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एसडीओ रविप्रकाश के द्वारा वकील शिवनानंद मेहता के साथ कथित दुर्व्यवहार का मामला विरोध मार्च…

फारबिसगंज अनुमंडल न्यायालय में कार्यरत वकील शिवनानंद मेहता के साथ गत मंगलवार को एसडीओ रविप्रकाश के द्वारा कथित दुर्व्यवहार का मामला तूल पकड़ने लगा है।गुरुवार के अपराह्न वक़ीलों के द्वारा फारबिसगंज शहर में विरोध मार्च निकाला गया।इस संबंध में बनी 11 सदस्यीय संघर्ष समिति के प्रवक्ता एडवोकेट राजेशचंद्र वर्मा एवं दीपक भारती ने संयुक्त बयान मे बताया कि गुरुवार को अपराह्न अनुमंडल मुख्यालय से हाथों में तख्तियां लेकर वक़ीलों के द्वारा एसडीओ फारबिसगंज के कार्यशैली व मनमानी तथा वकील शिवानंद मेहता के साथ न्यायालय परिसर में मंगलवार को किये गए दुर्व्यवहार के प्रतिरोध में, पूरे फारबिसगंज शहर में विरोध मार्च निकाला गया।जो अनुमंडल मुख्यालय से निकल कर अस्पताल रोड, सुभाष चौक, पोस्टऑफिस चौक, सदर रोड, पटेल चौक, बस स्टैंड, अस्पताल रोड, रेफरल रोड होते हुए पुनः अनुमंडलीय मुख्यालय स्थित वकालत खाना परिसर पहुंचेगी।बाद में संघर्ष समिति की बैठक में समीक्षा व आगामी संघर्ष की रूपरेखा तय करने पर विचार लिए जाएंगे।इस मामले में मुकदमा के बावत जिलाधिकारी से स्वीकृति के लिये शुक्रवार को वक़ीलों का एक शिस्टमण्डल अररिया जाएगी।इस बावत समय मांगी जा रही है।संघर्ष समिति सदस्यों के बीच एकमत राय है कि वकील भी न्यायालय के पदाधिकारी होते हैं।उनके साथ सुरक्षा गार्ड के बल पर न्यायालय के भीतर एसडीएम के रूप में दुर्व्यवहार सहन करने लायक विषय नहीं है।मानसिकता में बदलाव लाना जरूरी है।पूर्व में भी इसी सामंती सोच का नतीजा था कि 13 दिनों तक विवाद चला।बार व बेंच में समन्वय और सार्वजनिक खेद पर हीं जनहित, विकासहित तथा न्यायहित में मामला समाप्ति के बाद पुनः वही कहानी।आखिर वक़ीलों की क्या गलती है ? अन्याय अब और सहन नहीं किया जा सकता।परिणाम चाहे जो भी हो ? अधिकार की रक्षा की लड़ाई लड़ने का अधिकार सभी को भारतीय संविधान ने दे रखा है।जब वक़ीलों के साथ न्यायालय के भीतर दुर्व्यवहार किया जाता है तो सहज समझा जा सकता है कि आम अवाम के साथ क्या किया जा सकता है ? पदस्थापना के वक्त हिंगवा भरगामा विधि व्यवस्था समस्या के जनक एसडीओ फारबिसगंज हीं थे।समझदारी से काम लिया जाता तो विधि व्यवस्था संधारण की उत्पन्न समस्या से बचा जा सकता था।अति उत्साही रवैये से शासन व सरकार की किरकिरी हुई।

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