस मिलरों से 66.12 करोड़ की वसूली की गयी है।हालांकि वसूली की यह रकम मिलरों पर बकाया 1272.46 करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम है।बीते दो साल में मिलरों से कुल बकाया में से 274.45 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है।जबकि1379 मिलरों में से 1145 पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।वसूली में तेजी लाने के लिए अनुमंडल अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित की गयी है जिसमें डीएसपी रैंक के एक अफसर और जिला आपूर्ति पदाधिकारी को शामिल किया गया है।